मार्क धर्मई एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी है जो कि मुंबई में बान्द्रा के छामबई गांव में रहता है. ये दिव्यांग पेशे से एक मछुआरा है. इस खिलाड़ी का बचपन काफी परेशानियों में बीता पर इसने अपनी स्कूलिंग सैंट एंड्यूस से की और वहीं से ग्रैजुएट भी हुआ.
मेरा बचपन काफी दर्दनाक रहा है, खास तौर पर मेरी मां के लिए, जो एक संत हैं. सारी परेशानियों के बाद भी उन्होंने मुझे बड़ा किया. खेल में मेरी प्रेरणा मेरे एक अंकल और मेरा कजिन बने हैं.मार्क धर्मई
धर्मई ने बिना किसी फॉर्मल ट्रेनिंग के नेशनल चैंपियनशिप जीती. लेकिन आर्थिक परेशानी के चलते बैडमिंटन छोड़ कर अपने पिता के साथ मछुआरे का काम करना पड़ा.
लेकिन फिर मार्क के दोस्तों और समुदाय के लोगों ने मिलकर उनकी आर्थिक मदद की, जिसके बाद उनका खेल फिर से शुरू हो पाया. 32 साल के मार्क ने मैंन्स सिंग्लस में वर्ल्ड रैंक 10 हासिल की और मैंन्स डबल्स में वर्ल्ड रैंक 3 हासिल की.
देखिये मार्क की उपलब्धियां
इस साल मार्क ने भारत की तरफ से 5 टूर्नामेंट्स में भाग लिया है. मार्क को fueladream.com से दो टूर्नामेंट्स के लिए एक कैंपेन के जरिए फंड मिला, जिसमें उनकी उपलब्धियों को लोगों के सामने रखा गया.
“मैं कभी अपने सपनों को मारना नहीं चाहता हूं चाहे कितनी भी परेशानियां आएं. मुझे भारत का नाम रौशन करने की उम्मीद है, और मैं भी लोगों को प्रेरित करने की आशा करता हूं- आपकी विकलांगता आपकी जिंदगी को बयां नहीं कर सकती. केवल आप ही अपनी किस्मत लिख सकते हैं ”
- मार्क धर्मई
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