टेलीकॉम सेक्टर में AGR मुद्दे को लेकर संकट है, लेकिन अगर आप इसे सिर्फ इंडस्ट्री का संकट समझ रहे हैं तो आप मामले को अभी समझे ही नहीं है. AGR बकाए का मामला इन कंपनियों के ग्राहकों, कर्मचारियों, बैंकों यहां तक कि आम टैक्सपेयर्स का मामला है. क्योंकि अगर एक या दो टेलीकॉम कंपनियां डूबतीं हैं तो समझिए बड़े स्तर पर नुकसान होने वाला है. कंपनियां कम रहेंगी तो उनका कॉम्पिटीशन कम होगा, कॉम्पिटीशन कम होगा तो आपके फोन का बिल बढ़ेगा ही बढ़ेगा. वो बैंक जिन्होंने टेलीकॉम कंपनियों को कर्ज दिया है उनका भी नुकसान, सरकारी बैंकों ने भी कर्ज दिया है, मतलब सरकार का नुकसान. और सरकार के नुकसान का सीधा मतलब टैक्स पेयर्स का नुकसान. मतलब आपका नुकसान
टेलीकॉम कंपनियों के सामने संकट के काले बाद छाए हुए हैं. कभी देश में टेलीकॉम सेक्टर में दसों कंपनियां कारोबार कर रही थीं. लेकिन अब गिनी चुनी 3 कंपनियां ही रह गई हैं. उसमें से भी वोडाफोन-आइडिया की हालत डामाडोल है. जियो इस सेक्टर की उभरती हुई कंपनी है.
अगर वोडाफोन-आइडिया कंपनी बंद पड़ती है तो इसके बाद सिर्फ दो कंपनियों का राज रह जाएगा एक तो रिलायंस जियो दूसरी भारती एयरटेल. सिकुड़ते टेलीकॉम मार्केट में ऐसी स्थिति कंज्यूमर्स के लिए अच्छी नहीं है. जब बाजार में सिर्फ 2 ही खिलाड़ी रह जाएंगे तो फोन और डेटा चार्जेज का बढ़ना आसान हो जाएगा. और आपके फोन के रीचार्ज का खर्च बढ़ेगा और आपकी जेब ज्यादा खाली होगी.
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