कांग्रेस से अपना नाता तोड़ने के ऐलान के बाद नारायण राणे क्या बीजेपी का दामन थामेंगे या अपनी खुद की पार्टी बनायेंगे, इस सवाल पर अब भी स्पेंस बना हुआ है. दरअसल, बीजेपी में राणे को शामिल किया जाए या नहीं, इसे लेकर पार्टी नेतृत्व अब तक कोई फैसला नहीं कर सका है. राणे के पार्टी प्रवेश को लेकर बीजेपी में ही एक मत नहीं है.
वहीं, महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेताओं की मानें तो राणे के प्रवेश को लेकर पार्टी में ज्यादा उत्साह भी नहीं दिख रहा है. फिलहाल, महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और पार्टी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बीजेपी को राणे की फिलहाल उतनी जरूरत नहीं है जितनी राणे को बीजेपी की है.
राणे को लेकर बीजेपी के मन में कौन-कौन से सवाल हैं?
1. राणे के पुराने इतिहास को देखते हुए उन्हें पार्टी में शामिल किया जाये या नहीं, इसे लेकर भी पार्टी नेताओं के मन में कई सवाल हैं. वहीं, पार्टी इस बात का अब तक आंकलन नहीं कर सकी है कि राणे को पार्टी में लाने से कितना फायदा होगा. राणे कोकण के बड़े नेताओ में से एक हैं लेकिन फिलहाल के दौर में सिंधुदुर्ग जिले की 3 सीट छोड़कर पूरे कोकण में राणे का उतना प्रभाव नहीं बचा है जो कुछ साल पहले तक हुआ करता था. कोकण में विधानसभा की लगभग 39 सीटें आती हैं. इसलिए भी बीजेपी फिलहाल अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है.
2. राणे को राज्य की राजनीति में अगर लाते हैं तो उन्हें क्या पद दिया जाए? क्या राणे को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बनाया जाए या फिर उन्हें राज्यसभा में भेजकर केंद्र की राजनीति करने दी जाए. वहीं, राणे को अगर बीजेपी में लाते है तो उनके दोनों बेटे नितेश और निलेश कैसे शामिल किया जाए, ये भी पार्टी के सामने बड़ा सवाल बना हुआ है.
3. एक बड़ी वजह ये भी है कि राणे को अगर बीजेपी में शामिल किया जाता है तो पार्टी के अंदर कई मराठा नेता नाराज हो सकते हैं.
4. राणे को बीजेपी में लाने के पीछे बीजेपी की सोच ये भी है राणे के जरिए शिवसेना के गढ़ को कमजोर किया जा सकता है, क्योंकि राणे का कोकण इलाके में खासा प्रभाव है.
संभावना है कि राणे अपनी पार्टी भी बना सकते हैं
राणे के कांग्रेस छोड़ने के ऐलान के बाद, जिस तरह राणे ने कांग्रेस और शिवसेना को आड़े हाथों लेना शुरू किया है और दावा किया की बड़ी संख्या में दोनों पार्टी के नाराज कार्यकर्ता उनके साथ आ सकते हैं. इससे ये भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि शायद राणे अपनी पार्टी बनाएंगे, जो बीजेपी के लिए टीम ‘बी’ का काम कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा क्योंकि राणे कांग्रेस और शिवसेना के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे. नई पार्टी की संभावना को तलाशने के लिए राणे 10 दिनों के महाराष्ट्र दौरे पर निकल रहे हैं. राणे ने साफ कर दिया है कि दशहरे से पहले वे अपनी भूमिका साफ करेंगे.
नारायण राणे का इतिहास
राणे 12 साल यानी 26 जुलाई 2005 को शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्हें सरकार में राजस्व मंत्री बनाया गया. हालांकि राणे के मुताबिक, उन्हें कांग्रेस नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पद का आश्वासन देकर पार्टी में शामिल किया था, लेकिन ऐसा हो ना सका. इससे पहले 1999 में शिवसेना-बीजेपी सरकार में मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद बाला साहब ने राणे को मुख्यमंत्री बनाया था. लेकिन शिवसेना में उद्धव ठाकरे से उनकी नहीं बनी, जिसके चलते उन्होंने शिवसेना को "जय महाराष्ट्र "कह दिया.
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