पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया को जीत के लिए चौथी पारी में 287 रन चाहिए थे. लक्ष्य बहुत मुश्किल था. उम्मीद की थोड़ी-बहुत किरण तब ही जग सकती थी, जब सलामी जोड़ी पचास-साठ रन की साझेदारी करे. भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी मुरली विजय और केएल राहुल जब बल्लेबाजी करने के लिए आए, तो यही चर्चा हर तरफ हो भी रही थी.
अफसोस, ये चर्चा बस चर्चा ही रह गई. पहले ही ओवर में केएल राहुल बोल्ड हो गए. मिचेल स्टार्क की जिस गेंद पर केएल राहुल बोल्ड हुए, वो विकेट के काफी बाहर थी. केएल राहुल ने अपना मन तो बना लिया कि वो उस गेंद के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे, लेकिन समय रहते बल्ला नहीं हटा पाए. नतीजा ये हुआ कि गेंद ने बल्ले को छूते हुए विकेट का रास्ता पकड़ लिया और केएल राहुल बोल्ड हो गए.
पहले ही ओवर में उनके बोल्ड होकर लौटने के बाद ही टीम इंडिया पर 287 रन का बोझ पांच सौ रन के बोझ की तरह लगने लगा.
आपको याद दिला दें कि इस टेस्ट मैच की पहली पारी में जब टीम इंडिया पर अपेक्षाकृत कम दबाव था, तब भी केएल राहुल सिर्फ 2 रन बनाकर पवेलियन लौट गए थे.
इन परिस्थितियों में सवाल उठना लाजिमी है कि केएल राहुल किस आधार पर टीम में बने हुए हैं? अव्वल तो ये सवाल बतौर कप्तान विराट कोहली को केएल राहुल से पूछना चाहिए. वो न पूछ पा रहे हों, तो ये काम बतौर कोच रवि शास्त्री को करना चाहिए, क्योंकि अगर दोनों ने ये काम नहीं किया, तो वो दिन दूर नहीं, जब करोड़ों क्रिकेट फैंस इसी सवाल पर विराट और शास्त्री की जोड़ी को कटघरे में खड़ा करेंगे. ऐसा इसलिए, क्योंकि अब पानी सर के ऊपर चला गया है.
केएल राहुल की नाकामी का दौर कुछ ज्यादा ही लंबा खिंच गया है. दुनिया का बड़े से बड़ा बल्लेबाज आउट ऑफ फॉर्म होता है. लेकिन अगर उसकी नाकामी का दौर लंबा चल जाए, तो फिर टीम में उसकी जगह नहीं बचती. उसे टीम से बाहर भेंजकर नेट पर पसीना बहाने को कहा जाता है.
केएल राहुल इस मामले में अपवाद हैं. उनके बल्ले से रन नहीं निकलते और वो प्लेइंग 11 से नहीं निकलते. विराट कोहली जाने किस जन्म की दोस्ती केएल राहुल से निभा रहे हैं. राहुल के आंकड़े बताते हैं कि टीम इंडिया के प्लेइंग 11 में उनकी जगह अब नहीं बनती. उनके विकल्प पर विराट कोहली को काम करना ही होगा. राहुल के इस साल के आंकड़ों को थोड़ा विस्तार से देखते हैं.
अब आपको याद दिला दें कि इंग्लैंड में जो एक टेस्ट शतक केएल राहुल ने जमाया, उसकी टीम इंडिया के लिए कोई उपयोगिता नहीं थी. सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच में उनके शतक के बाद भी टीम इंडिया मैच हार गई थी. अलबत्ता अगर केएल राहुल ने वो मैच ड्रॉ करा लिया होता, तो टीम इंडिया के लिए ज्यादा बेहतर स्थिति रहती.
अगर इस साल अब तक उनके बल्ले से निकले 468 रनों में से वो 149 रन हटा दिए जाएं, तो हालात और भी गंभीर हो जाते हैं. तब इस साल खेले गए टेस्ट मैचों में केएल राहुल के खाते में सवा तीन सौ रन ही रह जाएंगे.
टीम में रहेंगे, तो करेंगे अपना ही नुकसान
इस खराब प्रदर्शन के बाद भी विराट कोहली केएल राहुल को टीम में बनाए हुए थे. इसकी एक बड़ी वजह ये थी कि केएल राहुल में वो प्रतिभा है कि वो तीनों फॉर्मेट में खेल सकते हैं. इसी आधार पर उन्हें जरूरत से ज्यादा मौके मिलते चले गए. लेकिन अब वो वक्त है, जब केएल राहुल को वापस अपने कोच के पास जाना होगा.
उन्हें नेट पर पसीना बहाना होगा. समझना होगा कि आखिर बार-बार गलती कहां हो रही है, क्यों हो रही है. क्योंकि फिलहाल तो एक बल्लेबाज के तौर पर केएल राहुल का न तो बल्ला चल रहा है, न पैर चल रहा है और न ही दिमाग. ऐसे में कुछ-एक पारियों में और फ्लॉप होने के बाद उनके करियर पर ही संकट के बादल मंडराने लगेंगे. उनके करियर के लिए अच्छा है कि वो कुछ दिन मैदान से दूर रहें.
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