2018 कॉमनवेल्थ खेल सिर्फ एक लिहाज से भारत के लिए अच्छे नहीं रहे. कामयाबी का स्वाद मीठा बना रहे इसलिए पहले उस बुरे अनुभव की बात खत्म कर लेते हैं. दरअसल किसी को उम्मीद नहीं थी कि हॉकी में भारत की पुरूष और महिला टीमें खाली हाथ वापस आएंगी. जिन टीमों के ओलंपिक पोडियम पर ‘फिनिश’ करने की तैयारी की जा रही हो वो अगर कॉमनवेल्थ से खाली हाथ लौटे तो मायूसी स्वाभाविक है. हॉकी के अलावा थोड़ी निराशा निशानेबाज गगन नारंग से रही जो खाली हाथ लौटे. इसके अलावा कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया.
सोशल मीडिया में उनकी कामयाबियों की जमकर चर्चा हुई. सचिन तेंदुलकर से लेकर अमिताभ बच्चन तक ने भारतीय एथलीटों की कामयाबी पर उन्हें बधाईयां दी. भारत ने इस बार 26 गोल्ड मेडल, 20 सिल्वर और 20 ब्रांज मेडल जीते.
कुल 66 मेडल्स के साथ भारतीय दल मेडल टैली में तीसरी पायदान पर रहा. कॉमनवेल्थ खेलों के इतिहास में भारत का ये तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. भारत के बाहर पहली बार भारत ने इतनी कामयाबियां हासिल की हैं. भारत को मेडल दिलाने वाले एथलीटों में से कुछ तो ऐसे थे जिनसे पदक की भरपूर उम्मीद थी लेकिन कई ऐसे भी थे जिन्होंने सभी को चौंकाते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा किया. कामयाबियों के स्वाद को और बारीकी से परखें उससे पहले कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के तीन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को जान लेते हैं.
कई खेलों में भारत ने दिखाया अपना दबदबा
बैडमिंटन
बैडमिंटन एक ऐसा खेल है जिसमें भारत ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. लंदन ओलंपिक में सायना नेहवाल के ब्रॉन्ज मेडल और रियो ओलंपिक में पीवी सिंधु के सिल्वर मेडल की दमक यहां भी कायम रही. भारतीय खिलाड़ियों को कड़ी चुनौती देने वाले चीन के खिलाड़ी थे नहीं इसलिए सिंगल्स का गोल्ड मेडल सायना नेहवाल के खाते में आया. सायना ने पीवी सिंधु को हराकर गोल्ड मेडल जीता.
टीम इवेंट में भी उन्होंने देश को सोना दिलाया. ऐसा नहीं कि चीन के खिलाड़ियों के खिलाफ भारतीय खिलाड़ियों को कामयाबी नहीं मिली है, लेकिन सच यही है कि चीन के खिलाड़ी मेडल के रास्ते में रोड़ा जरूर बनते रहे हैं. बैडमिंटन में भारत को दो गोल्ड, तीन सिल्वर और एक ब्रांज मेडल मिला.
कुश्ती
इस खेल में सुशील कुमार का लोहा पूरी दुनिया मानती है. दो बार ओलंपिक मेडलिस्ट रहे सुशील कुमार ने काफी समय बाद किसी बड़े मंच पर अपना जलवा दिखाया. फाइनल में उन्होंने पलक झपकते ही गोल्ड मेडल को अपने कब्जे में कर लिया. ओलंपिक के दौरान सुशील कुमार की दावेदारी को लेकर बहुत बवाल हुआ था. नरसिंह यादव के साथ उनका विवाद बहुत बुरी शक्ल ले चुका था. ऐसे में जब उन्होंने ‘मैट’ पर वापसी की तो उनसे काफी उम्मीदें थीं. जिस पर वो खरे उतरे. इसके अलावा विनेश फोगाट ने भी गोल्ड मेडल पर कब्जा किया.
निशानेबाजी
निशानेबाजी भी भारत के मजबूत खेलों में रहा है. एथेंस ओलंपिक में जो शुरूआत राज्यवर्धन सिंह राठौर ने की थी वो सिलसिला लगातार मजबूत हुआ है. कॉमनवेल्थ खेलों की तुलना ओलंपिक से करना ठीक नहीं है लेकिन कॉमनवेल्थ खेलों में इस बार भारत का दबदबा रहा. निशानेबाजी में भारत को 16 मेडल मिले. इसमें सात गोल्ड मेडल थे. लंदन ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले गगन नारंग ने भले ही निराश किया लेकिन मनु भाकर और अनीश भानवाला में गोल्ड मेडल जीतकर सभी को चौंका दिया.
वेटलिफ्टिंग
इस खेल में तो शुरूआत से ही भारतीय एथलीट छाए रहे. संजिता चानू, सतीश शिवलिंगम, पूनम यादव और एस मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल जीता.
मुक्केबाजी
सुशील कुमार की तरह ही खेलप्रेमियों को मैरीकॉम से भी काफी उम्मीदे थीं. वापसी के बाद वो पहली बार किसी बड़े खेल में भारत की नुमाइंदगी कर रही थीं. उन्होंने भी गोल्ड मेडल जीतकर बताया कि उनमें अभी दमखम बाकी है. विकास कृष्णन और गौरव सोलंकी भी जीत हासिल करके आए.
टेबल टेनिस
टेबिल टेनिस में महिला खिलाड़ी स्टार बनीं. मनिका बत्रा ने सिंगल्स के अलावा टीम इवेंट में भी भारत को सोना दिलाया. इन कामयाबियों ने भारत को खेलों की दुनिया की एक बड़ी ताकत के तौर पर स्थापित किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)