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हरियाणा की इन महिलाओं की पूरी जिंदगी पानी ढोते-ढोते ही गुजर रही है

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हाथ में बाल्टी, कंधे पर रस्सी और सिर पर पानी से भरा घड़ा लिए महिलाओं का हरियाणा के हिसार के खेड़ी चोपटा गांव में नजर आना आम बात है. सुबह और शाम के वक्त गांव में मौजूद दो कुओं पर हर उम्र की महिलाओं की भीड़ और पानी लेकर बेचैनी आसानी से देखी जा सकती है.

हरियाणा में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में हर पार्टी अलग अलग दावे और वादे कर रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि क्या इन महिलाओं की आवाज किसी नेताओं के वादे की लिस्ट में है?

इसी दौरान कुएं पर खड़ी 60 साल की एक बुजुर्ग महिला गुड्डी से हमारी मुलाकात हुई. जब हमने इतनी उम्र में इस तरह पानी के लिए आने के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा:

“मैं तो बूढ़ी हो गई पानी भरते-भरते, स्कूल के वक्त से पानी भर रहे हैं. पानी ढोने वालों के लिए रिटायरमेंट की उम्र भी नहीं होती.”
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क्विंट ने इन महिलाओं के हर दिन की इस परेशानी को समझने की कोशिश की. जब हमने कुएं पर पानी लेने आई एक महिला मीना से बात की तो उन्होंने बताया:

“मेरा घर कुएं से दो किलोमीटर दूर है. हर दिन दो बार पानी लेने आना होता है. गर्मी में तीन बार पानी लेने आना पड़ता है. हमारे यहां कोई नल नहीं है. हैंडपंप से कड़वा पानी आता है. इसलिए यहां आना पड़ता है. अब बच्चों को पालने के लिए तो ऐसा करना पड़ेगा.”

“150 रुपये मिलती है दिहाड़ी”

मीना बताती हैं कि वो हर दिन 100 से 150 रुपये दिहाड़ी मजदूरी के तौर पर पाती हैं. उनके पति भी मजदूरी करते हैं, तब जाकर उनका घर चलता है.

पानी की कमी के साथ-साथ इस गांव के लोगों को बिजली की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है. गुड्डी बताती हैं, “7 बजे सुबह बिजली गई थी, अब एक बजे आएगी. 24 घंटे बिजली नहीं रहती है यहां.”

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पीएम मोदी ने ‘हर घर नल का जल’ योजना की बात कही है, अब सवाल ये है कि क्या सरकार इन लोगों के घरों तक पानी पहुंचाएगी या इन्हें अभी और इंतजार करना होगा.

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