मुबारक का अर्थ है शुभ, और यही नए साल की शुरुआत करने का तरीका होना चाहिए. उर्दू शायरी में इस शब्द का इस्तेमाल अक्सर ताने मारने के तौर पर किया जाता है. मसलन शकील बदायुनी के इस शेर में शायर अपने मेहबूब की ग़फ़लत यानी भुलक्कड़ी की शिकायत कर रहा है.
ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक
मगर ऐसी बे-रुखी क्या की सलाम तक न पहुंचे
उर्दूनामा के इस एपिसोड में सुनिए ऐसे और कई तरीकों के बारे में जिनके माध्यम से कवियों ने अपने मुबारक पलों का इज़हार किया है.
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