पिछले कई हफ्तों से सरहद पर विवाद के चलते तमाम निगाहें चीन के साथ हमारे तल्ख होते रिश्तों पर है लेकिन भारत का एक और पड़ोसी तनाव में है. तनाव तो उसकी अंदरूनी वजहों से है लेकिन उसका असर भारत के साथ उसके रिश्तों पर भी सीधे तौर पर पड़ता दिख रहा है. वो देश है- नेपाल. नेपाल को अब तक हम पहाड़ों में बसे एक छोटे से दोस्त देश की तरह देखते आए लेकिन पिछले कुछ महीनों से वहां राष्ट्रवाद की आड़ में भारत का विरोध सियासी हथियार जैसा बन गया है.
आलम ये है कि हमारे टेरीटोरियल क्लेम्स को नजरअंदाज करते हुए, नेपाल के हाउस ऑफ़ रेप्रेसेंटेटिव्स ने 13 जून को देश के नए मैप को मंजूरी दे दी, जिसमें भारत के हिस्से - कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा- को उसने अपने मैप में शामिल कर लिया. ताजा खबर ये है कि नेपाल में एंटी-इंडिया कैंपेन चलाने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है. लेकिन इस बड़ी खबर के सुनते ही जो बड़ा सवाल दिल में आता है वो ये कि नेपाल में बदलते राजनीतिक हालात भारत पर क्या असर डालेंगे? इसी मुद्दे पर बात करेंगे आज इस पॉडकास्ट में.
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