IPL Auction 2022: 12 और 13 फरवरी को आईपीएल (IPL 2022 Auction) की मेगा नीलामी में तय हो जाएगा कि कौन-सा खिलाड़ी किस टीम के लिए खेलेगा. नीलामी में सभी 10 फ्रेंचाइजी हिस्सा लेंगी जो अपने लिए एक बेहतरीन स्क्वॉड बनाने की कोशिश करेंगी. लेकिन, इस मेगा आईपीएल ऑक्शन से पहले इसके नियमों को समझना भी अहम है. हम आपको ऐसे ही कुछ रोचक नियम बताते हैं.
क्या फ्रैंचाइजी पहले से तय करके आती हैं कि उनकी टीम में कौन-से खिलाड़ी होंगे ?
आमतौर पर टीमें ये तय करके आती हैं कि वो किन खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल करना चाहती हैं और ये खिलाड़ी उन्हें नहीं मिल पाते तो इनका बैकअप ऑप्शन भी तैयार रहता है. टीमें ऐसा सिर्फ अपनी सुविधा के लिए करती हैं, बाकी इससे नीलामी प्रक्रिया पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
एक फ्रेंचाइजी कितने खिलाड़ियों को खरीद सकती है.
एक फ्रेंचाइजी के पास ज्यादा से ज्यादा 25 खिलाड़ी हो सकते हैं. ध्यान देने की बात ये है कि मेगा ऑक्शन से पहले ही हर फ्रेंचाइजी ने 2 से 4 खिलाड़ी रिटेन किए हैं, तो अब ये जंग 21 से 23 खिलाड़ी चुनने की है.
ज्यादा से ज्यादा कितना पैसा ऑक्शन में खर्च किया जा सकता है?
ऑक्शन में एक फ्रेंचाइजी ज्यादा से ज्यादा 90 करोड़ रूपये खर्च कर सकती है, लेकिन टीमों ने अपने खिलाड़ियों को रिटेन करने में भारी रकम खर्च की है तो अब बचे हुए पर्स के साथ ही उन्हें ऑक्शन में उतरना होगा.
मिनी ऑक्शन और मेगा ऑक्शन में क्या फर्क है?
मिनी ऑक्शन हर साल होता है. टीम जिन खिलाड़ियों को रिलीज करती हैं उन्हें मिनी ऑक्शन के जरिए दूसरी टीमों लिए खेलने का मौका मिलता है. इसमें कम खिलाड़ियों को चुना जाता है, टीम के ज्यादातर खिलाड़ी पुराने ही होते हैं. लेकिन मेगा ऑक्शन (जो इस बार होने जा रहा है) में बहुत सारे खिलाड़ी भाग लेते हैं और लंबे समय के लिए टीम के साथ जुड़ते हैं. जैसे इस साल मेगा ऑक्शन में जो खिलाड़ी चुने जाएंगे वो 3 साल तक टीम का हिस्सा होंगे.
कैसे होती है आईपीएल की नीलामी?
किसी भी नीलामी की तरह आईपीएल में भी एक अधिकारी (नीलामीकर्ता) क्रिकेटर के नाम, उसकी विशेषता (गेंदबाज/बल्लेबाज/ऑलराउंडर), देश और बेस प्राइज की घोषणा करता है. इसके बाद फ्रेंचाइजी खिलाड़ी के लिए बोली लगाते हैं, जिसकी शुरुआत बेस प्राइस से होती है.
आमतौर पर तीन बार कॉल करने के बाद ही यदि कोई और बोली नहीं लगाता है तो बोली समाप्त हो जाती है. जिस रकम पर खिलाड़ी की बोली रुक जाती है उसे अंतिम रकम मानकर खिलाड़ी के बिकने की घोषणा हो जाती है.
जो खिलाड़ी नहीं बिके क्या उनके लिए फिर से बोली लगाई जा सकती है?
जिन खिलाडियों के लिए कोई टीम बोली नहीं लगाती उन्हें अंसोल्ड खिलाड़ी (Unsold Players) घोषित कर दिया जाता है. अंसोल्ड खिलाडियों को फिर से ऑक्शन में लाया जा सकता है, यदि टीमें उनमें रुचि दिखाती हैं. टीमें ऐसे खिलाड़ियों को खरीदने के लिए उनकी एक लिस्ट BCCI को सौंपती हैं. इसके बाद उस लिस्ट में से खिलाडियों का एक और राउंड का ऑक्शन किया जाता है. इसमें ज्यादातर खिलाड़ियों को बेस प्राइज पर ही खरीद लिया जाता है.
क्या अंसोल्ड खिलाड़ी ऑक्शन के बाद भी आईपीएल में खेल सकते हैं?
हां, यदि कोई फ्रेंचाइजी चोटिल या अनुपस्थित खिलाडियों की जगह नए खिलाड़ी टीम में जोड़ना चाहे तो वे अंसोल्ड खिलाड़ियों की लिस्ट में से चुन कर सकते हैं. ऐसे में उन खिलाड़ियों को भी खेलने का मौका मिल सकता है जिनपर ऑक्शन में किसी ने ध्यान नहीं दिया.
'मैच कार्ड अधिकार' क्या होता है?
दरअसल, 'मैच कार्ड अधिकार' फ्रेंचाइजी के पास एक ऐसा आधिकार होता है जिसके जरिए वो अपने पुराने खिलाड़ियों को वापिस पा सकती है. एक बार सबसे बड़ी बोली लगने के बाद, जिस फ्रेंचाइजी के साथ उस खिलाड़ी का पहले कॉन्ट्रैक्ट था, उसे उस बोली पर खिलाड़ी को पाने का विकल्प दिया जाता है. बशर्ते यदि वे कार्ड मैच के अपने अधिकार का उपयोग करना चाहें. यदि नहीं, तो सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली टीम खिलाड़ी को रख लेती है.
हालांकि, 2022 की आईपीएल नीलामी में दो नई टीमों को ये आधिकार नहीं दिया जाएगा.
क्या खिलाड़ियों को पूरे पैसे दिए जाते हैं?
अगर कोई खिलाड़ी तीन साल के बॉन्ड पर 7 करोड़ रुपये में खरीदा जाता है, तो वो खिलाड़ी हर साल 7 करोड़ रुपये पाने का हकदार होता है. खिलाड़ी बॉन्ड पूरा होने से पहले ही रिलीज की भी मांग कर सकता है.
यदि कोई खिलाड़ी पूरे सीजन के लिए उपलब्ध है, तो फ्रेंचाइजी को पूरी राशि का भुगतान करना होगा, चाहे वह कितने भी मैच खेले. यदि कोई खिलाड़ी किसी सीजन से पहले ही चोट के कारण बाहर हो जाता है, तो फ्रेंचाइजी खिलाड़ी को भुगतान नहीं करती है.
यदि खिलाड़ी कुछ ही मैचों के लिए उपलब्ध है, तो उसे उसी आनुपात में पैसा दिया दिया जाता है, आमतौर पर 10% रिटेनर राशि रख ली जाती है.
यदि टीम किसी खिलाड़ी को उसका बॉन्ड पूरा होने से पहले छोड़ देती है, तो वे उसे उसके पूरे समय के लिए भुगतान करते हैं. यदि कोई खिलाड़ी टूर्नामेंट के दौरान घायल हो जाता है, तो फ्रेंचाइजी को मेडिकल कवर करना पड़ता है.
स्टार क्रिकेटरों पर फ्रेंचाइजी कितना खर्चा करती हैं?
स्टार क्रिकेटरों को हथियाने लिए फ्रेंचाइजी अपनी कुल राशि का लगभग 40% खर्च करती हैं, बाकी रकम से बचे हुए खिलाड़ियों को खरीदकर अपना स्क्वॉड पूरा किया जाता है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)