अभिनव बिंद्रा के नेतृत्व में बनी नेशनल राइफल्स एशोसियेशन ऑफ इंडिया रिव्यू कमेटी ने रियो ओलंपिक में अंडर परफॉर्म करने वाले शूटरों पर एक 36 पन्ने की रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में अंडर परफॉर्म शूटरों को फटकार लगाई गई है. इतना ही नहीं 4 सदस्यों द्वारा पेश गई की रिपोर्ट में कोच्स और नेशनल फेडरेशन को भी नहीं बख्शा गया है.
रिपोर्ट में कहा गया
सभी ने इसे हल्के में लिया. सोचा कि अपने आप ही प्रोग्रेस हो जाएगी. सब एक व्यवस्थित स्वस्थ प्रक्रिया सुनिश्चित करना ही भूल गए.
कोई खिलाड़ी नहीं बख्शा गया
दअसल 12 ओलंपिक क्वालिफाइड इंडियन शूटर रियो ओलंपिक में कोई भी मेडल नहीं ला सके थे. इसके बाद ये कमेटी बनाई गई. खुद बिंद्रा ने भी 10 मीटर एयर राइफल में चौथा स्थान ही हासिल किया था. गगन नारंग, हीना सिद्धू और अयोनिका पॉल कोई भी रिपोर्ट में अलोचना से नहीं बचा है. कमेटी ने खासतौर पर सिद्धू की आलोचना की है जिन्होंने अपने पति रौनक पंडित को अपना पर्सनल कोच बनाया था.
अयोनिका पॉल ने खेल मंत्रालय को भ्रमित किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोनिका पॉल ने खेल मंत्रालय को भ्रमित किया. उन पर कोच के लिए ज्यादा पैसा लगाया गया. उन्होंने 2 कोच रखे. एक थोमस फार्निक और दूसरे सुमा शुरुर. कमेटी ने पाया की थोमस को कोच के तौर पर और सुमा को मेंटर के तौर पर सिर्फ आर्थिक फायदे के लिए रखा गया. उन्होंने कोई जिम्मेदारी नहीं उठाई.
ओलंपिक मेडलिस्ट गंगन नारंग की सेहत पर उठे सवाल
2012 में कांस्य पदक जीतने वाले नारंग की सेहत गेम में ठीक नहीं रही. कोच स्टेनिसलस लापिडस ने साफ किया कि नारंग ने NRAI द्वारा बताया गया रूटीन फॉलो नहीं किया. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. सेहत के मुद्दे को सीधा नकारा गया और NRAI को अंधेरे में रखा गया कि नारंग ठीक हो रहे हैं. जिसकी वजह से नारंग ओलंपिक में उन 3 इवेंट का लोड नहीं ले सके.
अपूर्वी चंदेला
अगली शूटर जिनकी रिपोर्ट में अलोचना हुई वो हैं अपूर्वी चंदेला. कमेटी ने पाया कि कोट लेपीडस द्वारा फंड के लिए जूझना भ्रमित करने वाली बात है. अपूर्वा का केस पहला नहीं है. TOPS स्कीम के तहत फंड पाने के लिए आपको पूरा कार्यक्रम और ट्रेनिंग प्लान जमा कराना पड़ता है. अपूर्वी के केस में एक और चीज की कमी देखी गई और वो थी अनुभव की कमी और मॉनिटरिंग.
जीतू राय को नहीं मिली सही गाइडेंस
जीतू राय भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. कमेटी ने कहा पिस्टल निशानेबाज को सही एक्सपर्टीज नहीं मिली और जीतू विदेशी कोच पावेल स्मिर्नोव के साथ तालमेल नहीं बैठा सके. जीतू के सारे टैलेंट का हल्के में लिया गया, कोई प्लानिंग नहीं की गई. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ओलंपिक की सही तैयारी के बिना किसी भी तरह का टैलेंट बेकार है.
सिर्फ बिंद्रा को सहारा गया
बिंद्रा ने किस्मत से चौथा स्थान हासिल किया. हालांकि ये ठीक प्रदर्शन नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया कि इसके बाद भी बिंद्रा का प्रदर्शन ठीक रहा. तमाम बाधाओं के बाद भी कैसे संसाधनों का सही इस्तेमाल किया जा सकता है और कैसे अच्छी प्लानिंग की जा सकती है. अभिनव ने इसका एक क्लासिक उदाहरण पेश किया.
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