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क्या पूरा 360 डिग्री बदल गए हैं रोहित शर्मा?

क्यों बदले-बदले से नजर आते हैं रोहित शर्मा?

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स्टोरी के हेडलाइन में लिखे सवाल का जवाब समझने के लिए एशिया कप के बाद रोहित शर्मा की बल्लेबाजी को देखना होगा. जिसमें जिम्मेदारी का अहसास है, जिसमें परिपक्वता है, जिसमें कंसिसटेंसी है. साथ ही साथ अपने विकेट की कीमत का अंदाजा है. ये चीजें रोहित शर्मा में पहले भी थीं, फर्क बस ये था कि इन सारी बातों का ‘कॉम्बिनेशन मिसिंग’ था. अब वो कॉम्बिनेशन एशिया कप के बाद उनमें अचानक एक साथ दिखा है जो उन्हें एक अलग दर्जे का खिलाड़ी बनाता है.

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आक्रामकता उनमें पहले भी थी, अब भी है. इन सारी बातों का नतीजा है कि एशिया कप के बाद से रोहित शर्मा बिल्कुल बदले अंदाज में दिख रहे हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ हालिया वनडे सीरीज में उन्होंने कमाल की बल्लेबाजी की है. उनकी मौजूदा फॉर्म का ही असर था कि शिखर धवन के लगातार जल्दी आउट होने के बाद भी टीम इंडिया का टॉप ऑर्डर बिल्कुल ‘सॉलिड’ दिखाई दिया.

टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 वनडे मैचों की सीरीज में 3-1 से जीत दर्ज की. विराट कोहली की ‘सुपरफॉर्म’ के साथ टीम की जीत के लिए जो एक दो कंधे चाहिए होते हैं वो रोहित शर्मा के हैं. भारतीय क्रिकेट के लिए इससे अच्छी स्थिति शायद ही हो सकती है. वेस्टइंडीज के खिलाफ रोहित शर्मा का प्रदर्शन देख लेते हैं फिर बात को आगे बढ़ाएंगे.

रोहित की स्ट्राइक रेट उनकी आक्रामकता को बताता है, औसत कंसिसटेंसी को. सीरीज में सबसे ज्यादा 16 छक्के भी उन्होंने ही लगाए हैं. सवाल ये है कि अचानक क्या हुआ? क्या टेस्ट टीम से बाहर किए जाने के बाद रोहित शर्मा को समझ आया कि ये खेल को लेकर उनकी गंभीरता पर सवाल है?ये उनके करियर का सवाल है.

रोहित शर्मा के ‘एटीट्यूड’ को लेकर पिछले कुछ सालों में ना जाने क्यों ऐसी इमेज बनती जा रही थी कि वो अपनी बल्लेबाजी को लेकर लापरवाह हैं. उनमें काबिलियत कूट-कूट कर भरी हुई है लेकिन वो ‘मूडी’ हैं. ऐसा नहीं कि वो रन बनाना नहीं चाहते लेकिन रन बनाने के लिए शुरूआत में जो मेहनत करनी होती है रोहित वो नहीं करते.

ये बात क्रिकेट देखने और समझने वाले हर शख्स ने कहनी शुरू कर दी थी कि रोहित शर्मा का संकट 35-40 रन हैं. वो 35-40 रन बन गए तो फिर रोहित शर्मा अलग ही बल्लेबाज नजर आते हैं. इस छवि के साथ-साथ रोहित शर्मा के करियर का एक और बड़ा संकट था. वो टेस्ट क्रिकेट में खुद को साबित करने की लड़ाई लड़ रहे थे, उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था. वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में भी जब उनका नाम नहीं आया तो बवाल हुआ. उन्होंने निराशा जाहिर की. कुछ दिग्गज खिलाड़ियों ने उनके पक्ष में लिखा.

दिलो-दिमाग को कचोटने वाले इसी माहौल में उनकी कप्तानी में टीम इंडिया एशिया कप खेलने गई. विराट कोहली ने उस सीरीज आराम करने का फैसला लिया था. रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया ने एशिया कप जीता. इससे पहले उन्हीं की कप्तानी में टीम इंडिया श्रीलंका में एक टी-20 ट्राएंगुलर सीरीज जीती थी. जाहिर है जिंदगी के तमाम पहलू हवा में तैर रहे थे, एक तरफ वनडे टीम में मिली कामयाबी थी. दूसरी तरफ टेस्ट टीम से बाहर निकाले जाने का अफसोस था. विराट कोहली को लेकर मन में एक खटास भी थी. अगर बीसीसीआई इस खटास को बिना आधार वाली बात बताए तो उसका जवाब बड़ा सीधा है कि बिना आग के धुंआ नहीं उठता. कुछ ना कुछ नाराजगी तो विराट कोहली और रोहित शर्मा में थी ही. आपको याद दिला दें कि बीसीसीआई ने बकायदा हैदराबाद में एक मीटिंग की थी. जिसमें विराट कोहली और रोहित शर्मा दोनों मौजूद थे.

रोहित शर्मा को इस मीटिंग के लिए खास तौर पर बुलाया गया था. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौर में अगर रोहित शर्मा को बुलाया गया था तो उसका मकसद था कि विराट, रोहित और टीम मैनेजमेंट आमने सामने बात कर लें. इन्हीं परिस्थितियों में रोहित शर्मा को शायद समझ आया कि खिलाड़ी को अपनी बात अपने प्रदर्शन से कहनी चाहिए लिहाजा रोहित की जुबान उनका बल्ला बना है.

इस बीच चयनकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट टीम में रोहित शर्मा को चुना है. पिछली कुछ सीरीज से टेस्ट टीम से बाहर रखे गए रोहित शर्मा के चयन का फैसला चौंकाने वाला तो है लेकिन ये फैसला बताता है कि एक बार फिर रोहित शर्मा पर भरोसा किया गया है. प्लेइंग-11 की बात तो अभी दूर है लेकिन जब भी रोहित शर्मा को टेस्ट टीम में मौका मिलेगा वो उन पर किए गए भरोसे का इम्तिहान होगा.

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