इन दिनों टीम इंडिया लगातार कमजोर नींव का शिकार हो रही है. खास तौर पर एशियाई पिचों से बाहर पहुंचते ही ये कमी खुलकर सामने आने लगी है. ‘सबकॉन्टिनेंट’ के बाहर भारतीय टॉप ऑर्डर का रिकॉर्ड पहले भी कोई बहुत शानदार नहीं था लेकिन अब तो कहानी बद से बदतर की तरफ बढ़ चली है. इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच की हार ने इस बात को हवा दी है.
साल 2018 में ये तीसरा मैच है जब टीम इंडिया 250 रनों से भी कम के लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रही है. जिसकी जड़ में जाने पर टीम का टॉप ऑर्डर पूरी तरह ‘एक्सपोज’ हो जाता है.
सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी से लेकर नंबर तीन तक के बल्लेबाज लगातार निराश कर रहे हैं. वो तो भला है विराट कोहली का जो बतौर बल्लेबाज लगभग सभी मैचों में क्रीज पर मजबूती से खड़े होते हैं और रन बनाते हैं. अगर कप्तान कोहली के रन निकाल दिए जाएं तो टीम इंडिया की बल्लेबाजी के आंकड़े किसी कॉलेज की टीम के आंकड़े जैसे लगते हैं.
शिखर धवन, केएल राहुल और चेतेश्वर पुजारा की स्थिति बहुत खराब है. पुजारा ने इस टेस्ट मैच में शतक जरूर लगाया लेकिन लंबे समय के बाद. चौथी पारी में लक्ष्य का पीछा करने के दौरान तो इन तीनों बल्लेबाजों का बल्ला लंबे समय से चुप है. इस दौरान मुरली विजय ने भी सलामी बल्लेबाज की जिम्मेदारी को निभाया है. वो भी ‘फ्लॉप’ ही रहे हैं. जिसका खामियाजा टीम इंडिया को उठाना पड़ रहा है.
केपटाउन टेस्ट से शुरू हुआ था ‘फ्लॉप शो’
* मुरली विजय ने पहली पारी में 1 और दूसरी पारी में 13 रन बनाए
* शिखर धवन ने पहली और दूसरी पारी में 16-16 रन बनाए
* चेतेश्वर पुजारा ने पहली पारी में 26 और दूसरी पारी में 4 रन बनाए
सेंचुरियन टेस्ट में ‘फ्लॉप शो’ जारी
* मुरली विजय ने पहली पारी में 46 और दूसरी पारी में 9 रन बनाए
* शिखर की जगह आए केएल राहुल ने पहली पारी में 10 और दूसरी पारी में 4 रन बनाए
* चेतेश्वर पुजारा ने पहली पारी में 0 और दूसरी पारी में 19 रन बनाए
इंग्लैंड में टॉप-3 की बुरी हालत
* बर्मिंघम टेस्ट में मुरली विजय ने पहली पारी में 20 और दूसरी पारी में 6 रन बनाए
* शिखर धवन ने पहली पारी में 26 और दूसरी पारी में 13 रन बनाए
* केएल राहुल ने पहली पारी में 4 और दूसरी पारी में 13 रन बनाए
इसके बाद रविवार को साउथैंप्टन में जो हाल हुआ वो अभी ताजा ही है. जाहिर है इस खराब प्रदर्शन का असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ा है. विराट कोहली जब बल्लेबाजी करने क्रीज पर आते हैं तो वो खुद को दबाव में महसूस करते होंगे. जैसे ही भारतीय टीम अपने घर में खेलती है यही टॉप ऑर्डर रनों की भरमार लगा देता है. इससे फर्क ये पड़ता है कि रिकॉर्ड बुक में पूरे साल का औसत शानदार नजर आता है.
विराट कोहली टीम के टॉप ऑर्डर को लेकर बदलाव भी कर रहे हैं. हाल ही में आखिरी दो टेस्ट मैच के लिए जो टीम चुनी गई उसमें उन्होंने पृथ्वी शॉ को मौका दिया है. जिससे टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों पर अच्छे प्रदर्शन का दबाव बना रहे. फिलहाल इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के भी आंकड़े देख लीजिए...
इन आंकड़ों की बदौलत लगातार मैच जीतना संभव नहीं है. अफसोस इस बात का है कि ऐसा भी नहीं कि इन बल्लेबाजों को ऐसी पिचों पर खेलना पड़ा हो जहां रन बनाना बहुत मुश्किल होता है. औसतन दुनिया के हर देश में पिच का मिजाज पहले के मुकाबले बल्लेबाजी के लिए आसान हुआ है. दुनिया का हर क्रिकेट बोर्ड अब समझ चुका है कि लोगों को स्टेडियम तक लाने के लिए बल्लेबाजों का चलना बहुत जरूरी है. इस सीरीज में भी इंग्लैंड की पिचें बल्लेबाजी के लिए पहले के मुकाबले आसान थीं लेकिन इसका फायदा टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज उठा नहीं पाए. शिखर धवन अच्छी शुरूआत को बड़े स्कोर में तब्दील करने में लगातार नाकाम हुए. उन्होंने अपनी गलतियों से सबक भी नहीं लिया.
केएल राहुल उम्मीदों पर बिल्कुल भी खरे नहीं उतरे. पुजारा ने भी निराश ही किया. मुरली विजय को तो खैर टीम से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया. कुल मिलाकर कमजोर नींव पर जीत की इमारत खड़ी करने का सपना चकनाचूर हो गया.
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