भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket Team) फैंस ड्रीम इलेवन पर टीम बनाने में काफी एक्सपर्ट माने जाते हैं तो मैं आपके प्लेइंग 11 प्रीडिक्शन का एक छोटा-सा टेस्ट लेकर आया हूं. मैं आपको 2 तस्वीरें दिखाता हूं, आपको बताना है कि T20 वर्ल्ड कप की टीम में आप किसे शामिल करेंगे...दिनेश कार्तिक या ऋषभ पंत, भुवनेश्वर कुमार या अर्शदीप, रवि बिश्नोई या युजवेंद्र चहल? हो सकता है ये गुत्थी आपने सुलझा ली हो, लेकिन अफसोस गांगुली, द्रविड़ और रोहित शर्मा किसी भूल-भुलैया में फंस गए हैं. आज खेलपंती में इसी भूल-भुलैया की चर्चा करते हैं.
अंग्रेजी की एक बड़ी प्रचलित लाईन है- "having too much in your hand is also a kind of imprisonment" मतलब जब हाथ में जरूरत से ज्यादा हो तो इंसान कैदी बन जाता है. IPC के किसी सेक्शन वाला कैदी नहीं बल्कि अपनी ही परिस्थितियों में कैद हो जाता है, वो चुन नहीं पाता कि कौन सा बेस्ट है. ठीक यही हालत इस समय भारतीय किकेट की है. एक-दो नहीं बल्कि कई अनसुलझे सवाल हैं.
खिलाड़ियों की रेल, सब सवार हो जाओ!
पिछले साल T20 वर्ल्ड कप में मिली करारी हार के बाद से एशिया कप तक भारतीय टीम ने 29 T20 मैच खेले और 28 प्लेयर्स का प्रयोग कर लिया. इतना ही नहीं तीनों फॉर्मेट में 8 कप्तानों का प्रयोग हो चुका है. विराट कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन, केएल राहुल, अजिंक्य रहाणे, हार्दिक पांड्या, ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह...इन सब के प्रोफाइल में कप्तान जुड़ चुका है. लेकिन उतावलेपन की हद देखिए,
ऋषभ पंत जून में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 T20 मैचों में भारतीय टीम के कप्तान थे, लेकिन अब चर्चा इस बात की हो रही है कि पंत को टीम में रखें या दिनेश कार्तिक को, कौन बेहतर फिनिशर है?
मतलब की हमारा एक खिलाड़ी कप्तान बनने लायक है और वही खिलाड़ी टीम में रहने लायक भी नहीं. कुछ यही कहानी शिखर धवन की भी हो गई है. वैसे भी 58 अंतरराष्ट्रीय T20 खेल चुके पंत का स्ट्राइक रेट सिर्फ 126 का है और औसत लगभग 24 रन का. भारतीय टीम इससे तो बेहतर फिनिशर ही डिजर्व करती है.
फिनिशर कौन? चयनकर्ता मौन!
अब बात फिनिशर की हुई तो यहां भी जलेबी ही दिख रही है. ये जलेबी घुमावदार जरूर है, लेकिन स्वादिष्ट बिल्कुल नहीं. दीपक हुड्डा को टीम में बतौर स्पिन ऑलाउंडर शामिल किया गया, लेकिन 12 T20 मैच खेल चुके हुड्डा से अब तक सिर्फ 36 गेंदे फिकवाईं गई. यानी एक मैच में औसतन सिर्फ 3 गेंद. दूसरे एंगल से लगता है कि हुड्डा को एक फिनिशर के रूप में शामिल किया जा रहा है.
लेकिन पंत और कार्तिक में से किसी एक को आप फिनिशर के तौर पर रखेंगे और दूसरे फिनिशर हार्दिक पांड्या हैं ही, फिर हुड्डा को आप खिलाएंगे कहां? और बड़ा सवाल कि आप हुड्डा से करवाना क्या चाहते हैं? या सिर्फ ये कहें कि खिलाड़ियों की रेल में एक सवारी बनाकर बिठा दो ताकि लगे हम कुछ नया प्रयोग कर रहे हैं.
बॉलिंग में पहेली!
बॉलिंग की गुत्थी तो और भी अनसुलझी है. हमने आपको 21 अगस्त की खेलपंती में बताया था कि भारतीय टीम सिर्फ 3 तेज गेंदबाजों के साथ एशिया कप में खेलने जा रही है जिसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इसका खामियाज ये हुआ कि एशिया कप में 2 अहम मैचों में हम अपना 180 रन के करीब का टोटल भी डिफेंड नहीं कर पाए. खैर ये तो बीत चुका है अब आने वाले खतरे से मिलवाते हैं. जसप्रीत बुमराह अब T20 वर्ल्ड के लिए टीम में लौटेंगे लेकिन सवाल ये कि बुमराह के बाद मैच में दूसरा विकेट टेकिंग बॉलर कौन होगा?
बुमराह और हर्षल पटेल के अलावा तीसरे तेज गेंजबाज के रूप में भुवनेश्वर और अर्शदीप में से कोई एक शामिल किया जा सकता है. श्रीलंका और अफगानिस्तान दोनों के खिलाफ भूवी को 19 वां ओवर दिया गया था एक में उन्होंने 14 रन लुटाए तो एक में 19 रन. मतलब साफ है कि डेथ में इनसे गेंदबाजी की उम्मीद कम ही करें तो बेहतर. हां, इस डेथ बॉलिंग में अर्शदीप ने जरूर प्रभावित किया है.
तेज गेंदबाजी के अलावा स्पिन का भी कुछ यही हाल है. पिछले 15 मैचों में भारत ने 6 स्पिनर ट्राई किए, लेकिन सबसे मेन स्पिनर जडेजा अब चोटिल होकर चयन से बाहर हो चुके हैं, बाकि बचे अक्षर पटेल, रवि बिश्नोई, युजवेंद्र चहल, अश्विन सबका ऐसे प्रयोग किया गया कि हर कोई मेन स्पिनर्स लग रहा है. इनको देखकर ऐसा लगता है कि पिछले एक साल में भारतीय टीम ने एक सेटल्ड टीम बनाने की कोशिश कम की और खिलाड़ियों के ऑडिशन ज्यादा लिए हैं.
प्रयोग अभी बंद नहीं होगा
कोई भी कह सकता है कि शायद परिस्थितियां ही ऐसी थी कि भारतीय टीम को नए खिलाड़ी खिलाने पड़े, लेकिन नहीं राहुल द्रविड़ ने साफ कर दिया है कि हम तो प्रयोग कर रहे थे और रोहित शर्मा ने कह दिया है कि अभी ये प्रयोग रुकने वाले नहीं हैं. देखिए रोहित ने क्या कहा है,
‘‘अगर हमें कॉम्बीनेशन आजमाने का मौका मिलता है तो हम आजमाएंगे. इसमें मुश्किलों का सामना करना पड़े तो भी कोई समस्या नहीं, हम प्रयोग करना जारी रखेंगे...हम साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया सीरीज में और खिलाड़ियों को मौका देंगे जब तक T20 वर्ल्ड कप के स्कॉड का ऐलान नही हो जाता."
यहां मौका देना समस्या नहीं है, लेकिन फिर उस खिलाड़ी को पर्याप्त मौके तो दीजिए, टेस्टिंग के नाम पर आप पूरे साल टीम नहीं बदलते रह सकते. इसका नतीजा ये होगा कि आप अंत में अपने 11 में कुछ खिलाड़ियों को तुक्का मारकर चुनेंगे.
कोहली संभाल लेंगे?
खैर, अब आप कह रहे होंगे कि मैंने कुछ ज्यादा ही आलोचना कर दी लेकिन एक अच्छी चीज भी है. भारतीय रन मशीन ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है. कोहली 'विराट' फॉर्म में लौट चुके हैं. अफगानिस्तान के खिलाफ शतक के बाद कोहली से जुड़े कई नए फैक्टस आए.
विराट ने अंतरराष्ट्रीय करियर 71 वां शतक जड़ा
विराट अब सबसे ज्यादा शतक में सिर्फ सचिन से पीछे हैं.
कोहली ने 522 पारियों में 71 शतक लगाए, दुनिया में सबसे तेज
अंतरराष्ट्रीय करियर में 24,000 रन पूरे, दुनिया में सबसे तेज
एशिया कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज बने कोहली
विराट के 122 रन अंतरराष्ट्रीय T20 में किसी भी भारतीय बैटर का सबसे बड़ा व्यक्तिग स्कोर है.
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