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नम आंखों के साथ सचिन तेंदुलकर ने अपने गुरु आचरेकर को दी विदाई

गुरुवार को कोच आचरेकर का अंतिम संस्कार मुंबई में ही किया गया. अंतिम विदाई देने के लिए सचिन तेंदुलकर पहुंचे

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क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के गुरु कोच रमाकांत आचरेकर का बुधवार को निधन हो गया. गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार मुंबई में ही किया गया. कोच आचरेकर को अंतिम विदाई देने के लिए उनके सबसे होनहार छात्र सचिन तेंदुलकर भी पहुंचे. 87 साल की उम्र में कोच आचरेकार ने शिवाजी पार्क के पास ही दादर में अपने घर में आखिरी सांस ली.

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पहले उनके पार्थिव शरीर को शिवाजी पार्क में ही रखा गया, जहां उन्होंने कई युवा क्रिकेटर्स के सपनों को अपनी कोचिंग के जरिए हकीकत में बदला था. उसके बाद पास के ही शमशान घाट में उनका दाह-संस्कार किया गया. जब पार्थिव शरीर को ग्राउंड के बाहर ले जाया जा रहा था तो कई युवा क्रिकेटर्स ने बल्ला ऊपर उठा कर उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया और ‘अमर रहे’ के नारे लगाए.

कोच आचरेकर के शिष्यों में तेंदुलकर के अलावा विनोद कांबली, बलविंदर सिंह संधु और चंद्रकांत पंडित भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए, जहां कोच आचरेकर पंचतत्व में विलीन हो गए. इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को उनके घर पर रखा गया था जहां उनके सगे संबंधियों और प्रशसंकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. आपको बता दें कि कोच आचरेकर द्रोणाचार्य और पद्मश्री जैसे सम्मानों से सम्मानित हो चुके हैं.

दूसरे कोचों से अलग हटकर थे आचरेकर

आचरेकर और बाकी कोचों में फर्क ये था कि जिसे योग्य नहीं मानते, उसे वह क्रिकेट की तालीम नहीं देते थे. तेंदुलकर और उनके बड़े भाई अजित ने कई बार बताया है कि आचरेकर कैसे पेड़ के पीछे छिपकर तेंदुलकर की बल्लेबाजी देखते थे, ताकि वह खुलकर खेल सके.

जब तेंदुलकर से लगाते थे शर्त

क्रिकेट की किंवदंतियों में शुमार वो कहानी है कि कैसे आचरेकर स्टम्प के ऊपर एक रुपये का सिक्का रख देते थे और तेंदुलकर से शर्त लगाते थे कि वह बोल्ड नहीं हों, ताकि वो सिक्का उसे मिल सके. तेंदुलकर के पास आज भी वे सिक्के उनकी अनमोल धरोहरों में शुमार है.

जब आचरेकर ने सचिन को जड़ा तमाचा

अपने स्कूल की सीनियर टीम को एक फाइनल मैच खेलते देखते हुए तेंदुलकर ने जब एक मैच नहीं खेला, तो आचरेकर ने उन्हें करारा तमाचा जड़ा था. तेंदुलकर ने कई मौकों पर आचरेकर के उन शब्दों को दोहराया है,‘‘तुम पवेलियन से ही ताली बजाओ, इसकी बजाए लोगों को तुम्हारा खेल देखने के लिए आना चाहिए.'' बचपन में तेंदुलकर कई बार आचरेकर के स्कूटर पर बैठकर स्टेडियम पहुंचे.

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