ब्राजील में हो रहे ओलम्पिक खेलों में अब तक के अपने सबसे बड़े दल के साथ उतरे भारत को दो सप्ताह बाद भी पहले पदक का इंतजार है. तमाम धुरंधरों से मिली निराशा के बाद अब कुश्ती में नरसिंह पंचम यादव और योगेश्वर दत्त की ओर उम्मीदें टिक गई हैं.
पांच अगस्त से शुरू हुए खेलों के 17 दिन बीत चुके हैं और भारत के 100 से भी बड़े खिलाड़ियों के दल के हाथ अब तक एक भी पदक नहीं लगा है.
पहलवान उतरेंगे अखाड़े में
रियो ओलम्पिक में कुश्ती शुरू हो चुकी है. अब इन दोनों पहलवानों पर सवा करोड़ भारतीयों की निगाहें टिकी हैं. भारत ने लंदन ओलम्पिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए छह पदक हासिल किए थे, जिसमें कुश्ती से दो पदक थे. निश्चित तौर पर इस बार भारतीय पहलवान पिछले प्रदर्शन में सुधार करना चाहेंगे.
नरसिंह फ्रीस्टाइल कुश्ती के 74 किलोग्राम भारवर्ग में भारत की दावेदारी पेश करेंगे, हालांकि इस भारवर्ग में मौजूदा चैम्पियन जॉर्डन बरो को स्वर्ण का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
लंदन में कांस्य पदक जीत चुके योगेश्वर से भी काफी उम्मीदें हैं. योगेश्वर लंदन ओलम्पिक में 60 किलोग्राम भारवर्ग में यह पदक जीते थे, लेकिन इस बार उन्हें 65 किलोग्राम भारवर्ग में खेलना है.
ये भी हैं दावेदार
फ्रीस्टाइल कुश्ती के 57 किलोग्राम भारवर्ग में एक अन्य भारतीय दावेदार संदीप तोमर का यह पहला ओलम्पिक होगा और वह निश्चित तौर पर अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहेंगे. इनके अलावा तीन महिला पहलवान भी है, जो मेदान में अपना जलवा बिखेरेंगी.
विनेश फोगट, बबिता कुमारी और साक्षी मलिक तीनों के लिए ही यह पहला ओलम्पिक है. सगी बहनें विनेश और बबिता ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों-2014 में स्वर्ण पदक विजेता रह चुकी हैं. योगेश्वर रियो ओलम्पिक के आखिरी दिन 21 अगस्त को मैट पर उतरेंगे. उम्मीद है कि वह भारत के लिए रियो का सफल समापन करेंगे.
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