ऑस्ट्रेलिया की टीम में एक ऑफ स्पिनर हैं नेथन लायन. हाल ही में खत्म हुई टेस्ट सीरीज में उनकी गेंदबाजी को तमाम हिंदुस्तानी क्रिकेट फैंस ने करीब से देखा है. टेस्ट सीरीज के दौरान लायन ने भारतीय बल्लेबाजों को काफी परेशान भी किया. आप सोच रहे होंगे कि वनडे सीरीज से पहले नेथन लायन की बात इतनी प्रमुखता से क्यों हो रही है. इसके पीछे एक बड़ी वजह है. उन्होंने आखिरी वनडे मैच करीब सात महीने पहले इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. इसके बाद वो वनडे टीम में नहीं थे. वनडे टीम में वैसे भी उन्हें बड़ी मुश्किल से जगह मिलती है. अपने सात साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने 84 टेस्ट मैच खेले हैं जबकि वनडे मैचों के नाम पर उन्हें सिर्फ 15 मैचों का तजुर्बा है.
7 साल के करियर में 15 वनडे मैच. अब कहानी में मोड़ यहीं से आता है क्योंकि भारत के खिलाफ शनिवार से शुरू हो रही वनडे सीरीज के लिए उन्हें टीम में शामिल किया गया है. ये इस बात का साफ संकेत है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को समझ आ रहा है कि अगले तीनों वनडे मैच में स्पिन गेंदबाजों की भूमिका अहम रहने वाली है. भारतीय टीम इस खबर से इसलिए ज्यादा खुश है क्योंकि उसे ऑस्ट्रेलियाई मैदानों में अपने मैदानों जैसी खुशबु आ रही है.
भारतीयों के लिए मैदान बेहतर क्यों?
दरअसल, भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी, एडिलेड और मेलबर्न में वनडे मैच खेलने हैं. इन तीनों ही मैदानों में बाउंस यानी उछाल सामान्य है. इस कदर सामान्य कि ये मैदान भारतीय बल्लेबाजों को ज्यादा पसंद आएंगे. उनके लिए इन पिचों में मुंबई, मोहाली या नागपुर की पिचों के मुकाबले ज्यादा अंतर नहीं है. जाहिर है उन्हें ले-देकर नेथन लायन के खिलाफ अपनी रणनीति थोड़ी रक्षात्मक रखनी पड़ सकती है. यानी कुल मिलाकर खेल सिर्फ उनके 10 ओवर का है. उसके बाद दूसरे गेंदबाजों को लेकर उन्हें किसी तरह की फिक्र नहीं है.
टेस्ट सीरीज में विराट कोहली अच्छी फॉर्म में थे. रोहित शर्मा ने भी अच्छी बल्लेबाजी की थी. शिखर धवन टी-20 सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज बनकर गए थे. टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर में ये तीन बल्लेबाज किसी भी टीम के गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने में माहिर हैं. उस पर से अगर पिच मनमाफिक मिल गई तो फिर इन्हें रोकना मुश्किल है.
क्यों आ रही है व्हाइटवॉश की खुशबू?
याद कीजिए इस दौरे में पहला टेस्ट मैच भारतीय टीम ने एडिलेड में खेला था. वो बल्लेबाजी के लिए मुफीद मैदान था. ये बात भारतीय बल्लेबाजों ने दोनों पारियों में साबित भी की थी. दोनों ही पारियों में भारतीय बल्लेबाजों ने कंगारुओं से बेहतर बल्लेबाजी की थी. चेतेश्वर पुजारा ने पहली पारी में शतक और दूसरी पारी में अर्धशतक लगाया था. दूसरी पारी में अजिंक्य रहाणे ने भी कीमती अर्धशतक लगाया था. जिसका नतीजा ये था कि भारत ने वो टेस्ट मैच 31 रनों से जीता था. अब बात पहले वनडे मैच के मैदान की. सिडनी में खेले जाने वाले मैच में स्पिनर्स के रोल को किस तरह देखा जा रहा है उसका जिक्र हम शुरू में कर चुके हैं.
भारत के पास कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल जैसे अनुभवी और वनडे के स्पेशलिस्ट स्पिनर हैं. इन दोनों ही गेंदबाजों को मिडिल ओवरों में रन रोकने में महारत हासिल है. एक नजर पिछले साल इन दोनों गेंदबाजों के रिकॉर्ड पर डाल लेते हैं.
2018 में जमकर चली है यादव-चहल की जोड़ी
विराट कोहली अपने स्पिनर्स को लेकर हमेशा से इस ‘थ्योरी’ पर यकीन करते हैं कि इन्हें टीम को विकेट लेकर देना है ना कि रन बचाना है. वो हमेशा कहते भी आए हैं कि टीम इस बात के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहती है कि कभी ना कभी किसी मैच में इन स्पिनर्स की पिटाई भी होगी. बावजूद इसके टीम को अपने इन दोनों स्पिनरों पर भरोसा है. यही वजह है कि ग्लेन मैक्सवेल जैसा तूफानी खिलाड़ी भी इन दोनों स्पिनर्स के आत्मविश्वास के आगे ज्यादा चला नहीं है. अगर सीरीज में व्हाइटवॉश देखने को मिले तो जश्न मनाने की तैयारी कर लीजिए.
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