न्यूजीलैंड से तीसरे T-20 मैच का आखिरी ओवर. क्रीज पर न्यूजीलैंड के रॉस टेलर और विलियम्सन. न्यूजीलैंड को जीतने के लिए 9 रन चाहिए थे. शमी की पहली ही गेंद पर रॉस टेलर ने शानदार छक्का जड़ दिया. टेलर के बल्ले से निकली ये गेंद करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के सीने में आ धंसी. दिल धक्क करके रह गया. लगा कि न्यूजीलैंड में पहली बार T-20 सीरीज जीतने का सपना कम से कम आज तो पूरा नहीं होगा. लेकिन क्या है न, हम भारतीयों का फेवरिट जुमला है...जब तक सांस है, तब तक आस है.
आखिरी ओवर का रोमांच
दूसरी गेंद पर रॉस टेलर ने शमी से एक रन और झपट लिया. अब चार गेंदों में न्यूजीलैंड को चाहिए थे सिर्फ दो रन. मेरे मुंह से निकला-अब गई भैंस पानी में. अपनी तीसरी गेंद पर शमी ने विलियम्सन को केएल राहुल के हाथों लपकवाया. तीन गेंद , 2 रन. जीत की बहुत-बहुत कम उम्मीद..लेकिन दिल के एक चोर घर में उम्मीद का दीया भी जल रहा था. न्यूजीलैंड के लिए चौथी गेंद खाली गई और वो दीया और भकभकाने लगा.
पांचवीं गेंद पर सेफर्ट फिर से शमी की शॉर्ट गेंद मिस कर गए. लेकिन कमबख्त ने बिना शॉट मारे ही एक रन चुरा लिया. मुंह से निकला- अरे यार. आखिरी गेंद में सिर्फ एक रन चाहिए था. लेकिन फिर शमी ने ब्लॉकहोल में गेंद डाली और इसी के साथ न्यूजीलैंड की जीत की उम्मीद ब्लैकहोल में चली गई. रॉस टेलर आउट हुए और मैच चला गया सुपरओवर में..
वर्ल्ड कप 2019 का वो दिन याद आया जब न्यूजीलैंड को सुपरओवर टाई होने के बाद भी चैंपियन बना दिया गया. उस दिन इंग्लैंड के साथ सुपरओवर भी टाई हो गया था तो मैच में ज्यादा बाउंड्री के आधार पर न्यूजीलैंड के सिर ताज सजा. डर लगा कि कहीं ये सुपरओवर भी टाई में न चला जाए. फिर याद आया-नहीं-नहीं..ऐसा हुआ तो एक सुपरओवर फिर होगा...
अट्ठारह रन से अटकी सांस
सुपरओवर में खेलने न्यूजीलैंड के बल्लेबाज उतरे. केएन विलियम्सन और मार्टिन गप्टिल. अब तक यकीन हो चला था कि जब मैच सुपरओवर तक आ गया है, तब जीत हमारी ही होगी. कोई लॉजिक नहीं है-मेरा टोटका है. पहली दो गेंदों पर न्यूजीलैंड ने 2 रन बनाए. मैंने कहा- कोई बात नहीं. इतना तो मैनेज कर लेंगे. लेकिन तभी तीसरी गेंद पर झन्नाटेदार छक्का पड़ा. फिर चौथी पर चार रन और बने... उम्मीदें हो गईं तार-तार. चार गेंदों में 12 रन बन चुके थे. उम्मीद के दीये को पूरी तरह बुझाने के लिए 'दुश्मनों' ने पांचवी गेंद पर लेगबाई का रन तो लिया ही, आखिरी गेंद पर एक चौका और जड़ दिया. माने हमें जीत के लिए चाहिए थे एक ओवर में 18 रन.
दाईं तरफ खड़े बंदे ने कहा-नहीं हो पाएगा. मैं भी बोला-हां मुश्किल तो है. मैंने बाईं तरफ खड़े दूसरे बंदे से पूछा - भाई आज किसकी याद आ रही है. जवाब दाईं ओर से आया...सहवाग, धोनी...फिर जिससे सवाल पूछा गया था वो बोला-किसी की याद नहीं आ रही, केएल राहुल-रोहित जो है.
सुपरओवर का सुपरमैन
राहुल-रोहित को विराट कोहली ने सुपर ओवर से पार पाने के लिए भेजा था. मैच में रोहित पहले ही शानदार 65 रन बना चुके थे. टिम साउदी की पहली गेंद का सामना किया शर्मा जी के लड़के ने. 18 रन का लक्ष्य और पहली गेंद पर बने सिर्फ दो रन. वो भी गिरते पड़ते, क्योंकि दूसरा रन लेते-लेते रोहित शर्मा रन आउट होते-होते बचे. दूसरी गेंद भी लगभग जाया हो गई. सिर्फ एक रन बना. लेकिन राहुल स्ट्राइक एंड पर आए और आते ही चौका जड़ा. वो दीया फिर लपलपाया. चौथी गेंद पर राहुल ने फिर एक रन लिया.
अब हमें दो गेंदों में चाहिए थे दस रन. फिर रोहित शर्मा ने वो ताकत दिखाई जो आज टीम इंडिया के बारे में टॉकिंग प्वाइंट है. पांचवी और छठी गेंद पर रोहित ने शानदार छक्के लगा दिए. वहां से यहां तक गगनभेदी हल्ला..हम जीत गए.
12 साल बाद, जी हां पूरे 12 साल बाद भारत न्यूजीलैंड में T-20 सीरीज जीत गया. आखिरी ओवर हमारा, सुपर ओवर हमारा, मैच हमारा, सीरीज हमारी, क्योंकि शमी और रोहित शर्मा हमारे, केएल राहुल और विराट कोहली हमारे. क्रिकेट में सुपरहिट खेल हमारा. वाह क्रिकेट हमारा.
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