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क्यों रीता बहुगुणा ने छोड़ा कांग्रेस का हाथ? BJP से क्या मिलेगा!

बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय में गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

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2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए वरिष्ठ पार्टी नेता रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी में शामिल हो गई हैं. बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय में गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. रीता फिलहाल लखनऊ कैंट से कांग्रेस की विधायक हैं.

पार्टी की बेरुखी से थीं नाराज



बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय में गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.
दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में अमित शाह के साथ रीता बहुगुणा. (फोटो: PTI)

रीता विधानसभा चुनावों के लिए शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने से नाराज़ थीं. राज बब्बर को उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपने से भी रीता खुद को दरकिनार महसूस कर रही थीं.

बेटे के लिए चाहती थीं टिकट

यूपी के सत्ता के गलियारों में चर्चा आम थी कि रीता जोशी अपने बेटे मयंक के लिए कांग्रेस से टिकट चाहती थीं. लेकिन पार्टी इसके लिए तैयार नहीं हो रही थी. माना जा रहा है कि बीजेपी से सौदेबाज़ी में मयंक का टिकट शामिल है.

ब्राह्मण वोटरों में गलत संदेश

हालांकि 2017 के उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस को नंबर चार की पार्टी ही माना जा रहा है. लेकिन राजनीति नतीजों से ज्यादा धारणाओं का खेल है. ऐसे में रीता का जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका है. शीला दीक्षित को सीएम का चेहरा बनाकर कांग्रेस पार्टी ने ब्राह्मण वोटरों को लुभाने की कोशिश की है. लेकिन सूबे में पार्टी के बड़े ब्राह्मण चेहरे रीता बहुगुणा जोशी का यूं पार्टी से जाना जाहिर तौर पर ब्राह्मण समुदाय में गलत संदेश भेजेगा.

राहुल की छवि पर हमला

सितंबर में राहुल गांधी की मैराथन किसान यात्रा के दौरान रीता जोशी को पूरी तरह नजरअंदाज़ किया गया। इस बात ने आग में घी का काम किया. एक वक्त राहुल गांधी के बेहद करीबी मानी जाने वाली रीता का कहना है कि सोनिया गांधी तो नेताओं की बात सुनती थीं लेकिन राहुल गांधी नहीं सुनते.

जोशी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा मैं खून की दलाली वाले बयान से दुखी हुई.

रीता उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सबसे मुखर नेताओं में थीं. चुनावों से ठीक पहले उन्हें अपने पाले में लेकर बीजेपी सर्जिकल स्ट्राइक्स के इर्द-गिर्द बुनी जा रही राजनीति में राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ उनका खासा इस्तेमाल करेगी. इसके अलावा बीजेपी रीता जोशी को ब्राह्मण कार्ड के तौर पर भी खेलेगी.

गलतियों से नहीं सीखती कांग्रेस

हालिया इतिहास की ही बात करें तो असम विधानसभा चुनावों से ठीक पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता हेमंत बिस्वा सरमा ने बीजेपी का दामन थामा और कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले वरिष्ठ नेताओं चौधरी बीरेंदर सिंह ने कांग्रेस का साथ छोड़ा और चुनावों में पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. पिछले साल पूर्व कांग्रेसी सांसद अवतार सिंह भड़ाना ने भी बीजेपी का दामन थामा था. बहरहाल गलतियों से ना सीखना कांग्रेस पार्टी का शगल रहा है. लिहाज़ा रीता जोशी बहुगुणा के जाने के बाद भी पार्टी कोई सबक लेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है.

रीता का परिवार

रीता बहुगुणा जोशी सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं. उन्होंने अपना सियासी करियर समाजवादी पार्टी के साथ शुरु किया लेकिन जल्द ही कांग्रेस में शामिल होकर बड़ा मुकाम हासिल किया. वो 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी यानी यूपीसीसी की अध्यक्ष थीं और पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव उन्हीं की अगुवाई में लड़ा था. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके रीता के भाई विजय बहुगुणा भी इसी साल मई में कांग्रेस पार्टी के दो फाड़ करते हुए बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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