इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 12वें सीजन की आखिरी जंग उन दो टीमों के बीच होनी है, जो तीन-तीन बार खिताब जीत चुकी हैं और चौथी बार फाइनल में पहुंची हैं. रविवार को होने वाले फाइनल में आईपीएल खिताब के लिए गत विजेता चेन्नई सुपरकिंग्स का सामना मुंबई इंडियंस से होगा.
दोनों टीमें चौथी बार फाइनल में आमने-सामने हैं. आईपीएल इतिहास की सबसे सफल दो टीमों के बीच की यह जंग निश्चित तौर पर रोचक होगी, लेकिन इतिहास चेन्नई को डरा सकता है. इन दोनों टीमों के बीच हुए बीते तीन फाइनल मैचों में से दो में मुंबई को जीत मिली है तो वहीं एक बार चेन्नई जीत हासिल करने में सफल रही है.
चेन्नई के लिए क्या है डर की बात
चेन्नई को एक ऐसी टीम माना जाता है जो ग्रुप स्टेज में दमदार खेल दिखाती है. वहीं मुंबई को धीमी शुरुआत करने वाली टीम के तौर पर देखा जाता है. मुंबई ने धीमी शुरुआत के बाद वापसी की तो चेन्नई शुरू से प्वाइंट्स टेबल में पहले स्थान पर थी और प्लेऑफ में जाने वाली पहली टीम बन गई थी. मुंबई ने बाद में चेन्नई से पहला स्थान छीन लिया.
चेन्नई के लिए एक और डर की बात ये है कि इस मैच से पहले दोनों टीमें इसी सीजन में तीन बार आमने-सामने हो चुकी हैं और तीनों बार मुंबई को जीत मिली है. दो बार ग्रुप स्टेज में तो एक बार क्वीलाफायर-1 में मुंबई ने चेन्नई को हराया है.
क्या मुंबई का पलड़ा भारी है?
चेन्नई ने जिस तरह से क्वालीफायर-2 में दिल्ली कैपिटल्स को मात दी उसे देखकर फाइनल में मुंबई का पलड़ा भारी है ये कहना गलत होगा. चेन्नई के स्पिनरों ने दमदार प्रदर्शन करते हुए दिल्ली को 20 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 147 रनों से आगे नहीं जाने दिया. इस टारगेट को उसने शेन वाॉट्सन और फाफ डुप्लेसी की ओर से दी गई पहली शुरुआत के दम पर हासिल कर लिया.
ये ऐसा सच है जो हर सीजन में देखने को मिला है. ऐसी कोई वजह सामने नहीं आती, जिससे लगे कि फाइनल किसी भी तरह से अलग होगा, लेकिन ये अब उस बात पर निर्भर है कि कौन बड़े दिन के दबाव को झेल पाता है.
मुंबई भी आठवीं बार फाइनल में पहुंची चेन्नई को हल्के में नहीं ले सकती है क्योंकि चेन्नई के पास वो कप्तान महेंद्र सिंह धोनी है जो बड़े मैचों में टीम को जीत दिलाने के आदि हैं.
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