यह महज संयोग ही नहीं है कि समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ स्टेज पर उनकी पत्नी डिंपल यादव भी थी. यह इस बात का साफ संकेत हैं कि डिंपल की भूमिका चुनाव में काफी बढ़ने वाली है. दूसरी तरफ एसपी-कांग्रेस गठबंधन पर प्रियंका का अहम भूमिका निभाना और पार्टी नेता अहमद पटेल की तरफ से उन्हें इसके लिए खास तौर पर धन्यवाद देना भी सिर्फ संयोग नहीं है. दरअसल इस भूमिका के पीछे यूपी की आधी आबादी को अपनी तरफ खींचने का प्लान है.
महिला वोटर्स को अपनी तरफ खींचने का तरीका?
यूपी में तकरीबन 47% महिला वोटर्स हैं. वोट डालने के मामले में भी महिलाएं पुरुषों से आगे हैं. खास बात ये है कि विधानसभा चुनाव में महिलाओं का रुझान पुरुषों के मुकाबले ज्यादा देखा जाता है. आंकड़े बताते हैं कि विधानसभा चुनावों में महिलाओं का रुझान आम चुनाव की अपेक्षा ज्यादा होता है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि स्थानीय मुद्दे जैसे पानी, बिजली और शासन व्यवस्था महिलाओं को सीधे-सीधे प्रभावित करती हैं. वहीं राष्ट्रीय सरकार की नीतियां पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करती हैं.
पोस्टरों पर छाईं प्रियंका और डिंपल
इलाहाबाद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ संभावित गठबंधन से पहले ही उत्साहित होकर शहर भर में पोस्टर लगा दिये हैं. इन पोस्टर्स में यूपी के सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और कांग्रेस की स्टार कैंपेनर प्रियंका गांधी को एक साथ दिखाया गया है. पोस्टर्स में महिलाओं का डंका बजने की बात लिखी गई है.
प्रियंका गांधी ने खुले तौर पर राजनीति में कदम ?
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है. इसका अधिकारिक ऐलान भी हो गया है. लेकिन खबरों की मानें तो यह इस गठबंधन की नांव अपने आखिरी दौर में आकर फंस गई थी. लेकिन इस बार प्रियंका गांधी इस नाव की खेवैया बनीं और गठबंधन को अंतिम छोर तक लाई. ऐसे में इस पूरे घटनाक्रम को इस तौर पर भी देखा जा रहा है कि क्या प्रियंका गांधी ने दबे पांव राजनीतिक शुरुआत कर दी है?
कई बार उठी फ्रंटफुट पर लाने की मांग
यूं तो प्रियंका गांधी को बड़ी जिम्मेदारी देने की मांग कई बार उठ चुकी है, लेकिन वह हमेशा पर्दे के पीछे से ही जिम्मेदारियों को निभाती रही हैं. यूपी चुनाव में कांग्रेस के सलाहकार रहे प्रशांत किशोर भी प्रियंका गांधी को चुनाव का चेहरा बनाने की मांग कर चुके हैं. यूपी में कई बार प्रियंका को कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी देने की मांग के साथ पोस्टर भी लग चुके हैं.
पहली बार खुलकर आई प्रियंका की भूमिका
प्रियंका गांधी लगभग साल 2000 से ही कांग्रेस की परंपरागत सीट अमेठी और रायबरेली के काम में ज्यादा दिलचस्पी लेती रही हैं. वही उनकी भूमिका पर पार्टी में तो चर्चा हुई है, लेकिन उनके काम को लेकर किसी नेता ने कोई बड़ी चर्चा नहीं की. वहीं सपा से गठबंधन के बाद कांग्रेस के सीनियर नेता अहमद पटेल ने ट्वीट कर उनकी भूमिका के बारे में बताया.
एसपी से गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत को लेकर सामने आ रही कुछ खबरों पर उन्होंने लिखा, 'यह कहना गलत है कि कांग्रेस की ओर से कम महत्वपूर्ण नेता गठबंधन को डील कर रहे थे. बातचीत उच्चतम स्तर पर यूपी के सीएम और कांग्रेस के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद और प्रियंका गांधी के बीच चल रही थी.' बाद में गुलाम नबी आजाद ने भी प्रियंका को यह कहते हुए धन्यवाद दिया कि गठबंधन फाइनल करने में उनकी भूमिका अहम रही.
जुलाई 2016 से हुई थी शुरुआत
कांग्रेस में प्रियंका की बढ़ती भूमिका पर चर्चा तब शुरू हुई जब पिछले साल जुलाई में पार्टी ने उत्तर प्रदेश के लिए रोडमैप बनाने का काम शुरू किया. यह बात सामने आई कि कांग्रेस के 'यूपी प्लान' में प्रियंका ने काफी इनपुट्स दिए. इसके बाद चुनाव प्रचार की रणनीति को लेकर उनकी गुलाम नबी आजाद और दूसरे नेताओं के साथ बैठक की जानकारी भी सामने आने लगी.
बाद में जमीनी हालात को भांपते हुए जब कांग्रेस ने यूपी में अपने प्लान से पीछे हटते हुए एसपी से गठबंधन का फैसला किया, तब भी प्रियंका ने आगे आकर सीटों के बंटवारे में अहम रोल अदा किया. यह बात अब खुलकर सामने आ चुकी है कि प्रिंयका और राहुल, न सिर्फ यूपी से सीएम अखिलेश यादव के साथ भी संपर्क में थे बल्कि आरएलडी के जयंत चौधरी से भी उनकी बात चल रही थी.
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