दिल्ली के दिल को जीतने के लिए देश के 11 सीएम, एक पूर्व सीएम और 14 केंद्रीय मंत्री जोर-आजमाइश करेंगे. 2017 चुनावों में कुछ अलग होने जा रहा है, दिल्ली ने इससे पहले शायद ही एमसीडी चुनावों में इतने बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार देखा होगा.
दिल्ली में इतनी दिलचस्पी का क्या मतलब है- क्या बीजेपी जीत का सिलसिला जारी रखना चाहती है, केजरीवाल एमसीडी में अपनी सत्ता चाहते हैं ताकि सरकार का अधिकार क्षेत्र बढ़े और गतिरोध कम हो, कांग्रेस 2007 के बाद से सत्ता में नहीं है, अब वापसी की उम्मीद है, सपा+बसपा+जदयू+ राजद दिल्ली नगर निगम के चुनाव में पूर्वांचल वोटरों को लुभाकर यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है.
कांग्रेस, बीजेपी, आप और जदयू के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी एमसीडी चुनावों में एंट्री ले ली है. समाजवादी पार्टी ने ऐलान किया है कि एमसीडी की सभी 272 सीटों पर समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी. उम्मीदवारों की लिस्ट जल्द ही जारी की जाएगी.
वहीं लालू यादव की पार्टी आरजेडी भी एमसीडी चुनावों में एक बार फिर किस्मत आजमाने जा रही है लेकिन जदयू से अलग होकर.
दिल्ली के दंगल में बीजेपी के 8 मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्रियों के सहारे एमसीडी की सत्ता पर काबिज होने की कवायद में बीजेपी सबसे आगे है. प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली में पार्टी के लिए तय किए गए स्टार प्रचारकों का नाम सार्वजनिक किया है. ये बात अलग है कि अभी तक पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है.
एक नजर- मुख्यमंत्रियों और उनके वोट बैंक टारगेट पर:
इनके अलावा हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर, झारखंड सीएम रघुवर दास, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का नाम भी लिस्ट में है. साथ में केंद्रीय मंत्रियों की भी लंबी फेहरिस्त है.
कांग्रेस के कैप्टन का प्रचार शुरू
कांग्रेस सबसे पहले दिल्ली में पंजाबी वोटर बैंक पर ध्यान दे रही है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का पार्टी ने दिल्ली के सुभाष नगर में भव्य स्वागत किया. कैप्टन रजौरी गार्डन उम्मीदवार के स्टार प्रचारक हैं और दिल्ली एमसीडी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे.
‘तू-तू मैं-मैं वाली कैंपेनिंग नहीं’
कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए दिल्ली की समस्याओं पर फोकस करने का फैसला किया है. पार्टी आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति में नहीं पड़ेगी और दिल्ली के असली मुद्दों को उठाएगी. ब्लूप्रिंट तैयार करन का जिम्मा कांग्रेस के दिग्गज शशि थरूर और सलमान खुर्शीद को दिया गया है.
तू-तू मैं-मैं की कैंपेनिंग जिसमें विरोधियों पर आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति होती है उसे कांग्रेस त्याग देगी, हम दिल्ली में चुनाव प्रोफेशनल तरीके से लड़ेंगे.शशि थरूर, नेता, कांग्रेस
अबतक मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस शिक्षा, सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज्यादा जोर देगी. एमसीडी स्कूलों की हालत को जनता के बीच लेकर जाएंगे और साथ में चुनाव जीतने पर एमसीडी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अकाउंट में 1000 रुपए की मदद राशि देने जैसे लोकलुभावन वादे भी होंगे.
केजरीवाल की राह अब आसान नहीं
गोवा और पंजाब में चुनाव हारने के बाद दिल्ली जीतने का हौसला बुलंद कर चुकी आम आदमी पार्टी के लिए एमसीडी जीतना इतना आसान नहीं होगा. एक तरफ एलजी ने 97 करोड़ का जुर्माना वसूलने का आदेश दे दिया है तो वहीं बीजेपी, कांग्रेस ने दिल्ली में पूरा दम लगा दिया है. दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप की नुक्कड़ सभाएं काफी कामयाब साबित हुई थीं लेकिन अब एमसीडी के चुनाव में पुराने वादों (फ्री वाई-फाई, बसों में मार्शल, सीसीटीवी, लोकपाल) पर विपक्षियों के हमले से दो-चार होना पड़ेगा. हालांकि पार्टी ने हाउस टैक्स माफ कर देने के वादे से बड़ा दांव चला है.
आप ने राज्य चुनाव आयोग में एमसीडी चुनावों के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची सौंपी दी है, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के नाम शामिल हैं. केजरीवाल के अलावा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप नेता कुमार विश्वास, संजय सिंह, श्रम मंत्री गोपाल राय और जल मंत्री कपिल मिश्रा के नाम सूची में शामिल हैं. लिस्ट में सांसद साधु सिंह और भगवंत मान, पंजाब में आप विधायक एच एस फुल्का सहित कई पार्टी विधायकों के नाम शामिल हैं.
एमसीडी की विवादित कार्यशैली भी केजरीवाल को फायदा पहुंचा सकती है. दिल्ली में सत्ता में आने के बाद से ही आम आदमी पार्टी ये कहती रही है बीजेपी शासित एमसीडी से उन्हें जीरो सपोर्ट मिलता है. बीजेपी के लंबे चौड़े प्लान पर आप के नेताओं का कहना है कि बीजेपी स्टार प्रचारकों और मंत्रियों को उतारकर विधानसभा चुनाव वाली गलती कर रही है.
नीतीश और अखिलेश को क्या मिलेगा?
दिल्ली का समीकरण देखें तो यहां फाइट कांग्रेस बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ही है क्योंकि जिस वोट बैंक को टारगेट करने के लिए नीतीश और अखिलेश दिल्ली आ रहे हैं उसके हिस्सेदार काफी हैं.
जदयू ने बदला फैसला- अब सिर्फ 150 उम्मीदवार उतारेंगे
जदयू ने पहले ऐलान किया था कि सभी 272 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे, लेकिन अब पार्टी ने समीक्षा के बाद 122 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला नहीं किया है. पार्टी दिल्ली MCD की सिर्फ 150 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
हम मैदान में पूरे जोश और एनर्जी के साथ उतरे हैं, भले ही हम 122 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन हमारी पार्टी पूरी शिद्दत से बाकी 150 सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है.संजय झा, दिल्ली प्रभारी, जदयू
जाहिर है नीतीश और अखिलेश के निशाने पर पूर्वांचल के वोटर्स रहेंगे, लेकिन साथ ही दलित वोटरों वाली 70 सीटों पर मायावती अपने उम्मीदवार उतार चुकी हैं. ऐसे यूपी और बिहार वोट- बैंक अगर बंटा तो सबका नुकसान तय है. बीएसी ने 2012 एमसीडी चुनावों में 10 फीसदी वोट शेयर पाकर 15 सीटों पर कब्जा किया था, हालांकि आप की एंट्री के बाद विधानसभा चुनावों में बसपा के हाथ एक भी सीट नहीं आई थी और वोट शेयर गिरकर 1.03% तक पहुंच गया था.
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