खेल का मैदान हो या आपकी जिंदगी का सफर. ताकत कब कमजोरी बन जाए पता ही नहीं चलता. इसीलिए संतुलन जरूरी है, संतुलन हर आयाम का. क्रिकेट का खेल भी इससे अछूता नहीं है. हैदराबाद की टीम को फाइनल का टिकट पाने के लिए एक मौका और मिलेगा. अगर वो कोलकाता को हराती है तो फाइनल का सफर तय कर लेगी लेकिन इससे पहले उसे एक बात गांठ बांधनी होगी. वो ये कि जिस ताकतवर गेंदजाबी की बदौलत सनराइजर्स हैदराबाद ने प्वॉइंट्स टेबल के पहली पायदान पर कब्जा किया था. प्लेऑफ में गेंदबाजों की ताकत पूरी तरह झोंकने के बाद भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली. इसके पीछे की वजह बड़ी साफ है.
सीजन में अब तक खेले गए 15 मैचों में गिने चुने मैच छोड़ दिए जाएं तो हैदराबाद के बल्लेबाजों ने खुलकर हाथ नहीं दिखाए हैं. उनके बनाए कम रनों को गेंदबाजों ने ‘डिफेंड’ किया या फिर गेंदबाजों ने विरोधी टीम को सस्ते में निपटाया और हैदराबाद के बल्लेबाजों को आसान लक्ष्य का पीछा करना पड़ा. दोनों ही स्थिति में बल्लेबाजों का असली इम्तिहान नहीं हुआ. लिहाजा ‘एक्स’ और ‘वाई’ एक्सिस में से सनराइजर्स हैदराबाद की टीम एक ही दिशा में बढ़कर जीत हासिल करती चली गई.
जिसका खामियाजा उसे प्लेऑफ में भुगतना पड़ा. प्लेऑफ के पहले मैच में, जिसमें जीत के बाद फाइनल का सीधा टिकट मिलना था हैदराबाद ने बाजी गंवा दी. चेन्नई सुपरकिंग्स ने मैच में 5 गेंद रहते ही 2 विकेट से जीत हासिल की और सातवीं बार फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया.
गेंदबाजी की बदौलत ही चमका था हैदराबाद का सितारा
आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन जिन मामूली स्कोर पर हैदराबाद की टीम को जीत मिली थी, वो विश्वास से परे हैं. लीग मैचों के दौरान सनराइजर्स हैदराबाद की टीम ने मुंबई इंडियंस के खिलाफ सिर्फ 118 रन बनाए थे, बावजूद इसके उसके गेंदबाजों ने टीम को जीत दिलाई. किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ सिर्फ 136 रन, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ 146 रन और राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ 151 रन बनाकर भी हैदराबाद ने अपने गेंदबाजों की बदौलच मैच जीत लिया.
मंगलवार को टीम इसी गलतफहमी में चूक गई। इस बार मुकाबला चेन्नई के अनुभवी खिलाड़ियों से था. हैदराबाद के बल्लेबाज एक बार फिर 140 रन का लक्ष्य देकर चिंतामुक्त हो गए. इस पूरे सीजन में हैदराबाद के बल्लेबाजों में कप्तान केन विलियम्सन और शिखर धवन को छोड़ दिया जाए तो बाकी बल्लेबाजों ने निराश ही किया है. बल्लेबाजी में अनुभव और आक्रामकता दोनों ही लिहाज से मनीष पांडे और यूसुफ पठान को शामिल किया गया था लेकिन इन दोनों बल्लेबाजों ने औसत प्रदर्शन किया. आईपीएल में जिस तरह के आक्रामक प्रदर्शन की जरूरत होती है वो इन दोनों ही बल्लेबाजों की बल्लेबाजी से नदारद रहा.
मनीष पांडे ने 15 मैच में कुल 284 रन बनाए. उनका स्ट्राइक रेट सिर्फ 115 का रहा. यूसुफ पठान की हालत तो और खराब थी. उन्होंने 13 मैच में 212 रन बनाए, स्ट्राइक रेट 126 के करीब रहा.
प्लेऑफ मैच में भी मनीष पांडे ने 16 गेंद पर सिर्फ 8 रन और यूसुफ पठान ने 29 गेंद पर 24 रन बनाए. लिहाजा 20 ओवर में स्कोरबोर्ड पर 139 रन ही जुड़े. इस स्कोर को डिफेंड करने की गेंदबाजों ने भरसक कोशिश की लेकिन चेन्नई की अनुभवी टीम ने बाजी पलटने नहीं दी. इस सीजन के लीग मैचों में भी चेन्नई की टीम ने दोनों मैच में हैदराबाद को हराया था. एक बार पहले बल्लेबाजी करके और एक बार लक्ष्य का पीछा करके. जाहिर है चेन्नई के खिलाफ जिस रणनीति के साथ मैदान में उतरने की जरूरत थी हैदराबाद की टीम उसमें चूक गई.
हैदराबाद के पास अभी एक और मौका है
सनराइजर्स हैदराबाद के पास अभी सीजन के फाइनल का टिकट पाने के लिए एक और मौका है. हैदराबाद की टीम ने 2016 में आईपीएल का खिताब जीता था. उसे पता है कि बड़े मैच जीतने के लिए टीम में संतुलन का होना जरूरी है. पूरी टीम के प्रदर्शन से ही जीत मिलेगी. अगले कुछ घंटे इसी दिशा में सोचने की जरूरत है. सच ये भी है कि हैदराबाद की टीम शायद डेविड वॉर्नर को इस वक्त सबसे ज्यादा मिस कर रही होगी जिन्हें साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में गेंद से छेड़छाड़ के मामले में बैन कर दिया गया है. वॉर्नर की कप्तानी में ही सनराइजर्स हैदराबाद ने आईपीएल का खिताब जीता था.
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