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‘रन मशीन’ बनने से पहले 18 साल के विराट कोहली का सबसे पहला इंटरव्यू

विराट कोहली ने 2007 के वर्ल्ड कप से पहले अपना पहला इंटरव्यू दिया था.

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(वीडियो एडिटरः मोहम्मद इरशाद आलम & अभिषेक शर्मा )

(वीडियो सौजन्यः भारतीय विद्या भवन)

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क्रिकेट की दुनिया का सबसे बड़ा सितारा और तीनों फॉर्मेट में भारतीय टीम को दुनिया की सबसे बेहतरीन टीम बनाने में जुटा कप्तान.

मौजूदा दौर में विराट कोहली की यही पहचान है. मैच दर मैच और सीरीज दर सीरीज नए रिकॉर्ड्स बनाने वाले कोहली आज के क्रिकेट की सबसे खतरनाक और सबसे सफल ‘रन मशीन’ हैं. अपने रिकॉर्ड्स और प्रदर्शन के कारण आज विराट सिर्फ विराट कोहली नहीं हैं, बल्कि वो ‘किंग कोहली’ बन चुके हैं.

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आज दुनिया के युवा क्रिकेटरों को प्रेरित करने वाले कोहली खुद जब युवा थे तब भी वो अपने विचारों को लेकर बेहद साफ थे. अंडर-19 क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियन बनने से पहले, 2011 में वर्ल्ड चैंपियन बनने से पहले और रिकॉर्ड्स के शिखर पर बैठने से भी पहले और आज कैमरा के सामने के स्टार बनने से पहले विराट कोहली ने 18 साल की उम्र में पहली बार कैमरे के सामने इंटरव्यू दिया था.

2007 में वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के वेस्टइंडीज रवाना होने से पहले विराट कोहली ने दिल्ली की रणजी टीम के अपने साथी पुनीत बिष्ट के साथ टीम इंडिया को लेकर चर्चा की. यहां पढ़िए इंटरव्यू का हिस्सा.

रिपोर्टरः अगर बैटिंग और बॉलिंग की बात की जाए, आपको लगता है कि भारतीय टीम में बैलेंस है?

विराटः बैलेंस तो टीम का बना हुआ है. पूरा बैलेंस बनाकर बॉलिंग-बैटिंग को ध्यान में रखकर ही टीम को लेकर गए हैं. ये जरूरी है कि कैसे टीम फील्ड में एक साथ मिलकर प्रदर्शन करते हैं.

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रिपोर्टर- विराट आपसे जानना चाहूंगा, पिछला शतक सहवाग ने 2 अप्रैल 2005 में बनाया था. लगभग 2 साल पहले. ऐसे में वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में उनको लेकर जा रहे हैं. क्या आप इसे सही मानते हैं? उथप्पा जैसे प्लेयर को ले जा रहे हैं. दो-दो ओपनर्स हैं- गांगुली हैं, सचिन हैं. चारों खिलाड़ी ओपनिंग कर सकते हैं. क्या सहवाग को ले जाना ठीक है?

विराट- मैं मानता हूं कि द्रविड़ की तरफ से सही फैसला है. वर्ल्ड कप एक बड़ा टूर्नामेंट है. वहां आपको अनुभव की जरूरत होती है. आप युवा खिलाड़ियों के भरोसे नहीं रह सकते. मेरे हिसाब से ठीक फैसला है, क्योंकि वो बहुत अनुभवी हैं और भारत के लिए काफी रन बना चुके हैं.

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रिपोर्टर- भारत पांच गेंदबाजों को खिलाने का दम क्यों नहीं रखता? हमेशा हम देखते हैं कि एक अतिरिक्त बल्लेबाज जरूर भारत खिलाता है. पेपर पर देखा जाए तो बल्लेबाज भारत के पास ऐसे हैं, जो किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को तहस-नहस कर सकते हैं. बावजूद इसके भारत एक बल्लेबाज ज्यादा खिलाता है. क्या वजह लगती है?

विराट- आप पुराने रिकॉर्ड देखें तो भारत डिफेंड करने में ज्यादा सफल नहीं हो पाया है. चाहे 5 बॉलर भी खिलाएं तो वो इतनी क्षमता नहीं रखते कि वो बड़ा स्कोर डिफेंड कर सकें. भारत की ताकत बैटिंग ही है और भारत की बैटिंग कोई भी स्कोर चेज कर सकती है.

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रिपोर्टर- ऑलराउंडर हमारे पास अभी भी निकल करनहीं आ रहे हैं. पठान निकले थे, लेकिन पठान अभी भी अपना स्तर उतना नहीं बना पाए, जिनता जैक कैलिस का है. पठान अभी भी संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं. कभी बॉलिंग अच्छी करते हैं, तो बैटिंग नहीं करते. बैटिंग अच्छी करते हैं, तो बॉलिंग नहीं करते. क्या आपको लगता है कि अगर ऑलराउंडर भारत के पास आएंगे या टीम में जो खिलाड़ी हैं, सचिन, सहवाग या गांगुली इनमें से कोई ऐसा खिलाड़ी है, जो ऑलराउंड प्रदर्शन कर बड़ा अंतर पैदा कर सकता है?

विराट- आप सचिन को देख लीजिए, सहवाग को ले लीजिए और युवराज. तीनों बॉल डाल सकते हैं. 5-6 ओवर हर मैच में डालते ही हैं. वो अगर बॉलिंग पर ज्यादा मेहनत करें तो अच्छे ऑलराउंडर बन सकते हैं.

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रिपोर्टर- दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि द्रविड़ की जिद्द पर सहवाग को वर्ल्ड कप टीम में चुना गया है. टीम वर्ल्ड कप के लिए वेस्टइंडीज चली गई है. उसके बाद इस तरह की बयानबाजी मुख्य चयनकर्ता कर रहे हैं, तो इससे टीम के मनोबल पर कुछ असर पड़ता है? सहवाग के मनोबल पर असर पड़ेगा इससे?

विराट- जी बिल्कुल. ये बात टीवी पर नहीं बताई जानी चाहिए थी. इससे थोड़ा सहवाग के मनोबल पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि वो पहले ही थोड़ा कमजोर चल रहे थे. ये बात बाहर आने के बाद उनका आत्मविश्वास शायद थोड़ा और कम हो गया होगा.

रिपोर्टर- जिस दिन टीम को जाना था और ऐलान होगया कि पठान टीम में खेलेंगे. उसके बाद वेंगसरकर कहते हैं कि अगर इस मैच में वो अच्छा प्रदर्शन नहीं करते तो वो वेस्टइंडीज नहीं जाएंगे. आपको नहीं लगता एक खिलाड़ी पर बहुत असर पड़ता है इस चीज का?

विराट- असर तो काफी पड़ता है क्योंकि एक बार आपका नाम घोषित कर दिया जाए, तो एक क्रिकेटर को अपना माइंडसेट बनाना पड़ता है और अगले ही पल आपको बोल दिया जाए कि आपका तय नहीं है, तो असर पड़ता ही है.

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रिपोर्टर- कहीं न कहीं तो असर पड़ता ही है खेल पर. आप खाली टाइम में खेल पर ध्यान देने के बजाए आप मॉडलिंग कर रहे हैं, ऐड कर रहे हैं, पैसे बना रहे हैं और एक-एक खिलाड़ी 30-30 ब्रांड्स के साथ जुड़ा है. कुछ तो खेल पर असर पड़ता होगा?

विराट- मुझे नहीं लगता कि खेल पर कोई असर पड़ता है, क्योंकि अगर आप प्रदर्शन नहीं करते, तो ये सारी बातें बाहर आती हैं. अगर आप जीतते रहेंगे, तो कोई इनकी बात ही नहीं करेगा.

रिपोर्टर- आप दोनों खिलाड़ी हैं, शायद इसलिए इस बात को मानने को तैयारनहीं हैं. आज के वक्त में मीडिया बहुत बड़ी ताकत बन गया है. मीडिया बहुत दबाव में डाल देता है. एक ही दिन में हीरो भी बना देता है. एकही दिन में अगर धोनी कुछ चौके-छक्के जड़ दें, तो कहते हैं कि धो दिया धोनी ने और अगलेही दिन हेडलाइन आ जाती है कि ‘धुल गया धोनी’. किसतरह से आप देखते हैं कि क्या मीडिया खिलाड़ियों पर बहुत ज्यादा दबाव डालदेता है? या खिलाड़ी इतने काबिल होते हैं कि मीडिया के दबाव को सहनकर पाते हैं और उन पर कोई असर नहीं पड़ता?

विराट- मेरे हिसाब से मीडिया का बहुत ज्यादा दबाव होता है चाहे कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो. यहां तक कि सचिन पर भी मीडिया ने बहुत दबाव डाला था. मैं मानता हूं कि कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो, अगर उस पर एक बार मीडिया का दबाव पड़ जाए तो मानसिक तौर पर काफी असर पड़ता है.

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