गीतांजलि श्री की किताब रेत समाधि को बुकर मिला तो हिंदी साहित्य विश्व भर में एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बन गया. सात समंदर पार रहने वाली अमेरिकी अनुवादक डेसी रॉकवेल ने हिंदी साहित्य की एक किताब को चुन उसका अनुवाद करने की ठानी और उसे पुरस्कार दिला दिया.
रेत समाधि के साथ ही हिंदी में ऐसी बहुत सी किताबें हैं, जिन्हें हिंदी के पाठकों को जरूर पढ़ना चाहिए. वैसे भी एक कहावत है 'हम जैसे लोगों से मिलते हैं और जैसा साहित्य पढ़ते हैं, यही हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करता है'.
जीवन में एक दृष्टि बनाने के लिए किताबों का पढ़ा जाना बड़ा आवश्यक है.आज हम बात करेंगे आजकल आई ऐसी दस किताबों के बारे में, जो नई पीढ़ी के लेखकों और पाठकों को जरूर पढ़नी चाहिए.
'एक देश बारह दुनिया'
शिरीष खरे की लिखी किताब 'एक देश बारह दुनिया' राजपाल संस प्रकाशन द्वारा साल 2021 में प्रकाशित की गई थी. अमेजन https://amzn.eu/d/cPlip1a पर इसकी रेटिंग 5/4.7 और कीमत 203 रुपए है. 'एक देश बारह दुनिया' हाशिए पर छूटे भारत की तस्वीर है, यह किताब अपने आप में ग्राउंड जीरो पत्रकारिता का उत्कृष्ट उदाहरण है.
एक नजर में किताब की खूबियां देखें तो इसमें परदे के पीछे बसे भारत का बेहतरीन विवरण पेश किया गया है. अक्सर जो परदे के पीछे होते हैं, उन तक न तो दर्शकों की पहुंच होती है और न ही एसी रुम में बैठे पत्रकार उनके विषय में बात करते हैं.
विकास से वंचित देश के कई समुदायों के किस्से शिरीष इस किताब के जरिए सबके सामने लाए हैं. यह किताब कुल बारह दस्तावेजों पर आधारित है. लेखक द्वारा किया गया नौ वर्षों से अधिक का शोध, भटकाव और इन सब से उनके व्यथित मन की व्याकुलता को इस किताब में खूबसूरती से समेटा गया है.
विनोद कापड़ी की किताब '1232 Km'
इस लिस्ट की किताब है विनोद कापड़ी द्वारा कोरोना काल के दौरान लिखी '1232 कि.मी. कोरोना काल में एक असंभव सफर' यह किताब सार्थक प्रकाशन द्वारा साल 2021 में प्रकाशित की गई थी. अमेजन https://amzn.eu/d/eRI3zaI पर इसकी रेटिंग 5/4.6 बनी हुई है और मूल्य 199 रुपए है.
गुलजार साहब की कुछ चंद लाइनों से शुरू हुई ये किताब आपको इन लाइनों से ही किताब का सार समझा देती है. भूमिका में लेखक ने सीधे पाठकों से मुखातिब हो लॉकडाउन की कुछ ऐसी कहानियां बताई हैं जिनसे आप विचलित हो उठेंगे. यहां लेखक इस कहानी को लिखने के दौरान बनाए गए खुद के नियमों पर बात करते यह भी कहता है कि इस यात्रा को पढ़ने के बाद ‘मजदूर’ शब्द के प्रति पाठकों का नजरिया बदल जाएगा.
‘अशरफ’ साइकिल वाले का किस्सा हिन्दू-मुस्लिम जपने वालों को लाख बार पढ़ना चाहिए. ‘सब दिन होत न एक समान’ में लेखक इस यात्रा में अपनी बदलती भूमिका पर बात करता है जो आपको भी लेखक के साथ इस यात्रा के बहाव में बहाते लेकर चली जाती है.
गीतांजलि श्री की 'रेत समाधि'
यह किताब राजकमल प्रकाशन ने साल 2022 में प्रकाशित की और अमेजन https://amzn.eu/d/ihhs1C0 पर इसकी रेटिंग 5/4 है और मूल्य मात्र 295 रुपए है. गीतांजलि श्री का लेखन अद्भुत है और इस किताब में शिल्प के साथ अनूठा प्रयोग देखने को मिला है. ध्वनि की ऐसी शब्दों में अभिव्यक्ति अभी तक नहीं देखी गई है. इस किताब में अलग तरह के बिम्ब प्रयोग किए गए हैं और घटनाओं की वाक्यों में बुनावट बिल्कुल नायाब है. एक घटना दूसरे के लिए मार्ग प्रशस्त करते जाती है, गद्य और पद्य के बीच की सीमा रेखा अक्सर धूमिल होती प्रतीत होती है.
'बोलना ही है'
इस लिस्ट में पत्रकार रवीश कुमार की लिखी 'बोलना ही है' भी शामिल है. यह किताब राजकमल प्रकाशन द्वारा साल 2019 में प्रकाशित की गई थी. अमेजन पर इसकी रेटिंग 5/4.7 और मूल्य 250 रुपए है. इस किताब की भूमिका ही आपको हिलाने के लिए काफी है, जिसमें रवीश लिखते हैं साम्प्रदायिक बातें अब राष्ट्रवादी बताई जाने लगी हैं.आईटी सेल की मदद से वाट्सएप यूनिवर्सिटी का जनता के बीच प्रभाव कितना बढ़ गया है, किताब में इसका उदाहरण वह अपने ही ढंग से देते हैं.
अशोक पांडे की 'लपूझन्ना
युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हो रहे लेखक अशोक पांडे की 'लपूझन्ना' हिंद युग्म प्रकाशन ने इस किताब को साल 2022 में प्रकाशित किया और किताब छपते ही लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया. अमेजन https://amzn.eu/d/7PnVDUg पर इसकी रेटिंग 5/4.7 और मूल्य 199 रुपए है.
यह एक उस्ताद के लिए उसके शागिर्द की तरफ से लिखी खूबसूरत कहानी है. लेखक अपने बचपन की याद अब तक नहीं भुला सके हैं और उन यादों में लेखक का खास दोस्त भी है, ये वो खास दोस्त है जो हम सब की जिंदगी में कभी न कभी तो रहा ही है और उसको हम हमेशा याद करते हैं.
लपूझन्ना हमारी अपनी ही कहानी है, इसमें लपूझन्ना हम ही हैं जिसके लिए ये दुनिया बहुत छोटी है इतनी छोटी कि हम अपने दोस्तों के साथ धमाचौकड़ी मचाते इसे पूरा नाप लेना चाहते हैं.
'मनोज बाजपेयी: कुछ पाने की जिद'
मनोज बाजपेयी की जीवनी 'मनोज बाजपेयी: कुछ पाने की जिद' पढ़ने के लिए कहेंगे, जिसे लिखा है पत्रकार पीयूष पांडे ने. यह किताब पेंगुइन प्रकाशन की तरफ से साल 2022 में प्रकाशित हुई. अमेजन https://amzn.eu/d/4mYiPj5 पर इसकी रेटिंग 5/4.7 और मूल्य 269 रुपए है.
पीयूष पांडे की लिखी यह किताब आपको बिहार के चंपारण जिले से निकले मनोज बाजपेयी के दिल्ली के नाटकों से होते हुए मुंबई के फिल्मी जगत तक पहुंचने की पूरी कहानी बताती है. विभिन्न समाचार पोर्टलों, मनोज बाजपेयी के ब्लॉग, यूट्यूब, लेखक द्वारा मनोज के परिचितों से साक्षात्कार, मैग्जीन की सहायता से लेखक ने बड़ी मेहनत से इस किताब को लिखा है और सबसे अच्छी बात यह है कि वह स्त्रोतों को संदर्भित भी करते गए हैं.
'सत्ता की सूली'
'सत्ता की सूली' एक ऐसी किताब है जिसे पढ़ने के बाद आपको भारतीय राजनीति के खेल समझ में आने लगेंगे. ये किताब महेंद्र मिश्र, प्रदीप सिंह और उपेंद्र चौधरी द्वारा लिखा गया है.
इस किताब का प्रकाशन शब्दलोक प्रकाशन द्वारा साल 2019 में किया गया था. अमेजन https://amzn.eu/d/7skAe71 पर इसकी रेटिंग 5/4.9 और मूल्य 275 रुपए है.
किताब की शुरुआत में प्रशांत भूषण के लिखे आमुख में वह कहते हैं कि किताब – सत्ता की सूली देश के हालातों पर जो चर्चा करती है उसे जानने के लिए सब लोगों को किताब ध्यान से पढ़नी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ एडवोकेट इंदिरा जयसिंह से ‘कानूनविद की नजर’ लिखाया गया है. इसके बाद लेखकीय में महेंद्र मिश्र किताब को लिखने का मकसद बताते हुए कहते हैं कि इसका मकसद लोया मामला और उससे जुड़ी पूरी गुत्थी को सामने लाना है.
आरएसएस, स्कूली पाठ्यपुस्तकें और महात्मा गांधी की हत्या',
भारतीय शिक्षा पर गंभीर विचार पैदा करवाती है. 'आरएसएस, स्कूली पाठ्यपुस्तकें और महात्मा गांधी की हत्या', आदित्य मुखर्जी, मृदुला मुखर्जी और सुचेता महाजन द्वारा लिखी गई हैं.
इस किताब को सेज प्रकाशन द्वारा साल 2018 में प्रकाशित किया गया था. अमेजन https://amzn.eu/d/4Ng9tNB पर इसकी रेटिंग 5/3.7 और मूल्य 180 रुपए है. किताब में ‘मुसलमान विरोधी पूर्वाग्रह’ और ‘कांग्रेस विरोधी और गांधी विरोधी रवैया’ शीर्षकों से आजादी के पहले से ही मुसलमानों को लेकर बनाई गई क्रूर छवि पर प्रकाश डाला गया है, इसमें यह भी लिखा है कि अपने धर्म के लोग जो साम्प्रदायिक नही हैं और उदारवादी हैं, वे भी दूसरे धर्म के लोगों की तरह ही साम्प्रदायिक शक्तियों के दुश्मन बन जाते हैं और कभी-कभी उनसे भी ज्यादा. यही कारण है कि हिन्दू साम्प्रदायिक शक्तियों के अंदर कांग्रेस और गांधी के खिलाफ जहर भरा है.
किताब के अंतिम हिस्से में पता चलता है कि हिन्दू साम्प्रदायिक विचारक भौगोलिक आधार पर बने राष्ट्रवाद की अवधारणा की कमजोरियां गिनाते हैं और कहते हैं कि यूरोप में यह असफल हो चुका है.
किताब के अंत तक पहुंचते-पहुंचते आप खुद को किताब लिखे जाने का उद्देश्य पूरा कर सकने की स्थिति में पा सकते हैं. इसे पढ़कर सालों से एक ही विचारधारा से जुड़े लोग भी अपने समाज और राजनीतिक माहौल को समझते हुए स्वयं में एक आलोचनात्मक चिंतन कर सकते हैं, क्योंकि वह जनता ही है जिसे यह फैसला लेना है कि वह आज के भारत को किस स्थिति में कल की पीढ़ी को सौंपेगी. यह किताब आज के दौर में पढ़ने के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है.
अशोक कुमार पांडेय की किताब 'उसने गांधी को क्यों मारा'
अशोक कुमार पांडेय की किताब 'उसने गांधी क्यों मारा' राजकमल प्रकाशन से साल 2020 में प्रकाशित की थी. अमेजन https://amzn.eu/d/6GJPjyP पर इसकी रेटिंग 5/4.6 और मूल्य 248 रुपए है.
ऐसे समय में जबकि समाज का एक तबका गांधी की हत्या को सही ठहराने की भौंडी और वीभत्स कोशिश कर रहा है, उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त करार देने की कोशिशें की जा रही हैं. तब एक बार फिर गांधी की हत्या पर नये सिरे से पड़ताल की जरूरत थी, अब यह किताब ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ की शक्ल में सामने आयी. किताब की यह बात काबिले गौर है कि हर काल में नफरत की विचारधारा सभी धर्मों के अनेक उत्साही और आदर्शवादी युवाओं को हत्यारों में बदल देती है. ऐसे में इतिहास की इस विवेचना से वर्तमान परिदृश्य को समझने में मदद मिलती है और यह किताब पढ़नी जरूरी हो जाती है.
'कश्मीरनामा'
'कश्मीरनामा राजपाल एंड संस प्रकाशन से छपकर 2018 में आई थी. इस किताब की अमेजन https://amzn.eu/d/98HvoOd पर रेटिंग 5/4.4 और मूल्य- 410 रुपए है. कश्मीर पर कई किताबें लिखी गई क्योंकि कश्मीर हमेशा ही हिंदुस्तान में एक रहस्य की तरह देखा गया है. एक आम हिंदुस्तानी को सिर्फ उतना ही पता चलता है जितना उसे अखबार, रेडियो और टीवी से दिखाया और सुनाया जाता है. ये किताब कश्मीर के इतिहास और उसके प्रभावों का वर्तमान पर चिंतन है, इसमें तथ्यों और लोगों की असल बातचीत की मदद ली गई है.
कश्मीर पर जारी प्रोपेगैंडा से अलग सच्चाई जानने के लिए इस किताब को पढ़ा जा सकता है.
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