क्या आपने देखें है मार्बल के टुकड़ों से बने घर? ग्वालियर के स्टोन पार्क में बने हैं सैकड़ों 'स्टोन हाउस'. इस स्टोन पार्क में लोगों ने टूटे हुए पत्थरों से घर बना कर तैयार किए हैं. इनमें कई लोग मजदूर हैं तो कई कारीगर हैं. 'स्टोन परके' में रहने वाले लोगों का कहना है कि वो पिछले 10 सालों से एेसे बने घर में रह रहे हैं. पत्थरों से घर बनाने के लिए उन्होंने पास की स्टोन कटिंग फैक्ट्री से इस्तेमाल न होने वाले पत्थर खरीद कर ये घर बनाए हैं.
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को 230 सीटों पर चुनाव होने हैं, माना जा रहा है कि ये चुनाव सीधा बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. इसी चुनाव को देखते हुए क्विंट की चुनावी यात्रा पहुंची ग्वालियर.
क्विंट से खास बातचीत में 'स्टोन पार्क' ले लोगों ने अपनी परेशानियों से लेकर सरकार पर, जगह की अनदेखी करने तक का आरोप लगाया है. राजनीति और चुनाव की बहस से दूर आपको ले चलते हैं इस गांव में. नीचे दी गई 360 डिग्री फोटो में देखिए पत्थर के बने इन घरों को.
कैसे देखें 360 डिग्री फोटो
360 डिग्री फोटोज देखने के लिए आपको अपने कंप्यूटर के माउस को फोटो पर क्लिक कर उसे ड्रैग करना होगा. वहीं अगर आप मोबाइल पर इसे देख रहे हैं तो आपको अपनी उंगलियों से फोटो को इधर से उधर ड्रैग करना होगा. जिससे आप इन फोटोज के 360 डिग्री व्यू का मजा ले सकते हैं.
जब लोग रहेंगे तो मंदिर और मस्जिद भी बनेंगे. बस इसी को देखते हुए लोगों ने इन्हीं पत्थरों से काली मां का मंदिर भी बना लिया है.
'स्टोन पार्क' में रहने वाले लोगों की संख्या 500 के करीब है, आमदनी अच्छी न होने के कारण पत्थरों के घरों में रहने को मजबूर हैं. लोगों का आरोप है कि सरकार ने उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी हैं, जैसे बिजली-पानी और बच्चों के लिए स्कूल. लोगों का कहना है कि पार्षद से कोई मदद नहीं मिलने के कारण, उन्हें बिजली की वयवस्था खुद ही करनी पड़ी है. सुविधा के नाम पर शौचालय बने हैं.
यहां देखिए ‘स्टोन पार्क’ की कुछ और तस्वीरें
- 01/04(फोटो: शादाब मोइज़ी/क्विंट हिंदी)
- 02/04(फोटो: शादाब मोइज़ी/क्विंट हिंदी)
- 03/04(फोटो: शादाब मोइज़ी/क्विंट हिंदी)
- 04/04(फोटो: शादाब मोइज़ी/क्विंट हिंदी)
क्या ये लोग गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं?
लोगों का कहना है कि वो गैरकानूनी तरीके से इस जगह पर रह रहे हैं, लेकिन ये जगह उन्होंने खुद खरीदी है. जमीन के लिए किसी ने 50 हजार रुपये दिए हैं तो किसी ने डेढ़ लाख रुपये तक दिए हैं. लोगों के पास न राशन कार्ड है न ही मजदूर किताब, लेकिन सभी के पास आधार कार्ड है, इसमें खास बात ये है कि आधार कार्ड ‘स्टोन पार्क’ के पते पर बने हैं.
सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब ये लोग अवैध तरीके से बस रहे थे. तो बसने दिया क्यों गया? अब जब ये लोग यहां रहने लगे हैं. तो बुनियादी सुविधाएं तक क्यों नहीं दी गईं?
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