रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कप्तान को इस आईपीएल में दोहरी जिम्मेदारी निभानी थी. अपनी टीम की कप्तानी के साथ-साथ उन्हें टीम इंडिया के खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर भी नजर रखनी थी. अब जबकि विराट की टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर प्लेऑफ की रेस से लगभग बाहर है तब उन्हें अपने दूसरे रोल पर ज्यादा ‘फोकस’ करना चाहिए.
विराट को सबसे ज्यादा ध्यान इस बात का रखना है कि उनके गेंदबाजों पर ‘वर्कलोड’ कितना पड़ रहा है. आईपीएल के शुरू होने से पहले ही विराट कोहली ने कहा था कि सभी खिलाड़ी समझदार हैं, प्रोफेशनल हैं और उन्हें आईपीएल में ‘स्मार्टली’ खेलना होगा.
अब तक इस सीजन में 25 मैच खेले गए हैं. अलग अलग टीमों में बंटे टीम इंडिया के गेंदबाजों ने लगभग सभी मैच खेले हैं. ऐसे में ये मुद्दा एक बार फिर उठ रहा है कि क्या तेज गेंदबाजों पर ‘वर्कलोड’ ज्यादा है.
4 ओवर का ये फॉर्मेट टीम के लिए भारी तो नहीं पड़ेगा?
जनवरी 2018 के बाद से लेकर अब तक टीम इंडिया के सभी मुख्य गेंदबाजों ने लगातार क्रिकेट खेली है. इसमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के मैच शामिल हैं. कई भारतीय गेंदबाज ऐसे हैं जो पिछले 15-16 महीने में 600 से ज्यादा ओवर फेंक चुके हैं. आपको जनवरी 2018 से लेकर अब तक इन गेंदबाजों का ‘वर्कलोड’ पहले बताते हैं. फिर इसमें आईपीएल का ‘प्रेशर’ भी जोड़कर देखेंगे.
यानी जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज जनवरी 2018 से लेकर अब तक करीब चार हजार गेंद फेंक चुके हैं. हाल के दिनों में गर्मी भी बढ़ी है. ऐसे में तेज गेंदबाजों के लिए खुद को फिट रखना भी बड़ी चुनौती है.
चिंता पैदा करने वाली बात ये भी है कि जो आंकड़े हमने आपको बताए वो आईपीएल के पहले के हैं. आइए इसमें आईपीएल के आंकड़े भी जोड़ देते हैं. जिससे ये ‘वर्कलोड’ असल में और ज्यादा बढ़ा हुआ नजर आएगा. चूंकि असली परेशानी तेज गेंदबाजों को होती है इसलिए हम इन्हीं तेज गेंदबाजों के आईपीएल मैचों की बात कर रहे हैं.
वर्कलोड, ट्रैवल और थकान
अब इन मैचों को खेलने के अलावा आईपीएल में एक शहर से दूसरे शहर तक जाने-आने का ‘लोड’ भी दिमाग में रखिए. अभी कुछ ही दिन पहले भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने एयरपोर्ट पर सोने की अपनी तस्वीर डाली थी.
अमूमन आईपीएल का दूसरा मैच खत्म होते-होते रात के बारह बज जाते हैं. इसके बाद प्रेजेन्टेशन सेरेमनी और मैदान से होटल जाने का वक्त जोड़िए. इसके बाद अगले दिन ‘ट्रैवल’ करना होता है. खिलाड़ियों को थकने से कोई नहीं रोक सकता है.
यूं तो आईपीएल का फॉर्मेट शुरू से ही ऐसा है लेकिन जिस पहलू पर लगातार बहस हो रही है वो कम अहम नहीं है. आईपीएल हर साल होता है जबकि विश्व कप चार साल में एक बार. अब आप इन गेंदबाजों के ‘वर्कलोड’ को जानने के बाद विश्व कप में इनके प्रदर्शन को लेकर बेफिक्र नहीं रह सकते. फिर विराट कोहली भला कैसे बेफिक्र रहेंगे.
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