भारत और पाकिस्तान क्रिकेट की बात आते ही कुछ बातों का जिक्र सबसे पहले आता है. इनमें सबसे खास वर्ल्ड कप और सचिन तेंदुलकर. वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ रिकॉर्ड इसका कारण है. वहीं सचिन का जिक्र आने की एक से ज्यादा ही वजह हैं.
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट ने क्रिकेट की दुनिया को इसका सबसे बड़ा स्टार दिया- सचिन तेंदुलकर. सब जानते हैं कि सचिन ने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू किया था, लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि सचिन ने सबसे पहले भारत के खिलाफ मैदान में कदम रखा था- वो भी पाकिस्तान के लिए.
मुंबई में पाकिस्तान के लिए उतरे सचिन
बात 1987 की है. सचिन के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतरने से करीब ढाई साल पहले की. सचिन तब 14 साल के भी नहीं हुए थे, जब उन्होंने क्रिकेट के सबसे बड़े नामों के बीच एक ही मैदान में बतौर खिलाड़ी कदम रखा था.
जनवरी 1987 में मुंबई के ऐतिहासिक ब्रेबोर्न स्टेडियम में एक प्रदर्शनी मैच रखा गया था. मौका था क्रिकेट क्लब और इंडिया (सीसीआई) की गोल्डन जुबली का. आमने-सामने थे दो सबसे कड़े प्रतिद्वंदी- भारत और पाकिस्तान.
दरअसल, पाकिस्तानी टीम भारत दौरे पर आई थी जिसमें दोनों देशों के बीच टेस्ट सीरीज खेली जानी थी.
इस प्रैक्टिस मैच के दौरान एक वक्त आया जब पाकिस्तानी टीम के पास खिलाड़ियों की कमी हो गई. टीम के दो बड़े नाम जावेद मियांदाद और लेग स्पिनर अब्दुल कादिर मैच के दौरान लंच के लिए चले गए. ऐसे में टीम के कप्तान इमरान खान को 2 खिलाड़ियों की जरूरत पड़ी.
मैच के आयोजक सीसीआई ने इमरान की मदद के लिए जूनियर लेवल के 2 खिलाड़ियों को भेजा. इनमें से ही एक थे- सचिन तेंदुलकर. पाकिस्तानी टीम उस वक्त फील्डिंग कर रही थी और सचिन को बाउंड्री के पास फील्डिंग पर लगाया गया.
“वो एक प्रदर्शनी मैच था और पाकिस्तान के दो खिलाड़ी जावेद मियांदाद और अब्दुल कादिर लंच के लिए मैदान से बाहर चले गए थे. मुझे सब्सटीट्यूट के तौर पर उतारा गया और कप्तान इमरान खान ने वाइड लॉन्ग ऑन पर मुझे लगाया.”सचिन तेंदुलकर, आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ में
कैच ने पकड़ पाने की निराशा
इसी दौरान सचिन की ओर एक कैच आया, जिसको लपकने के लिए सिर्फ 13 साल के सचिन ने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिनल कड़ी मशक्कत के बावजूद भी वो उसे नहीं पकड़ पाए. सचिन इस बात से काफी निराश थे और अपने दोस्त से इस बात की शिकायत करते रहे.
“कुछ ही मिनट बाद कपिल देव ने एक ऊंचा शॉट मारा. मैं करीब 15 मीटर तक दौड़ा और उसके बावजूद बॉल तक नहीं पहुंच पाया. मुझे याद है कि शाम को जब वापस घर जा रहा था तो ट्रेन में मैं अपने दोस्त मार्कस कूटो से इसकी शिकाय कर रहा था कि अगर मुझे लॉन्ग ऑन के बजाए मिड ऑन में लगाया होता तो मैं कैच ले लेता.”सचिन तेंदुलकर, आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ में
1987 में ही सचिन को मुंबई की रणजी टीम में शामिल किया गया लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला. एक साल बाद 1988 में आखिर सचिन ने रणजी में डेब्यू किया और पहले ही मैच में शतक जड़ दिया. उस सीजन में सचिन रणजी में मुंबई के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने.
इसका नतीजा मिला और 1989 के पाकिस्तान दौर के लिए 16 साल के इस नए लड़के को भारतीय टीम में चुना गया. सचिन ने नवंबर 1989 को कराची में हुए पहले टेस्ट में डेब्यू किया, लेकिन सिर्फ एक पारी खेली और 15 रन ही बना सके. हालांकि, अगले 3 टेस्ट में सचिन ने दो अर्धशतक लगाए और अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने रखा.
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