शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद
ये तीन शब्द हैं जो इस वर्ल्ड टी20 में विराट कोहली की बल्लेबाजी बयां कर सकते हैं. उनकी बल्लेबाजी में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे लोगों ने पहले नहीं देखा हो लेकिन इस सीरीज में जब परिस्थितियां विपरीत थीं, उस दौरान दबाव झेलते हुए उन्होंने जो प्रदर्शन किया उससे सभी प्रभावित हुए.
इसके अलावा उन्होंने इस वर्ल्ड टी20 में जिस तरह से 273 रन बनाए उसमें उन्होंने एक बार भी कोई हैरान करने वाला शॉट नहीं लगाया. उन्होंने अधिकतर रन ‘कॉपीबुक स्ट्रोक्स’ की मदद से बनाए.
साथ ही उनके अंत तक टिके रहने की क्षमता ने भी सबको प्रभावित किया. चाहे वो पाकिस्तान के खिलाफ उनका नाबाद अर्धशतक हो जिसने भारत को जीत दिलाई, आॅस्ट्रेलिया के सामने उनके नॉट आउट मैच विनिंग 82 रन या फिर वेस्ट इंडीज के खिलाफ सेमी फाइनल में उनके 89 रनों का योगदान.
एमएस धोनी
इस प्रतियोगिता के शुरू होने से पहले एमएस धोनी को एक बूढ़ा होता योद्धा कहा गया था. लेकिन इन दो हफ्तों में धोनी ने सभी को गलत साबित कर दिया.
भारतीय कप्तान सभी क्षेत्रों में प्रभावी रहे फिर चाहे वो उनकी कप्तानी हो, निर्णय लेने की क्षमता, रनिंग बिटवीन द विकेट्स या फिर विकेट कीपिंग. इस प्रतियोगिता में पांच बार बल्लेबाजी करने उतरे धोनी चार बार नाबाद रहे.
रन लेने के दौरान उनमें एक खरगोश जैसी फुर्ती थी और उन्होंने कई बड़े शॉट भी लगाए (उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए दो बार एक बाउंड्री और छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई). उनकी विकेटकीपिंग तो प्रतियोगिता में जबरदस्त रही (बेहतरीन कैच, स्टंपिंग और मैच जिताने वाले रन आउट).
आशीष नेहरा
एक और बूढ़ा होता योद्धा. नेहराजी ने चयनकर्ताओं को उन्हें भारतीय टीम में वापस बुलाने के निर्णय को सही साबित कर दिखाया, खासकर आईसीसी वर्ल्ड टी20 2016 में बुलाने का. बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने हर मैच में एक विकेट लिया और रन भी कम दिए.
रवींद्र जडेजा
रवींद्र जडेजा खामोशाी से इस प्रतियोगिता में भारत की हर जीत में अपना योगदान देते रहे. इस वर्ल्ड कप में उन्होंने चार विकेट लिए और भारत के पांच में से चार मैचों में उनका प्रदर्शन भी बेहतरीन रहा. पूरी प्रतियोगिता में वो केवल सेमी फाइनल में वेस्ट इंडीज के खिलाफ संघर्ष करते नजर आए हालांकि वो भी ओस के कारण फिसलती हुई गेंद की वजह से.
हार्दिक पांड्या
हार्दिक पांड्या ने इस प्रतियोगिता में भारत की तरफ से सबसे अधिक विकेट लेने वाले आशीष नेहरा जितने ही विकेट लिए. इसमें शाहिद अफरीदी, एरॉन फिंच, जेम्स फॉकनर समेत मुश्फिकुर रहमान और महमुदुल्लाह के दो बहुत ही महत्वपूर्ण विकेट शामिल हैं.
हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि वो बहुत ही प्रतिभाशाली गेंदबाज हैं लेकिन शॉर्ट पिच गेंद डालने की कुछ ज्यादा ही कोशिश करते हैं जिसकी वजह से वो रन भी काफी दे देते हैं (इस प्रतियोगिता में उन्होंने 87 गेंदें डालीं जिसमें से 47 बैक आॅफ लेंथ थी या फिर उन्होंने बाउंसर फेंकने की कोशिश की थी.)
जसप्रीत बुमराह
प्रतियोगिता में जसप्रीत बुमराह ने जितनी अच्छी गेंदबाजी की उससे कहीं ज्यादा की उम्मीद उनसे की गई थी. बांग्लादेश के खिलाफ मैच में उनका प्रदर्शन काफी मिला-जुला रहा.
पहली ही गेंद पर उनकी मिस्फील्डिंग जिसमें उन्होंने एक कैच छोड़ दिया और अपने एक ओवर में उन्होंने 16 रन दिए. इसके बाद इसी मैच में उन्होंने शानदार 19वां ओवर फेंका जिससे भारत आखिरी ओवर तक मैच में बना रहा.
अन्य सकारात्मक पहलुओं की बात करें तो उन्होंने चार विकेट लिए जिसमें खतरनाक कोरी एंडरसन, अहमद शहजाद, ग्लेन मैक्सवेल और क्रिस गेल के विकेट शामिल हैं.
आर अश्विन
इस प्रतियोगिता की शुरुआत में रविचंद्रन अश्विन शीर्ष वरीयता प्राप्त गेंदबाज थे. उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वो भारत के मुख्य गेंदबाज होंगे.
लेकिन अश्विन के लिए प्रतियोगिता की शुरुआत ही तब खराब हो गई जब पहले मैच में मार्टिन गप्टिल ने उनकी पहली गेंद पर ही छक्का जड़ दिया. इस शॉट के बाद अश्विन पूरी सिरीज में उबर नहीं पाए. उन्होंने पांच मैचों में केवल चार विकेट लिए और पाकिस्तान के खिलाफ भी उनकी गेंदबाजी बहुत ही सामान्य स्तर की रही.
रोहित शर्मा
रोहित भी इस बात से सहमत होंगे कि शीर्ष क्रम में बल्लेबाजी करन के बावजूद वर्ल्ड टी20 2016 में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा. रोहित जैसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज से उम्मीद नहीं की जाती कि वो पांच मैचों में केवल 88 रन बनाएं.
प्रतियोगिता में उन्होंने सेमी फाइनल में सर्वाधिक 43 रन बनाए लेकिन ये स्कोर उनके पहले की नाकामियों पर पर्दा नहीं डाल सकता.
सुरेश रैना
इसमें कोई शक नहीं कि इस प्रतियोगिता में एक बल्लेबाज के रूप में सुरेश रैना का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. उन्होंने केवल 41 रन बनाए जिसमें 30 रन उन उनका सर्वाधिक स्कोर रहा.
चूंकि रैना टी20 प्रारूप के लिए मुफीद माने जाते हैं इसलिए ये आंकड़े उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं करते. हालांकि वो टीम में अहम योगदान देते रहे, चाहे वो उनके तीन विकेट हों, उनका क्षेत्ररक्षण, कोरी एंडरसन का रन आउट या फिर स्लिप में शाकिब-अल-हसन का कैच.
शिखर धवन
धवन के लिए यह प्रतियोगिता बहुत ही निराशाजनक रही. उन्होंने चार पारियों में कुल 43 रन बनाए जिसके चलते उन्हें सेमी फाइलन में ड्रॉप कर दिया गया. बाएं हाथ का यह बल्लेबाज एकदम भी फॉर्म में नहीं था.
उनका स्ट्राइक रेट केवल 82.69 था और उन्होंने जितनी भी गेंदें खेलीं उसमें से 50 प्रतिशत पर उन्होंने कोई भी रन नहीं बनाया.
युवराज सिंह
ये कहना काफी दुखदायी है कि आईसीसी वर्ल्ड टी20 में युवराज सिंह ने अपनी प्रतिभा के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया. बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने केवल 52 रन बनाए. वो बॉल को बल्ले पर सही से लेने में भी संघर्ष करते नजर आए.
हालांकि उन्होंने टीम के अन्य सदस्यों की तरह अपना विकेट आसानी से नहीं खोया. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 24 और आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ 21 रनों की उपयोगी पारी खेली. हालांकि एड़ी में चोट लगने की वजह से उनका सफर बीच में ही खत्म हो गया.
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