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IPL AUCTION: पिता ने दूध बेचा, वैन चलाई, अब बेटा बना करोड़पति

प्रियम गर्ग को हैदराबाद की टीम ने खरीदा है 

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हर साल आईपीएल की नीलामी में कई नए खिलाड़ी आते है, जिन पर टीमें दाव लगाती हैं. इनमें से कई मायूस लौटते हैं, तो कई अपनी किस्मत को चमका जाते हैं. नामी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से ज्यादा ध्यान अगर किसी पर रहता है, तो वो अनजान चेहरे होते हैं, जो अभी क्रिकेट की डायरी में अपना नाम लिखवा ही रहे होते हैं. इस लिस्ट में अब 19 साल के प्रियम गर्ग का नाम भी जुड़ गया है.

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सनराइजर्स हैदराबाद ने भारत की अंडर-19 टीम के कप्तान प्रियम गर्ग को खरीद लिया है. प्रियम गर्ग पर 1.9 करोड़ रुपये हैदराबाद ने खर्च किए.  

प्रियम भारत के उसी हिस्से (यूपी, मेरठ) से आते हैं, जहां से पिछले एक दशक में दो बेहतरीन तेज गेंदबाज, प्रवीण कुमार और भुवनेश्वर कुमार, भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

बस फर्क ये है कि प्रियम एक बल्लेबाज हैं और बल्ले से वो अपना जोर दिखा चुके हैं. प्रियम पहले ही उत्तर प्रदेश की सीनियर टीम का हिस्सा बन चुके हैं. उन्होंने अपने पहले ही रणजी सीजन (2018-19) में उत्तर प्रदेश के लिए सबसे ज्यादा 867 रन बनाए थे, जिसमें एक दोहरा शतक और दो शतक भी शामिल थे.

और इसी प्रदर्शन का नतीजा है कि वो साउथ अफ्रीका में जनवरी 2020 में होने वाले अंडर-19 क्रिकेट टीम में भारतीय टीम की कप्तानी करेंगे.

विराट कोहली, उन्मुक्त चंद और पृथ्वी शॉ जैसे अंडर-19 कप्तानों ने जल्द आईपीएल में अपनी जगह बनाई और ट्रेंड को देखते हुए प्रियम गर्ग पर भी नजरें टिकना लाजमी है. जनवरी में टीम इंडिया की कप्तानी से पहले 19 दिसंबर को उनके हाथ में एक शानदार आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट हो सकता है.

और ये कॉन्ट्रैक्ट उस लड़के के लिए बेहद अहम रहेगा, जिसने अभावों में जिंदगी गुजारी और पिता के बलिदान से यहां तक पहुंचा.

टीवी शोरूम के सामने खड़े होकर सचिन को खेलते देखा

मुश्किल आर्थिक हालात के बावजूद प्रियम अगर इस मुकाम तक पहुंचे हैं तो इसमें उनके पिता की भी बड़ी मेहनत है. प्रियम को क्रिकेट में बड़े स्तर तक पहुंचाने के लिए उनके पिता ने दूध बेचने से लेकर स्कूल वैन चलाने तक कई काम किए, ताकि आर्थिक तंगी के कारण प्रियम क्रिकेट से दूर न रह जाए.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रियम ने कहा कि उनके पिता ने कई तरह के काम किए ताकि वो एक दिन वो क्रिकेटर बन सके.

“मेरे पिता ने काफी कड़ी मेहनत की, उन्होंने हर तरह के काम किए...दूध बेचा, स्कूल वैन चलाई, बोझा उठाया, ताकि मुझे एक अच्छी जिंदगी मिल सके. वो मुझे एक दिन क्रिकेटर बनते देखना चाहते थे इसलिए उन्होंने ये सब किया.”  
प्रियम गर्ग (इंडियन एक्स्प्रेस से बातचीत में)
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इतना ही नहीं, प्रियम के पिता उन्हें उनके घर से करीब 20 किलोमीटर दूर मेरठ की एक क्रिकेट एकेडमी में ले जाते थे. इसी एकेडमी ने भारत को प्रवीण कुमार और भुवनेश्वर कुमार जैसे क्रिकेटर दिए.

प्रियम ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था और ऐसे में उनके पिता और बड़ी बहनों ने उनको ये कमी पूरी नहीं होने दी और क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने में पूरा साथ दिया.

भारत की एक पूरी पीढ़ी को क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ही प्रियम के लिए भी बल्ला और गेंद उठाने का कारण बने. सचिन को अपना आदर्श मानने वाले प्रियम कहते हैं कि सचिन को खेलता देखना आसान नहीं था क्योंकि घर में टीवी नहीं था.

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भारत की एक पूरी पीढ़ी को क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ही प्रियम के लिए भी बल्ला और गेंद उठाने का कारण बने.सचिन को अपना आदर्श मानने वाले प्रियम कहते हैं कि सचिन को खेलता देखना आसान नहीं था क्योंकि घर में टीवी नहीं था.
प्रियम गर्ग (इंडियन एक्स्प्रेस से बातचीत में)

ये प्रियम का टैलेंट ही है जिसे देखकर भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने उनके पिता नरेश गर्ग को भरोसा दिलाया था कि वो एक दिन बड़ा खिलाड़ी बनेगा.

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