भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) आखिरकार नेशलनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) के तहत अपने क्रिकेटरों का डोप टेस्ट कराने को लेकर राजी हो गया है. बीसीसीआई को अब नाडा के तहत सभी क्रिकेटरों का डोप टेस्ट कराना होगा.
खेल मंत्रालय के सचिव ने शुक्रवार 9 अगस्त को इस बारे में जानकारी दी कि बीसीसीआई ने इस फैसले को स्वीकार किया है और अब सारे क्रिकेटर नाडा के तहत आएंगे.
बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी ने भी इसकी पुष्टि की और कहा कि बीसीसीआई देश के कानन के तहत ही चलेगा और उन्हें मानेगा.
हाल ही में युवा टेस्ट क्रिकेटर पृथ्वी शॉ के डोप टेस्ट में दोषी पाए जाने के बाद उन पर नवंबर तक बैन लगाया गया था. इस मामले में बीसीसीआई के रवैये को लेकर काफी आलोचना हुई थी क्योंकि शॉ का सैंपल फरवरी 2019 में लिया गया था, लेकिन इस पर फैसला देने में जुलाई तक का वक्त लग गया था. इसके बाद नाडा ने स्पष्ट करते हुए कहा था कि बोर्ड के पास खिलाड़ियों का टेस्ट करने का अधिकार नहीं है.
खेल सचिव राधे श्याम जुलानिया ने बीसीसीआई अधिकारियों के सीईओ राहुल जौहरी और अन्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद बताया कि देश के सभी खेल फेडरेशन की तरह ही बीसीसीआई को भी सरकार के बनाए नियमों का पालन करना पड़ेगा.
जुलानिया ने बताया कि बीसीसीआई की 3 मुद्दों पर चिंताएं थी जिन्हें मंत्रालय ने दूर कर दिया है.
“एक बैठक में उन्होंने बताया कि वो भारत सरकार के कानून का पालन करेंगे. उनके दो-तीन चिंताएं थी, जिनको लेकर उनको भरोसा दिलाया गया.”राधे श्याम जुलानिया, खेल सचिव
जुलानिया के मुताबिक,
- डोप टेस्टिंग किट को लेकर उनको (BCCI) आशंका थी. हमने कहा कि ये सारी किट वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) की तरफ से अप्रूव होती है और वही इस्तेमाल होती है. इसको लेकर उनकी शंका दूर हो गई.
- दूसरा था कि डोप टेस्टिंग ऑफिसर की क्वालिटी बेहतर हो और अच्छे डॉक्टर्स हों. तो हमने कहा कि हमारे ऑफिसर बेहद काबिल हैं. लेकिन अगर आपको और हायर क्वालिफिकेशन वाले ऑफिसर चाहिए तो इसके लिए ज्यादा फीस लगेगी, लेकिन वो सभी फेडरेशन के लिए समान होगा.
- तीसरा उनका मसला था समय पर केसों के निपटारे का. हमने उन्हें वाडा का चार्टर बताया कि हर केस का निपटारा 3 महीनों के अंदर होता है. हमने भी अभी तक 90 फीसदी केसों का निपटारा 90 दिनों में किया है.
जुलानिया ने बताया कि मंत्रालय ने बीसीसीआई को साफ कह दिया कि कानून के पालन करने को लेकर फैसला बोर्ड नहीं ले सकता.
हमने बीसीसीआई को बताया कि आप ये तय नहीं कर सकते कि आप कानून का पालन करोगे या नहीं. कानून सब पर एक जैसा लागू होता है.राधे श्याम जुलानिया, खेल सचिव
बीसीसीआई अपने क्रिकेटरों का नाडा के जरिये टेस्ट कराने से लंबे समय से मना करता आ रहा था. भारतीय बोर्ड का दावा था कि वह एक स्वायत्त संस्था है ना कि राष्ट्रीय खेल संघ और ना ही उसे सरकार से कोई फंडिंग मिलती है. हालांकि खेल मंत्रालय इस बात पर अड़ा था कि बीसीसीआई को नाडा के तहत आना ही होगा.
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