आईपीएल के इस सीजन की शुरूआत विज्ञापन के उस सवाल से हुई थी जिसमें हर कोई जानना चाह रहा था कि अगर शेर की लड़ाई शेर से होगी तो कौन जीतेगा? जवाब मिलता था- शेर और शेर की लड़ाई होगी तो शेर ही जीतेगा. बात तो सच है, बस हिंदुस्तानियों की छाती इसलिए चौड़ी हो गई है क्योंकि इस सीजन में अपने घर के शेर ही जीते हैं. सीजन की रिकॉर्ड बुक में लगभग हर पन्ने पर विदेशी खिलाड़ियों की तुलना में हिंदुस्तानी शेरों का नाम दर्ज है. रिकॉर्ड बताते हैं कि इस सीजन में विदेशी खिलाड़ियों के मुकाबले अपने देसी खिलाड़ियों का प्रदर्शन ज्यादा शानदार रहा है.
दरअसल आईपीएल देसी विदेशी खिलाड़ियों का सबसे बड़ा मेला है. इस मेले में दुनिया के एक से बढ़कर एक तुर्रम खिलाड़ी शामिल होते हैं. कई खिलाड़ी तो ऐसे हैं जो अपने देश के लिए खेलने के मुकाबले आईपीएल में खेलकर ना सिर्फ नाम कमाते हैं बल्कि अच्छा दाम भी कमाते हैं. चूंकि मुकाबले भारत में होते हैं, लीग के नाम में ‘इंडियन’ जुड़ा हुआ है इसलिए हिंदुस्तानी क्रिकेट फैंस को इस बात की चाहत हमेशा रहती है कि उनके लोकल स्टार्स धमाका करें.
इस सीजन में 56 लीग मैचों के खत्म होने के बाद स्थिति ऐसी ही है कि भारतीय खिलाड़ियों का बोलबाला है. कुछ एक आंकड़ों में अगर विदेशी खिलाड़ी आगे हैं भी तो वहां उन्हें हिंदुस्तानियों से कड़ी टक्कर मिल रही है. ये भी संभव है कि प्लेऑफ मुकाबलों के खत्म होते होते भारतीय खिलाड़ी ही सभी अहम रिकॉर्ड्स पर कब्जा जमा लें. पहले बल्लेबाजी की बात करते हैं. बल्लेबाजी के लगभग सभी रिकॉर्ड अपने शेरों के नाम हैं.
इसमें कई ऐसे भी भारतीय खिलाड़ी शामिल हैं जिन्होंने अभी टीम इंडिया कैप नहीं पहनी है। ये ग्राफिक्स देखिए...
सबसे ज्यादा अर्धशतक और एक पारी में सबसे ज्यादा छक्के का रिकॉर्ड भले ही अभी विदेशी खिलाड़ियों के नाम है लेकिन प्लेऑफ मैचों के बाद ये सूरत बदल भी सकती है।
गेंदबाजी में भी हिंदुस्तानी खिलाड़ियों का दबदबा
गेंदबाजी के कुछ बड़े आंकड़े फिलहाल विदेशी खिलाड़ियों के कब्जे में हैं लेकिन सीजन के खत्म होते-होते ये आंकड़े भी हर हाल में बदलेंगे क्योंकि जो खिलाड़ी अभी शीर्ष पर हैं उनकी टीम प्लेऑफ से बाहर हो चुकी हैं यानी अब वो खिलाड़ी मैदान में नहीं उतरेंगे. ये ग्राफिक्स देखिए...
बैटिंग बॉलिंग हो गई तो फील्डिंग ही क्यों छोड़ा जाए
हिंदुस्तानी शेरों का दबदबा सिर्फ बल्लेबाजी या गेंदबाजी तक ही सीमित नहीं है. खेल के तीसरे डिपार्टमेंट यानी फील्डिंग में भी भारतीय शेर छाए हुए हैं. एक वक्त था जब भारतीय खिलाड़ियों की फील्डिंग कमजोर मानी जाती थी, आज हालात बड़ी तेजी से बदले हैं. धोनी ने अपनी कप्तानी के समय में जिस यंगिस्तान की वकालत की थी उसी यंगिस्तान ने आज फील्डिंग में कामयाबी की नई कहानी लिखी है. फील्डिंग के आंकड़े भी देखिए
कोई पैमाना अब बचा नहीं जहां हिंदुस्तानी शेरों को बादशाहत साबित करनी हो. अभी सीजन के 4 मैच बाकी हैं रिकॉर्ड बुक में फेरबदल जरूर होगा. सूरते-हाल कुछ यूं है कि उस फेरबदल के बाद भी हम यही कहते दिखेंगे कि शेर और शेर की अगर लड़ाई हो रही है तो हिंदुस्तानी शेर ही जीतेगा.
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