ये कोई अनुमान नहीं है. भविष्यवाणी तो कतई नहीं. ये एक बड़ा मजबूत आकलन है. पिछले आईपीएल की शुरूआत से लेकर अंत तक आते-आते ये ‘ट्रेंड’ बड़ी तेजी से बदला, जिसकी कहानी हम आपको बता रहे हैं.
2018 के शुरूआती मैचों में ज्यादातर उन टीमों को जीत मिली थी जो पहले 6 ओवर में शानदार प्रदर्शन कर रही थीं. यहां तक कि शुरूआती 7 में से 6 मैच उन टीमों ने जीता था, जिन्होंने विरोधी टीम के मुकाबले पावरप्ले में बेहतर प्रदर्शन किया था. यानी जिस टीम के बल्लेबाजों ने पहले 6 ओवर का खुलकर फायदा उठा लिया था या जिसके गेंदबाजों ने पहले 6 ओवर में सामने वाली टीम को घेर लिया था, वही जीती थी.
कुल मिलाकर पावर-प्ले का खेल जिसके पाले में जाता था वो बाजी मार लेता था. लेकिन आखिरी के मैचों तक आते-आते ये कहानी पूरी तरह बदल गई. यहां तक कि सीजन के चार सबसे ज्यादा अहमियत रखने वाले मैचों में उन टीमों को जीत मिली, जिन्होंने पहले 6 ओवर में भले ही विरोधी टीम के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया लेकिन धैर्य के साथ मैच को अंत तक लेकर गए और बाजी मारी.
हम यहां जिन चार मैचों का जिक्र कर रहे हैं वो हैं दो क्वालीफायर, एक एलिमिनेटर और फाइनल मैच.
आगे बढ़ने से पहले आपको याद दिला दें कि 20 ओवर के मैच में पहले 6 ओवर का खेल ‘पावरप्ले’ होता है. इस दौरान 30 यार्ड के बाहर सिर्फ 2 फील्डर लगाए जा सकते हैं. जबकि पावरप्ले खत्म होने के बाद इस गोले के बाहर पांच फील्डर लगाए जा सकते हैं.
अब चार मैचों की कहानी
ये चार आंकड़े इस बात को साबित करने के लिए काफी हैं कि भले ही आईपीएल 20 ओवरों का मैच हो लेकिन उसमें भी धैर्य की जरूरत होती है. जो भी टीम इस धैर्य के साथ आगे बढ़ती है वो बड़े मुकाबले में पिछड़ने के बाद भी जीत हासिल करती है.
अमूमन होता ये है कि बल्लेबाज पावर-प्ले में बड़े-बड़े शॉट्स लगाते हैं. ज्यादा से ज्यादा गेंदों को बाउंड्री पार पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इससे उलट अगर गेंदबाज, उन्हें ऐसी गेंद दें, जिस पर लंबे शॉट्स खेलना मुश्किल है तो वो बल्लेबाजों को बांध लेते हैं. जिससे ऊबकर बल्लेबाज गलत शॉट खेलता है और विकेट गंवाता है.
इससे बेहतर रणनीति ये है कि शुरूआती 6 ओवर के लालच में पड़ने की बजाय पूरे मैच पर ध्यान दें और नतीजे पर ‘फोकस’ करें. ये देखना दिलचस्प होगा कि इस सीजन में टीमें किस रणनीति के साथ मैदान में उतरती हैं.
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