राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने विपक्ष के कड़े विरोध के बाद भी सोमवार को विवादित क्रिमिनल लॉज (राजस्थान अमेंडमेंट) अध्यादेश विधानसभा में पेश कर दिया. इस अध्यादेश के तहत राजस्थान में अब पूर्व और वर्तमान जजों, अफसरों, सरकारी कर्मचारियों और बाबुओं के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा. ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य होगी.
इस विधेयक के खिलाफ विपक्षी दल कांग्रेस ने विरोध जताया है. इस अध्यादेश के विरोध में कांग्रेसी विधायकों ने काली पट्टी बांधकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया.
क्या है राजस्थान सरकार का नया अध्यादेश
राजस्थान सरकार ने पिछले महीने आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017 जारी किया था, जिसमें राज्य के सेवानिवृत्त और सेवारत न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों और लोकसेवकों के खिलाफ ड्यूटी के दौरान किसी कार्रवाई को लेकर सरकार की पूर्व अनुमति के बिना जांच से उन्हें संरक्षण देने की बात की गई है.
इसमें मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है कि वह जांच को लेकर सरकार की मंजूरी मिलने तक इस प्रकार के आरोपों पर रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित नहीं कर सकती है.
कांग्रेस विधायकों ने जताया विरोध
कांग्रेस ने वसुंधरा राजे सरकार के इस अध्यादेश का विरोध किया है. सोमवार को कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के बाहर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया. विधायकों के हाथ में बैनर भी थे, जिन पर लिखा था- लोकतंत्र की हत्या बंद करो, काला कानून वापस लो, सरकार चाहे मुखबंद देश चाहे आवाज बुलंद...
विरोध प्रदर्शन के दौरान मौजूद रहे कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, "सरकार अपने भ्रष्टाचारों पर परदा डाले रखना चाहती है. हम इस मामले में राष्ट्रपति को अपना ज्ञापन सौंपेंगे."
आम आदमी पार्टी ने दी आंदोलन की चेतावनी
आम आदमी पार्टी ने वसुंधरा सरकार से काला अध्यादेश वापस लेने की मांग की है. AAP ने कहा कि अगर अध्यादेश वापस नहीं लिया गया, तो पार्टी प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी.
अगर राजस्थान सरकार ने ये तुगलकी फरमान वापस नहीं लिया, तो प्रदेश भर में जनहित याचिकाएं लगाई जाएंगी और मजबूत आंदोलन खड़ा किया जाएगा. आम आदमी पार्टी, जो भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की उपज है, ने ये साबित कर दिया है कि राजस्थान में अब AAP ही विकल्प है.कुमार विश्वास, प्रभारी पर्यवेक्षक
कुमार विश्वास ने कहा है कि अगर आंदोलन की जरूरत पड़ी तो आम आदमी पार्टी इस अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन करेगी.
एडिटर्स गिल्ड ने भी जताया विरोध
द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने राजस्थान सरकार से इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग की है. एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि जो अध्यादेश लोकसेवकों, न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के खिलाफ आरोपों पर उसकी मंजूरी के बिना रिपोर्टिंग करने से मीडिया को रोकता है, उसे वापस लिया जाए.
गिल्ड ने एक बयान में कहा कि यह अध्यादेश मीडिया को परेशान करने वाला है. जो सरकारी कर्मियों के गलत कृत्यों को छुपाता है और भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त प्रेस की स्वतंत्रता पर नाटकीय ढंग से रोक लगाता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)