फ्लाइंग सिख के नाम से देश-दुनिया में महशूर हुए भारतीय धावक Milkha Singh का Covid-19 की वजह से निधन हो गया. कुछ दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मल कौर की मौत भी कोविड महामारी की वजह से हुई थी. निर्मल महिला वॉलीबाल टीम की कैप्टन रह चुकी थीं. यह एक संयोग ही है कि इतने वर्षों तक साथ रहने वाले दो पूर्व एथलीट कुछ दिनों के अंतराल में ही दुनिया को अलविदा कह गए. आइए जानते हैं मिल्खा सिंह और निर्मल की लव स्टोरी के बारे में...
- 80 रेसों में 77 मेडल जीतने वाले मिल्खा को शिकार और गोल्फ का था शौक.
- पहली नजर में हुआ था निर्मल से प्यार.
- एक ही परिवार में दो पीढ़ी (मिल्खा और बेटे जीव मिल्खा) को मिला पद्मश्री. पिता धावक तो बेटा है अंतर्राष्ट्रीय गोल्फर.
- जीते जी नहीं पूरी हो पाई मिल्खा की आखिरी इच्छा. ओलिंपिक पदक न मिलने का जिंदगी भर रहा मलाल.
- पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु रेस जीतने पर कुछ भी मांगने को कहा लेकिन मिल्खा ने कुछ नहीं मांगा था.
- खुद पर बनी फिल्म के लिए उन्होंने मांगे थे 1 रुपये.
एक नहीं हजारों लड़कियां आईं, लेकिन प्यार रहा "निर्मल"
एक इंटरव्यू में मिल्खा सिंह ने बताया था कि 1956 में मेलबर्न ओलिंपिक के दौरान वह बेट्टी कथबर्ट से मिले थे. इस 18 वर्षीय एथलीट को मिल्खा की पग से प्यार हो गया था. बेट्टी ने मिल्खा से कहा था कि वह उनके लिए भी पग बांध दे. उन मुलाकातों में बेट्टी ने मिल्खा का दिल जीत लिया था. मेलबर्न ओलिंपिक खेलों के बाद 1960 में दोनों फिर मिले थे, लेकिन इसके बाद मुलाकात का सिलसिला थम गया था. बाद में जब मिल्खा ने बेट्टी को फोन किया तो उनके बेटे ने फोन उठाया और तब उन्हें पता चला कि कैंसर की वजह से बेट्टी की मौत हो गई है.
मिल्खा सिंह ने इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान मस्ती भरे अंदाज में कहा था कि उनके जीवन में एक नहीं हजारों लड़कियां आईं और चली गईं.
वहीं एक अन्य इंटरव्यू में मिल्खा सिंह ने कहा था कि हर खिलाड़ी और एथलीट की जिंदगी में प्यार आता है, उसे हर स्टेशन पर एक प्रेम कहानी मिलती है.
पहली नजर का प्यार
58 साल साथ रहने के बाद पांच दिन के अंतराल में दुनिया को कहा अलविदा
मिल्खा सिंह ने एक इंटव्यू में कहा था कि पत्नी से उनकी पहली मुलाकात 1955 में कोलंबो में हुई थी. वहां वे एक एथलीट मीट में हिस्सा लेने गए थे और निर्मल इंडियन वॉलीबाल टीम की तरफ से पहुंची थीं. इस पहली मुलाकात में ही मिल्खा निर्मल को अपना दिल दे बैठे थे.
निर्मल को देखते ही उन्हें पसंद करने वाले मिल्खा ने इंडिया टुडे के इंटरव्यू में बताया था कि हमारे बीच उस दिन काफी बातें भी हुई. पास में कोई कागज नहीं था, ऐसे में मैंने निर्मल के हाथ पर ही होटल का नंबर लिख दिया था.
जब दोनों की पहली मुलाकात हुई तब निर्मल कौर भारतीय महिला वालीबॉल टीम की कप्तान थीं, जबकि मिल्खा सिंह एथलेटिक्स टीम का हिस्सा थे.
इसके छ: साल बाद निर्मल और मिल्खा की शादी हुई थी.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने शादी में निभाई थी अहम भूमिका
मिल्खा ने एक बार इंटरव्यू में कहा था कि निर्मल हिन्दू परिवार से थीं और मैं सिख, इसलिए उनके परिजन शादी के लिए तैयार नहीं थे. ऐसे में हमने (मिल्खा और निर्मल) कोर्ट मैरिज करने का फैसला कर लिया था. जब यह बात पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैंरो को पता चली तो उन्होंने निर्मल के पिता से बात की थी. पहले तो निर्मल के पिता ने इनकार कर दिया, लेकिन बाद में कैंरो साहब ने उन्हें फिर से मनाया तब जाकर वो माने और फिर हमारी शादी हुई.
वर्ष1962 में मिल्खा और निर्मल की शादी आखिरकार हो ही गई. पत्नी के बारे में मिल्खा लगभग हर इंटरव्यू में बात करते थे. वे सार्वजनिक तौर भी उनकी तारीफ करते थे. इंडिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने करण थापर से कहा था कि बच्चों को पढ़ाने और संस्कार देने में उनकी पत्नी निर्मल का ही अहम योगदान रहा है. निर्मल ने बच्चों की पढ़ाई और बाकी सभी बातों का पूरा ध्यान रखा था.
इंटरव्यू में मिल्खा ने करण थापर से कहा था कि "मेरी जिंदगी में वैसे तो कई लड़कियां आईं, लेकिन निर्मल को जब मैंने चुना तब मुझे पता था कि ये मुझे जीवन में बेस्ट साथ देगी. उसने काफी बड़ा काम किया. मिल्खा ने यह भी कहा कि जितने भी मैंने मेडल जीते हैं, जितनी भी ट्रॉफियां जीती हैं. मैं समझता हूं उनमें से निर्मल सबसे बेस्ट है. मैं तो सारी जिंदगी बाहर घूमता रहा लेकिन उसने बच्चों को पढ़ाया और काबिल बनाया. वह बेस्ट वुमन है."
बता दें कि 13 जून को निर्मल कौर की मौत कोविड की वजह से हो गई थी और बीती रात 18 जून को मिल्खा सिंह भी कोविड की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह गए. मिल्खा और निर्मल की बेटी डॉक्टर है. वहीं बेटा जीव मिल्खा सिंह एक मशहूर गोल्फर है.
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