ADVERTISEMENTREMOVE AD

पापा-चाचा के सरेंडर के बाद चल पड़ा अखिलेश का रथ

फंक्शन की शुरुआती तस्वीरें ही भविष्य के बारे में बहुत कुछ बता रही है

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि अब रथ जब चलेगा तो बहुत सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे. लखनऊ में गुरुवार को वही हुआ. फंक्शन की शुरुआती तस्वीरें ही भविष्य के बारे में बहुत कुछ बता रही है.

अंदेशा था कि मुलायम सिंह यादव अपने बेटे के कार्यक्रम में नहीं आएंगे. चाचा शिवपाल यादव तो बिल्कुल नहीं. लेकिन दोनों आए और दोनों ने शुभकामनाएं दी.

नैय्या पार लगाने का जिम्मा अखिलेश पर



फंक्शन की शुरुआती तस्वीरें ही भविष्य के बारे में बहुत कुछ बता रही है
फोटो: PTI

संकेत साफ है. देर से ही सही, लेकिन पुराने समाजवादियों ने मान लिया है कि अब चुनाव में पार्टी की नैय्या पार लगाने की जिम्मेदारी अखिलेश के पास ही रहेगी. इस संकेत से बहुत कुछ साफ होता है. सबसे पहला यह कि दूसरी पार्टियों से अगर गठबंधन हो तो किन शर्तों पर हो यह अखिलेश ही तय करेंगे. इससे दूसरी पार्टियों का कंफ्यूजन भी दूर होगा. उन्हें लग रहा था कि मुलायम परिवार के हाल के झगड़ों के बाद अगर समाजवादी पार्टी का बंटवारा होता है कि एलायंस की बातचीत किस गुट से की जाए.

इस बात पर भी कंफ्यूजन था कि संभावित बंटवारे के बाद कौन का गुट ज्यादा मजबूत होगा, किसके साथ कौन होगा इसका आंकलन मुश्किल हो सकता था. अब संभावित सहयोगियों के मन से भी कंफ्यूजन दूर हो जाएगा. वोटरों के मन का कंफ्यूजन दूर हो सकता है. उन्हें अब पता है कि समाजवादी पार्टी का कौन सा चेहरा सामने रहने वाला है.

जो बीत गई सो बात गई



फंक्शन की शुरुआती तस्वीरें ही भविष्य के बारे में बहुत कुछ बता रही है
फोटो: PTI

अपने इंटरव्यू में अखिलेश ने तीन और बातें कहीं जो गौर करने वाली है. उन्होंने कहा कि जो बीत कई सो बात गई, राजनीति में आगे की सोचने की जरूरत है. इससे शायद वो यूपी की जनता को संदेश देना चाहते हैं कि अगर उन्हें फिर से मौका मिलता है तो वो साढ़े चार मुख्यमंत्री वाला तमगा हटाकर छोड़ेंगे. हाल के दिनों में हुई घटनाओं- शिवपाल को मंत्रिमंडल से हटाने के फैसले से लेकर अपने चहेतों को मंत्रिमंडल में बनाए रखने- से अखिलेश ने बता ही दिया है सपा के मामलों में अब उन्हीं की चलने वाली है. चाचा और पापा भले ही हल्ला करते रहें.

उन्होंने दूसरी बात कही कि ट्रेनी मुख्यमंत्री के रूप में अगर वो उत्तर प्रदेश में इतना बदलाव ला सकते हैं तो अनुभवी मुख्यमंत्री के तौर पर तो वो और भी बहुत सारा मुकाम हासिल करेंगे. शायद इस कथन से वो यह संकेत देना चाहते हैं कि उनसे जो गलतियां हुई हैं नौसिखिया समझ कर माफ कर दी जाएं.


फंक्शन की शुरुआती तस्वीरें ही भविष्य के बारे में बहुत कुछ बता रही है
फोटो: PTI

अखिलेश के कार्यकाल में गलतियां तो खूब हुई है. मुजफ्फरनगर दंगों का घाव अब भी नहीं भरा है. दादरी कांड में प्रशासन की भूमिका बहुत ही अजीबोगरीब रही. उनके ही कार्यकाल में लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी की करारी हार हुई. लचर कानून व्यवस्था से तंग आकर राज्य के लोग फिर से बोलने लगे कि सपा का राज मतलब गुंडाराज. और अखिलेश इस परसेप्शन को दूर करने के लिए कुछ नहीं कर पाए.

बेटे भी हैं और भतीजे भी

अखिलेश की कही गई तीसरी बात भी काबिले गौर है. उन्होंने इकोनोमिक टाइम्स को कहा कि वो बेटे भी हैं और भतीजे भी. उनका यह वक्तव्य शायद परिवार में सुलह का संकेत देता है. लेकिन यह तो तय है कि सुलह अखिलेश की शर्तों पर ही हुई है. यह उनकी दूसरी बातों से साफ होता है. चाचा अमर सिंह के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने साफ कह दिया कि अंकल (माने अमर सिंह) वाला रिश्ता लगता है बहुत कम समय के लिए था. मतलब यह कि पापा और चाचा तो ठीक, लेकिन इससे आगे वो किसी समझौते के लिए तैयार नहीं है.

अब सवाल यह कि क्या यूपी की जनता इस ट्रेनी मुख्यमंत्री को और अनुभव हासिल करने का मौका देगी. यह शायद इस बात पर निर्भर करेगा कि उनके रथ को कितने सारथी मिलते हैं. मतलब कि आगे गठबंधन की रुपरेखा क्या बनती है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×