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INDvAUS: इस ऐतिहासिक जीत में तेज गेंदबाजों को आप कितने नंबर देंगे?

भारतीय तेज गेंदबाजों की बाउंसर पर विरोधी टीम के बल्लेबाजों को चोट लगी, हेलमेट चटके. 

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इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए पहले आपको साल 2018 और 2019 के पहले हफ्ते में तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन को याद करना होगा. आपको याद करना होगा कि परंपरागत तौर पर बेदम और बेरंग मानी जाने वाली भारतीय तेज गेंदबाजी ने कैसे 360 डिग्री बदलाव किया है. आपको मौजूदा भारतीय तेज गेंदबाजों के खिलाफ बड़े-बड़े बल्लेबाजों की आंखों का वो डर याद करना होगा जिसे पूरी दुनिया ने देखा. भारतीय तेज गेंदबाजों के बाउंसर पर विरोधी टीम के बल्लेबाजों को चोट लगी, हेलमेट चटके. इसी का नतीजा है कि भारत ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में हराया.

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इससे पहले इन्हीं भारतीय तेज गेंदबाजों की बदौलत भारत ने 2018 में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में भी एक-एक टेस्ट मैच जीता था. सीरीज जीतने का मौका वहां भी था लेकिन वहां कुछ गलतियों ने बाजी पलट दी. ऑस्ट्रेलिया में रणनीति और बेहतर दिखी. नतीजा सभी के सामने है. पूरी दुनिया के क्रिकेट फैंस ने भारतीय तेज गेंदबाजी की धार में आई इस बदलाव को महसूस किया है, सराहा है. विरोधी टीम के बल्लेबाज काफी हद तक हैरान हैं.

निश्चित तौर पर हाल के दिनों में टेस्ट क्रिकेट में मिले बेहतर नतीजों के लिए भारतीय तेज गेंदबाजों को 10 में से 9 नंबर तो हर कोई देगा. ये भी मुमकिन है कि आपको ऐसे फैंस मिलें जो 10 में से 10 नंबर दें लेकिन पुछल्ले बल्लेबाजों के खिलाफ तेज गेंदबाजों की रणनीति का पूरी तरह कारगर ना साबित होना उनके एक नंबर कम कर देता है.

खैर, चलिए साल 2018 और 2019 के कुछ आंकड़े देखते हैं. सबसे पहले देखते हैं कि दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय तेज गेंदबाजों ने कुल कितने विकेट लिए.

भारतीय तेज गेंदबाजों की बाउंसर पर विरोधी टीम के बल्लेबाजों को चोट लगी, हेलमेट चटके. 

10 टेस्ट मैचों में 161 विकेट अगर तेज गेंदबाजों ने लिए हैं तो फिर आगे कुछ ज्यादा कहने की जरूरत रह नहीं जाती. एक बार इन दिग्गज तेज गेंदबाजों का अलग-अलग रिकॉर्ड भी जान लेते हैं.

भारतीय तेज गेंदबाजों की बाउंसर पर विरोधी टीम के बल्लेबाजों को चोट लगी, हेलमेट चटके. 
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आंकड़े बता रहे हैं कि बीते साल में भारतीय तेज गेंदबाजों का दबदबा किस कदर रहा है. दिलचस्प बात ये भी है कि ये आंकड़े विदेशी पिचों के हैं जहां आमतौर पर क्रिकेट फैंस को तेज गेंदबाजों को पसीना बहाते और पिटते ही देखने की आदत थी. इन सभी गेंदबाजों की औसत रफ्तार 135 किलोमीटर प्रतिघंटे से ज्यादा है. कई बार ये गेंदबाज 140 से ज्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहे हैं. इस रफ्तार पर सटीक लाइन लेंथ से फेंकी गेंद का सामना करना दुनिया के बड़े से बड़े बल्लेबाज के लिए कठिन चुनौती बनता जा रहा है. विराट कोहली ने बतौर कप्तान अपने तेज गेंदबाजों में एक आत्मविश्वास भी विकसित किया है. वो विरोधी बल्लेबाजों की आंखों में आंखे डालकर गेंदबाजी करते हैं. निश्चित तौर पर इन तेज गेंदबाजों की बदौलत ही भारतीय क्रिकेट की तस्वीर बदली है.

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