उत्तर प्रदेश के हाथरस में 14 सितंबर को कथित तौर पर हुए गैंगरेप और हत्या के जघन्य अपराध से पूरा देश दहल उठा और अब पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग बुलंद होती जा रही है और देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. लेकिन इस केस को लेकर अब पुलिस कई चीजों का खंडन करने में जुट गई है. सबसे बड़ा खंडन ये किया गया है कि पीड़िता के साथ गैंगरेप नहीं हुआ था.
1 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साबित हुआ है कि पीड़िता की मौत गर्दन में चोट लगने के कारण हुई है और फॉरेंसिक रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर में स्पर्म नहीं पाया गया, जिससे साबित होता है कि बलात्कार नहीं किया गया.
लेकिन यूपी पुलिस के इस दावे के बाद कानूनों के जानकारों और फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पुलिस अधिकारी को जमकर फटकार लगाई है और कानून का पाठ पढ़ने की नसीहत दी है.
परिवार का आरोप है कि जब पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गई तो तुरंत कार्रवाई करने की बजाय परिवार और युवती पर ही सवाल खड़े किए गए. पीड़िता के भाई ने एसएचओ की बदसलूकी को लेकर बताया कि उसने दर्द में कराह रही और पत्थर पर बेसुध पड़ी उसकी बहन को कहा कि वो नौटंकी कर रही है. युवती के भाई ने बताया कि पुलिस में इस मामले की शिकायत की तो मामला मारपीट और गला दबाने का दर्ज किया गया, इसके बाद आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार भी नहीं किया गया. लेकिन जब समाज के कुछ लोगों ने परिवार के साथ मिलकर पुलिस पर दबाव बनाया तो पुलिस ने करीब पांच दिन बाद गैंगरेप का मामला दर्ज किया. साथ ही आरोपियों को गिरफ्तार करना शुरू किया गया.
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