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विराट कोहली की झलक पाने के लिए बेच डाले मां के गहने

कोहली को स्टेडियम में LIVE देखने के लिए अपनी मां के गहने तक बेच दिए.

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शरीर पर तिरंगा पेन्ट करवाकर और छाती पर सचिन तेंदुलकर लिखकर स्टेडियम में शंख बजाने वाले सुधीर गौतम को तो आप जानते ही होंगे. देश के सबसे सफल कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी के दीवाने राम बाबू के बारे में भी आपने सुना ही होगा.

लेकिन आज हम आपको मिलाते हैं एक ऐसे फैन से जो भारतीय क्रिकेट टीम के नए कप्तान और वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े बल्लेबाज विराट कोहली का दीवाना है. दीवानापन इस हद तक है कि इस फैन ने विराट कोहली को स्टेडियम में LIVE देखने के लिए अपनी मां के गहने तक बेच दिए.

33 साल का निकाष ओडिशा के कंधमाल जिले का रहने वाला है और पेशे से बस कंडक्टर है. निकाष के पिता सब्जी बेचने का काम करते हैं. बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले निकाष दिन भर में बस 200-250 रुपए ही कमा पाते हैं. स्टेडियम में मैच की टिकट और अलग अलग शहर जाने के लिए हवाई किराया बहुत महंगा है लिहाजा निकाष ने अपनी मां के गहने बेच दिए और उससे मिले पैसे से अपने हीरो विराट कोहली की बल्लेबाजी LIVE देखी.

निकाष की मानें तो उनकी मां का सपना है कि वो अपने बेटे और विराट कोहली को एक ही फोटो में साथ देखें और सिर्फ इसलिए उन्होंने निकाष को उनके गहने बेचने दिए. हालांकि निकाष के पिता को विराट के लिए इनका ये जुनून पसंद नहीं लेकिन उनकी मां उनके साथ हैं.

मेरे पास देशभर में घूमने के पैसे नहीं है, लेकिन मैं भारत का हर मैच देखना चाहता हूं. मैंने अपने पंसदीदा खिलाड़ी विराट कोहली के लिए घरेलू जिम्मेदारियों से भी मुंह मोड़ लिया है.
निकाष कन्हार, विराट कोहली के फैन

ईडन गार्डन में कोहली के लिए लहराया तिरंगा

इंग्लैंड के खिलाफ ईडन गार्डन स्टेडियम में भी निकाष, कोहली और भारतीय टीम की हौसला-अफजाई के लिए पहुंचे थे. रविवार को निकाष कोलकाता के इस ऐतिहासिक मैदान पर कोहली की जर्सी पहने लगातार तिरंगा फहराते नजर आए.

मैं विशाखापट्टनम, कटक, रांची, कोलकाता और पंजाब में हुए मैच देखने स्टेडियम पहुंचा था.
निकाष कन्हार, विराट कोहली के फैन

विराट ने पूछा मेरा हाल चाल

जब निकाष से पूछा गया कि क्या विराट उनसे कभी मिले हैं तो उन्होंने बताया कि वो टीम इंडिया के नए कप्तान से अब तक 4 बार मिल चुके हैं. निकाष के मुताबिक विराट कोहली का व्यवहार उनके प्रति बहुत अच्छा रहा है और जब भी वो उनसे मिलते हैं तो हाल-चाल पूछते हैं.

विदेशी गलत नहीं कहते कि क्रिकेट भारत में एक धर्म, एक नशा है. जरा सोचिए ऐसी भी क्या दीवानगी होगी कि किसी खेल या खिलाड़ी के लिए एक शख्स अपनी पूरी जिंदगी ही समर्पित कर डाले. इसमें कोई शक नहीं कि क्रिकेट को दुनिया में इतनी ऊंचाई देने में जितना हाथ बड़े-बड़े खिलाड़ियों का है उतना ही योगदान निकाष, सुधीर और रामबाबू जैसे दीवानों का है.

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