5 मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले के पहले दिन भारत के ‘टॉप स्पिनर’ आर अश्विन ने एक खूबसूरत ऑफ स्पिन पर एलिस्टर कुक को बोल्ड किया. उसके बाद उसी पारी में उन्होंने जोस बटलर जैसे कद्दावर बल्लेबाज को शून्य पर एलबीडब्ल्यू किया, बेन स्टोक्स को कैच एंड बोल्ड किया और पुछल्ले बल्लेबाज स्टुअर्ट ब्रॉर्ड का भी विकेट लिया. इंग्लिश हालातों में एक ऑफ स्पिनर पहली पारी में ही 4 विकेट ले उड़ा, सभी लोग हैरान और खुश भी. दूसरी पारी में भी अश्विन ने तीन विकेट लिए और उम्मीद जगा दी कि इस बार तो वो विदेशी दौरे पर कमाल करेंगे. लेकिन... ढाक के वही तीन पात. अगले तीन मैचों में ये ऑफ स्पिनर बुरी तरह फ्लॉप हुआ.
हद तो तब हो गई जब चौथे टेस्ट मैच में एक तरफ इंग्लैंड के ही ‘पार्ट-टाइम’ ऑफस्पिनर मोइन अली ने दुनिया की सबसे अच्छी स्पिन खेलने वाली टीम के छक्के छुड़ा रखे थे तो वहीं दूसरी तरफ भारत के ‘मुख्य स्पिनर’ ने स्पिन के खिलाफ सबसे कमजोर कही जाने वाली टीम को जरा भी परेशान नहीं किया. साउथैम्प्टन की सूखी पिच पर मोइन अली ने रफ साइड का पूरा फायदा उठाया और मैच में कुल 9 विकेट लिए लेकिन वहीं आर अश्विन पूरे मैच में सिर्फ 3 विकेट ले पाए.
अश्विन वैसे तो पूरी सीरीज में अभी तक बहुत ही सामान्य से गेंदबाज नजर आए लेकिन चौथे टेस्ट दूसरी पारी में उन्होंने बहुत ही ज्यादा निराश किया. अश्विन की लाइन लेंथ हो, उनकी प्लानिंग हो या फिर गेंद की स्पीड हो, हर जगह अश्विन की रणनीति समझ से बाहर रही. साउथैम्प्टन की पिच पर दूसरे, तीसरे दिन से ही रफ पैच पड़ गए थे जहां गेंद टप्पा खाने के बाद टर्न और उछाल पा रही थी लेकिन इंग्लैंड की दूसरी पारी में अश्विन उसका जरा भी फायदा नहीं उठा पाए.
वो रफ साइड गुड लैंथ पर था लेकिन दूसरी पारी में अश्विन ने अपनी आधी से भी कम गेंदें उस लैंथ पर डालीं. वो ज्यादातर बार फुल-लैंथ या बैक ऑफ द लैंथ के आसपास रहे और रफ साइड का फायदा नहीं उठा पाए. दूसरी तरफ मोइन अली ने लगातार गुड लैंथ पर गेंदबाजी की. दूसरी पारी में उन्होंने विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे को उसी गुड लैंथ के टप्पे पर गेंद डालकर आउट किया, जिसे अश्विन ने अपनी गेंदबाजी के दौरान खास इस्तेमाल नहीं किया. स्पीड वैरिएशन की बात करें तो वहां भी अश्विन जरूरत से ज्यादा तेज गेंद कर रहे थे, उसका नुकसान ये हुआ कि वो सख्त पिच से ज्यादा टर्न हासिल नहीं कर पाए.
अश्विन जैसे मंझे हुए गेंदबाज का इस कदर एक ‘सख्त पिच’ पर फेल होना भारत के लिए बहुत भारी पड़ा. कई रिपोर्ट्स ऐसी हैं कि अश्विन इस मुकाबले को खेलने के लिए पूरी तरह फिट भी नहीं थे, तो ऐसे में क्या विराट कोहली एंड मैनेजमेंट ने एक बड़ा रिस्क लिया? मैच से पहले ही सभी को पता था कि ये पिच तीसरे और चौथे दिन स्पिनर्स को मदद करेगी तो ऐसे में क्या हार्दिक पांड्या की जगह रवींद्र जडेजा को टीम में नहीं लेना चाहिए था? इस मैच के लिए इंग्लैंड ने दो स्पिन गेंदबाजों को खिलाया था- मोइन अली और आदिल राशिद. लेकिन, भारत ने चोट से उबर रहे एक स्पिनर पर ही सारा भार डाल दिया.
सवाल तो कई सारे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि आर अश्विन जैसे खतरनाक और चालाक उपमहाद्वीप की पिचों पर नजर आते हैं, विदेशी सरजमीं पर वो उतने ही सामान्य दिखते हैं. इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर अश्विन और रोहित शर्मा जैसे किसी पार्ट टाइम गेंदबाज में खास अंतर नजर नहीं आता. अश्विन का रिकॉर्ड बताता है कि उन्होंने अपने पूरे करियर में तो 25.59 की औसत से विकेट लिए लेकिन जैसे ही वो इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका पहुंचे तो औसत 46.02 का हो गया.
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