हैमिल्टन में लिखी गई कहानी एक बार फिर वेलिंग्टन में भी दोहरा दी गई. नतीजा एक बार फिर भारत के पक्ष में आया और हीरो एक बार फिर भारतीय गेंदबाज बने. हैमिल्टन में न्यूजीलैंड अच्छी स्थिति के बावजूद आखिरी ओवर में 9 रन नहीं बना पाया और वेलिंग्टन में भी सिर्फ 7 रन की जरूरत को पूरा नहीं कर पाया. मैच सुपर ओवर में पहुंचा और वहां भी भारत ही बेहतर टीम साबित हुआ.
हैमिल्टन में भारत के अनुभवी गेंदबाज मोहम्मद शमी के आखिरी ओवर ने भारत को हार से बचाया था, लेकिन वेलिंग्टन में ये काम टीम के 2 युवा गेंदबाजों ने अंजाम दिया.
भारत से मिले 166 रन के लक्ष्य के जवाब में न्यूजीलैंड की टीम एक बार फिर जीत के करीब पहुंचती दिख रही थी, लेकिन एक बार फिर टीम के सेट बल्लेबाज गलत वक्त पर अपना विकेट गंवा बैठे और भारतीय गेंदबाजों ने समझदारी भरी बॉलिंग कर भारत की मैच में वापसी कराई.
टीम की इस जीत के हीरो सही मायने में नवदीप सैनी और शार्दुल ठाकुर को माना जाना चाहिए, जिन्होंने अपने कम अनुभव के बावजूद आखिरी 2 ओवरों में न्यूजीलैंड से मैच छीन लिया.
नवदीप सैनी-19वां ओवर
हैमिल्टन के हीरो मोहम्मद शमी को आराम देकर भारतीय टीम ने तेज गेंदबाज नवदीप सैनी को मौका दिया था. सैनी ने पिछली कुछ सीरीज में लगातार अपनी रफ्तार के साथ टाइट लाइन पर गेंदबाजी कर सबको प्रभावित किया.
न्यूजीलैंड में सैनी को पहले 3 मैचों में कोई मौका नहीं मिला, लेकिन जब वेलिंग्टन में नंबर आया, तो उन्होंने सबसे बड़े मौके पर उसे जाया नहीं जाने दिया.
सैनी ने मैच में अपने पहले पावर-प्ले के अपने 2 ओवरों में ज्यादा छूट नहीं दी और न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों पर लगाम कसी. हालांकि उनके तीसरे ओवर में जरूर न्यूजीलैंड ने रन बटोरे. इस तरह पहले 3 ओवर में सैनी ने 25 रन दिए.
मैच के आखिरी 2 ओवरों में न्यूजीलैंड को जीत के लिए 11 रन की जरूरत थी. जसप्रीत बुमराह के 4 ओवर खत्म हो चुके थे. सैनी और शार्दुल के एक-एक ओवर बाकी थे. कप्तान कोहली ने 19वें ओवर की जिम्मेदारी सैनी को दी.
इसके बाद सैनी ने रफ्तार और ब्लॉकहोल गेंदों की बौछार कर दी. सैनी की पहली गेंद सेइफर्ट को ब्लॉकहोल लेंथ पर थी. नतीजा कोई रन नहीं. दूसरी गेंद थोड़ी छोटी रही लेकिन सेइफर्ट इसमें आउट होने से बच गए. उनके बल्ले का किनारा लेकर गेंद स्क्वेयर लेग की ओर ऊंची उठ तो गई, लेकिन 3 फील्डरों के बीच सुरक्षित गिर गई और न्यूजीलैंड ने 2 रन बटोर लिए.
इसी तरह बाकी की 4 गेंदों पर भी सैनी ने तेज गति की ब्लॉकहोल गेंद डालीं और पूरे ओवर में सिर्फ 4 रन ही आए. सैनी ने अपने 4 ओवर में 29 रन दिए और 12 गेंद डॉट रहीं.
शार्दुल का शानदार ओवर
सैनी के बेहतरीन ओवर के बावजूद टीम इंडिया के लिए जीत आसान नहीं थी. मैच अभी भी न्यूजीलैंड के पक्ष में ही झुका हुआ था, क्योंकि आखिरी 6 गेंदों में उन्हें सिर्फ 7 रन चाहिए थे. क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट के हिसाब से ये कोई बड़ी बात नहीं है.
हालांकि पिछले मैच में आखिरी ओवर में हार को टालने वाली भारतीय टीम का हौसला निश्चित तौर पर बढ़ा हुआ होगा और उन्हें इस बार भी जीत या टाई की कुछ उम्मीद रही होगी और ऐसा ही हुआ भी. बस इस बार हीरो शमी के बजाए शार्दुल थे.
शार्दुल ने भी इस मैच में 2 अच्छे ओवर डाले. हालांकि एक ओवर में कॉलिन मुनरो ने उन पर लगातार 3 बाउंड्री भी जड़ी. इसके बावजूद कप्तान कोहली ने आखिरी ओवर के लिए उन पर ही भरोसा जताया.
शार्दुल ने पहली ही गेंद पर खतरनाक रॉस टेलर का विकेट हासिल कर लिया. पहली ही गेंद पर मैच खत्म करने की टेलर की कोशिश बेकार रही और डीप मिडविकेट पर उनका ऊंचा शॉट श्रेयस अय्यर के हाथों में चला गया, जिन्होंने कोई गलती नहीं की.
दूसरी गेंद पर सेइफर्ट ने जरूर चौका जड़कर रनों का अंतर कम कर दिया, लेकिन शार्दुल की अगली गेंद थोड़ी धीमी रही और सेइफर्ट उसे छू भी नहीं पाए. बाई का रन लेने की कोशिश में सेइफर्ट अपना विकेट गंवा बैठे. राहुल का सीधा थ्रो विकेट पर जा लगा.
अगली 3 गेंदों में भी शार्दुल ने सिर्फ 2 रन दिए और 2 विकेट और निकाल लिए, जिसमें से एक रन आउट भी शामिल था. इस तरह एक बार फिर भारत ने हार के मुंह से मैच निकालकर जीत पर अपना हक साबित किया.
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