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सचिन-कपिल से कोहली-कुंबले तक, देसी कोच-कैप्टन में क्यों नहीं बनती?

क्या अनिल कुंबले का एक्स्ट्रा सीरियस व्यवहार उन्हें युवा टीम से दूर कर रहा है ?

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चैंपियंस ट्रॉफी 2017 की शुरुआत से ठीक पहले टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम से एक ऐसी खबर आई जिसने सभी को हैरान और परेशान कर दिया. पिछले एक साल से दुनिया की तमाम बड़ी टीमों को पीट चुकी कोहली की सेना में फूट की खबर पहली बार में तो झूठ ही लगती है. आखिर एक ऐसी टीम जो टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ है और वनडे में टॉप-3 में है. उसके ड्रैसिंग रूम में नेगेटिव माहौल कैसे हो सकता है?

लेकिन, तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में खबर तेजी से फैली है कि टीम इंडिया के कप्तान और कोच के बीच में रिश्ते कुछ खास नहीं हैं.

खबरों के मुताबिक कप्तान विराट कोहली की टीम इंडिया और टीम के कोच अनिल कुंबले के बीच तकरार चल रही है. खबर है कि विराट कोहली समेत टीम के कई और सीनियर खिलाड़ी भी अनिल कुंबले के काम करने के तरीके से नाखुश हैं.

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भारतीय टीम के कप्तान और कोच के बीच तकरार पहली बार नहीं हो रही है. 2006-07 में भारतीय क्रिकेट ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली के बीच गंदी लड़ाई देख चुका है. तब गांगुली समेत टीम इंडिया के कई सीनियर खिलाड़ियों ने आरोप लगाया था कि चैपल पूरी टीम को एक सर्कस के रिंगमास्टर की तरह चलाना चाहते थे. अब यही आरोप वर्तमान कोच अनिल कुंबले पर लग रहा है.

टीम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, टीम प्लेयर्स कोच अनिल कुंबले के रौबदार रवैये से खुश नहीं हैं. साथ ही प्लेयर्स को कुंबले से ये भी शिकायत है कि वह उन्हें ड्रेसिंग रूम में भी आजादी नहीं देते हैं. कुंबले हार्डटास्क मास्टर हैं और यही बात टीम के सीनियर प्लेयर्स को पसंद नहीं है.

कुंबले बेस्ट लेकिन फिर क्या दिक्कत?

कुंबले ने 23 जून 2016 से कोच का पद संभाला था. तब से लेकर अब तक टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया है. भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल स्पिनर रहे अनिल कुंबले हमेशा से कड़ी मेहनत, अनुशासन और खेल को लेकर सीरीयस अप्रोच पर विश्वास करते हैं. कुंबले किसी स्कूल क्लास के उस स्टूडेंट की तरह हैं जो अपना होमवर्क रोज पूरा करता है और एक कोच के तौर पर वो टीम इंडिया के सभी खिलाड़ियों से यही अप्रोच चाहते हैं.

वहीं दूसरी तरफ विराट कोहली की ये टीम बेहद युवा है. आईपीएल की चकाचौंध, करोड़ों रुपए, बॉलीवुड और सोशल मीडिया जैसी चीजें इस टीम के ज्यादातर खिलाड़ियों के करियर का हिस्सा रहे हैं. कोहली की ये टीम इंडिया वो यंग ब्रिगेड है जो काम को अपने दिमाग पर नहीं लेती. ये टीम नियमों में बंधने वाली टीम दिखाई नहीं देती.

ऐसे में हो सकता है कि टीम के कई खिलाड़ियों का एक्स्ट्रा फ्रैंडली बिहेवियर कुंबले को रास न आता हो. जब रिपोर्ट्स में आया कि कुंबले ड्रेसिंग रूम में भी खिलाड़ियों को छूट नहीं देते तो वो स्वाभाविक सा लगा. बहुत हद तक ये दो पीढ़ियों के बीच का गैप है.

अनिल कुंबले के कोच बनने के बाद से टीम इंडिया एक भी टेस्ट या वन-डे सीरीज नहीं हारी है. भारत ने कुंबले के कार्यकाल में 17 में से 12 टेस्ट मैच जीते और सिर्फ 1 मुकाबला गंवाया.
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कोच कपिल से नाखुश थे कप्तान तेंदुलकर

टीम इंडिया में जनरेशन गैप का ये मसला पहली बार नहीं है. कपिल देव को अगस्त 1999 में भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया था. उस वक्त कप्तान थे मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर. उस वक्त ये दोनों ही खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े चेहरे थे. सभी को लगा कि टीम इंडिया अब विश्व क्रिकेट में धमाल मचा देगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

कपिल देव के कार्यकाल के दौरान टीम इंडिया ने 8 टेस्ट मैच खेले. जिसमें से 5 मुकाबले गंवाए और सिर्फ 1 मैच जीता. तो वहीं वनडे क्रिकेट में 25 में से 9 मैच जीते और 16 गंवाए.

अपनी किताब ‘प्लेइंग इट माय वे’ में सचिन तेंदुलकर ने खुलासा किया था कि कपिल देव ने कोच के तौर पर उनकी ज्यादा मदद नहीं की. तेंदुलकर ने किताब में लिखा था कि जब कपिल देव टीम के कोच बने तो ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर उन्हें कपिल से काफी उम्मीदें थीं लेकिन वो हमेशा अपने आप को टीम की रणनीतियों से दूर रखते थे और सचिन की ज्यादा मदद नहीं करते थे.

ऐसे में यहां दो चीजें हैं सचिन ने कहा था कि कपिल मदद ही नहीं करते तो वहीं सूत्रों की मानें तो कोहली को लगता है कि कुंबले जरूरत से ज्यादा टीम पर हावी होने की कोशिश करते हैं. इसमें कोई शक नहीं कि कोहली और कुंबले दोनों का कद विश्व क्रिकेट में बहुत ऊंचा है. दोनों के पास शानदार क्रिकेटिंग माइंड है. ऐसे में टीम इंडिया का भला तो तब भी है जब पिछले एक साल से चले आ रहे विजयरथ के ये दोनों पहिए आगे भी एक साथ ही चलें.

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