ये सोचकर भी हैरानी होती है कि आईपीएल में धोनी की टीम को कामयाबी दिलाने वाले ज्यादातर खिलाड़ी या तो अंतर्राष्ट्रीय करियर को अलविदा कह चुके हैं या अलविदा कहने की कगार पर हैं.
आईपीएल के इतिहास में धोनी सबसे ज्यादा तीन खिताब जीतने वाले कप्तान हैं. तीनों सीजन में उनकी टीम की कामयाबी में ऐसे ही खिलाड़ियों का योगदान सबसे ज्यादा रहा है. इस सीजन में भी अब तक खेले गए 5 मैचों में से धोनी की टीम चार मैच जीत चुकी है. इन चारों मैच में जीत दिलाने वाले खिलाड़ी 37 साल से ज्यादा की उम्र के हैं.
अब याद कीजिए धोनी का वो समय जब वो टीम इंडिया की कप्तानी करते थे. उन्होंने टीम में हमेशा ‘यंगिस्तान’ की वकालत की. यहां तक कि सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और अनिल कुंबले जैसे खिलाड़ियों के ‘रिटायरमेंट’ को लेकर बहुत लोगों ने कहा कि इसके पीछे धोनी का ही हाथ था. इन आरोपों से बेखबर धोनी ने नए नए खिलाड़ियों के साथ अपनी टीम बनाई और एक के बाद एक बड़े खिताब जीतते चले गए.
उनकी जिंदगी पर बनी फिल्म में भी दिखाया गया कि उन्होंने ही टीम इंडिया को बेहतर फील्डिंग साइड बनाने के लिए यंगिस्तान की पैरवी की थी. उस यंगिस्तान की बदौलत ही उन्होंने टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप जीता था. चलिए अब वापस आते हैं 2019 आईपीएल पर, अब तक खेले गए मैचों के ये दिलचस्प आंकड़े देखिए
धोनी के उम्रदराज खिलाड़ियों की दबंगई
ये कहानी सिर्फ कागजों पर नहीं रिकॉर्ड बुक में दर्ज है. धोनी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं. शेन वॉटसन ने 2016 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था. हरभजन सिंह लंबे समय से टीम इंडिया से बाहर हैं और सिर्फ आईपीएल या इक्का दुक्का घरेलू मैचों में नजर आते हैं.
इन खिलाडियों के अलावा चेन्नई की टीम में फाफ डुप्लेसिस करीब 35 साल के हैं. जबरदस्त फॉर्म में चल रहे इमरान ताहिर तो 40 पार के हैं. बावजूद इसके धोनी की टीम का सिक्का जमा हुआ है. पहले पांच में से चार मैच जीतकर चेन्नई की टीम ने साफ कर दिया है कि ‘प्लेऑफ’ के लिए उनकी दावेदारी काफी मजबूत है.
खिताबी जीत में भी वॉट्सन का रहा है योगदान
ये जानकारी भी दिलचस्प है कि अब तक चेन्नई की टीम ने आईपीएल के जो तीन खिताब जीते उसमें भी बड़ा खिताब शेन वॉट्सन की बदौलत जीता था. 2018 में जब चेन्नई की टीम 2 साल के प्रतिबंध के बाद आईपीएल में चैंपियन बनी तो शेन वॉट्सन उस जीत के स्टार थे. फाइनल मैच में उन्होंने 57 गेंद पर 117 रनों की नॉट आउट पारी खेली थी.
इससे पहले 2010 में जब चेन्नई ने आईपीएल का खिताब पहली बार जीता था तब फाइनल में मैन ऑफ द मैच थे सुरेश रैना. जो उस वक्त करीब 24 साल के थे. 2011 में मुरली विजय ने फाइनल में चेन्नई को जीत दिलाई थी जो उस वक्त करीब 27 साल के थे. आप चाहें तो इसे धोनी की कप्तानी का कमाल कह सकते हैं. वो यंगिस्तान के साथ जीतना जानते हैं और ओल्डिस्तान के साथ भी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)