मोहम्मद अजहरुद्दीन, क्रिकेट का वो धूमिल सितारा जो चमकने से पहले ही फीका पड़ गया. इस पूर्व भारतीय कप्तान की महानता की दास्तान तभी शुरु हो चुकी थी जब अपने पहले तीन टेस्ट मैचों में तीन शतक के साथ वह अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर उभरे थे. अजहर ने 1985 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में एंट्री मारी थी. 1990 में उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी सौंप दी गई.
तीन विश्व कप में भारत का नेतृत्व करने वाले और एक दौर में टीम को 90 जीत दिलाने वाले, वह सबसे सफल भारतीय वनडे कप्तान कहलाते थे.
लेकिन 5 दिसंबर 2000 की तारीख ने, अजहर के लिए सब कुछ बदल दिया. महानता का आयाम गढ़ सकने वाला एक खिलाड़ी देश का गद्दार घोषित कर दिया गया. उसे मैच फिक्सिंग का दोषी करार दिया गया.
उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘अजहर’ रिलीज होने जा रही है. रिलीज से पहले ही फिल्म पर काफी चर्चा हो रही है.
आइए डालते हैं उस घटनाक्रम पर एक नजर जिसने अजहर को जीवनभर के लिए क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया.
हैंसी क्रोन्ये पर दिल्ली पुलिस का आरोप
7 अप्रैल, 2000 को दिल्ली पुलिस ने दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोन्ये पर भारत के खिलाफ वनडे मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया. पुलिस ने क्रोन्ये और सट्टेबाज संजय चावला के टेप जारी किए. इसमें कथित तौर पर सौदे को अंतिम रूप देने के बारे में बातचीत रिकॅार्ड थी. क्रोन्ये ने मैच फिक्स के आरोप से इनकार कर दिया.
बाकी खिलाड़ी हर्शल गिब्स, पीटर स्ट्राइडम और निकी बोजे के भी घोटाले में शामिल होने की बात कही गई.
हैंसी क्रोन्ये का बयान
15 जून 2000 को क्रोन्ये ने अजहर पर 1996 में एक टेस्ट मैच फिक्स करने के लिए सट्टेबाज से मिलवाने का आरोप लगाया.
अजहर ने इन आरोपों से इनकार किया और उन्हें “बकवास “ बताया.
क्रोन्ये ने दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड के सामने फिक्सिंग की बात कबूल कर ली. भारत के खिलाफ वनडे श्रृंखला के दौरान अपनी टीम के बारे में जानकारी देने के लिए 10,000 से 15,000 डॅालर रकम लेने की बात कही. क्रोन्ज को अपने इकबालिया बयान के तुरंत बाद दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड से कप्तान के पद से बर्खास्त कर दिया गया. 11 अक्टूबर 2000 को जीवनभर के लिए क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया गया.
28 अगस्त 2000 को हर्शल गिब्स और हेनरी विलियम्स को चार महीने के लिए प्रतिबंधित किया गया. पीटर स्ट्राइडम आरोप से बरी कर दिए गए.
आयकर अधिकारियों का भारतीय खिलाड़ियों पर छापा
20 जुलाई 2000 में आयकर अधिकारियों ने भारतीय टीम के टॉप चार क्रिकेटरों अजहरुद्दीन , अजय जडेजा , नयन मोंगिया और निखिल चोपड़ा के घरों पर छापा मारा. भारतीय कोच कपिल देव के घर भी छापा पड़ा.
अजहरुद्दीन पर सीबीआई की रिपोर्ट
31 अक्टूबर 2000, सीबीआई रिपोर्ट में कहा गया कि अजहर ने मैच फिक्सिंग में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली है. रिपोर्ट में अजहर का अपने साथियों अजय जडेजा और नयन मोंगिया से मदद लेने की भी बात कही गई.
अजहरुद्दीन दोषी पाए गए
27 नवंबर 2000, बीसीसीआई के एंटी करप्शन कमिश्नर के. माधवन ने अजहर को दोषी पाया. अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा और पूर्व भारतीय टीम Physio अली ईरानी को सट्टेबाजों के साथ गठजोड़ का दोषी पाया गया.
नयन मोंगिया और कपिल देव पर आरोप गलत साबित हुए.
अजहर पर आजीवन प्रतिबंध लगा
5 दिसंबर 2000, अजय शर्मा के साथ मिलकर अजहर को मैच फिक्सिंग में उनकी भूमिका पर जीवनभर के लिए क्रिकेट से बैन कर दिया गया.
अजय जडेजा को पांच साल के लिए बैन किया गया. प्रभाकर और अली ईरानी को भारतीय क्रिकेट में किसी भी पद के लिए पांच साल तक प्रतिबंधित कर दिया गया.
हालांकि, जनवरी 2003 में , जडेजा के प्रतिबंध पर दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला पलट गया. मैच फिक्सिंग में शामिल होने का कोई सबूत नहीं होने का हवाला दिया गया. मई 2003 में अदालत ने जडेजा को घरेलू क्रिकेट खेलने की अनुमति दे दी.
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिखाई अजहर को हरी झंडी
6 नवम्बर 2012, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से अजहर पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया गया.
मैं आज के फैसले से बहुत खुश हूं और मैं किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहता. ये सब छोड़ आगे बढ़ना है. यह सब किस्मत का लिखा है.मोहम्मद अजहरुद्दीन
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