इस बात को लेकर दो राय नहीं है कि टेस्ट मैच में 20 विकेट लेने के बाद टीम जीत सकती है. कुछ टीमें ऐसा चार तेज गेंदबाजों के साथ करती हैं, तो कुछ टीमों को अतिरिक्त गेंदबाजों की जरुरत ना सिर्फ विकेट लेने के लिए पड़ती है बल्कि उनसे 10-12 ओवर गेंदबाजी प्रतिदिन करानी होती है. कोहली के टेस्ट कप्तान बनाने के बाद सबसे बड़ा और चर्चित बदलाव ये हुआ कि वो 5 गेंदबाजों को टीम में रखते हैं.
कंफ्यूजन में हैं कप्तान कोहली?
कोहली ने इस बात पर जोर दिया कि अब टीम का पूरा ध्यान सिर्फ जीत पर है और इसे हासिल करने के लिए 5 गेंदबाजों को टीम में रखना जरुरी है. बांग्लादेश के खिलाफ कोहली 5 गेंदबाजों को लेकर उतरे. श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में भी उन्होंने ऐसा ही किया.ये एक ऐसा कदम था जिसे काफी आक्रामक और धोनी की कप्तानी शैली से हटकर माना जा रहा था. क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत हुई थी या फिर हमें सिर्फ ऐसा लग रहा था.
और फिर श्रीलंका से एक हार ने टीम की रणनीति बदल दी. टीम में पांच गेंदबाजों के बजाय पांचवें गेंदबाज को बल्लेबाजी क्षमता के आधार पर चुना गया. स्टुअर्ट बिन्नी को श्रीलंका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के लिए चुना गया जबकि स्टुअर्ट बिन्नी ने अपने करियर के पहले तीन टेस्ट मैचों में एक भी विकेट नहीं लिया था, फिर भी उन्हें पांचवें गेंदबाज की तरह टीम में रखा गया.
सच कहें तो ये एक अच्छी रणनीति थी, साहा छठे नंबर पर खेलते हैं और एक अतिरिक्त गेंदबाज की जगह नहीं भर सकते. लेकिन टीम मैनेजमेंट ने पहले ही अपनी नई रणनीति का ढिंढोरा पीट दिया था, एक हार के बाद ये बदलाव ऐसा लगा जैसे हमने एक कदम बढ़ाया और दो कदम पीछे हट गए.
5 गेंदबाज, लेकिन कितने बल्लेबाज?
साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज कोहली की अग्निपरीक्षा है. पांच गेंदबाजों को टीम में शामिल करने के उनके फैसले को आंका जाएगा. लेकिन जरा एक नजर उनकी बल्लेबाजी क्षमता पर भी डाल लें. पांच गेंदबाजों को टीम में शामिल करने का मतलब है आपके पास सिर्फ 5 बल्लेबाज रखने का विकल्प होगा और अगर एक या दो बल्लेबाज फॉर्म में नहीं है तो हालात यही कहते हैं कि रणनीति बदल देनी चाहिए.
मुरली विजय पिछले 15 महीनों से टेस्ट मैच में टीम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बनकर उभरे हैं लेकिन श्रीलंका दौरे पर चोट की वजह से वो पहला और तीसरा टेस्ट नहीं खेल पाए. वो साउथ अफ्रीका सीरीज से पहले पूरी तरह से लय में नहीं हैं और इस बात को नजरअंदाज करना मूर्खता होगी. टीम में उनके साथ हैं शिखर धवन जो साउथ अफ्रीका के खिलाफ अक्टूबर में हुई वन-डे सीरीज में फिसड्डी साबित हुए थे.
पुजारा भी हैं एक परेशानी
अगर भारतीय टीम के ओपनर्स का फॉर्म खराब है तो पुजारा के टेस्ट करियर पर भी कोहली को एक नजर डाल लेनी चाहिए.
रणजी के पहले हिस्से में सौराष्ट्र ने सिर्फ कुछ दो दिवसीय टेस्ट खेले हैं जिसका मतलब है कि पुजारा का बल्ला चला ही नहीं. हालांकि पुजारा ने अपने पिछले टेस्ट मैच में सेंचुरी मारी थी लेकिन ये जरुर याद रहे कि ये मैच दो महीने पहले हुआ था, और दो महीने एक क्रिकेटर के करियर में एक लंबा फासला है.
आकाश का क्या कहना है?
मेरा मानना है कि साउथ अफ्रीका के साथ पहले टेस्ट मैच में टीम चार गेंदबाजों के साथ उतरे. अगर स्पिनर पिच है तो 3 स्पिनर्स को टीम में रखा जाए, और फिर अगर मोहाली वाली पिच है तो दो तेज गेंदबाज और दो स्पिनर्स के साथ टीम को मैदान में उतरना चाहिए. टेस्ट क्रिकेट में हर बार हार और जीत मायने नहीं रखती., कभी कभी ड्रॉ करने में भी गरिमा बरकरार रहती है, और मुझे खुशी होगी अगर मोहाली के स्कोरबोर्ड पर 0-0 भी लिखा रहेगा.
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