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Clubhouse रूम्स पर सरकार की जासूसी, टर्म्स ऑफ सर्विस का उल्लंघन

Clubhouse अब इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का शिकार बन रहा है

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ऐसी खबरें हैं कि भारत की सरकारी एजेंसियां क्लबहाउस (Clubhouse) ऐप के लाइव वॉइस चैट रूम्स (clubhouse chat rooms) पर जासूसी कर रही हैं. सूत्रों ने द हिंदू को बताया है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो, RAW, NIA, ED समेत कई टॉप केंद्रीय एजेंसियां क्लबहाउस रूम्स को ट्रैक कर रही हैं.

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क्लबहाउस एक ऐसा सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म है, जो इनवाइट पर चलता है. मतलब कि यूजर एक दूसरे से जुड़ने के लिए इनवाइट भेजते हैं. इसमें तस्वीरें, वीडियो और टेक्स्ट मेसेज की जगह ऑडियो क्लिप का एक्सचेंज होता है. इस ऐप को रोहन सेठ और पॉल डेविसन ने बनाया है.  
ऐप 21 मई को भारत में गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च हुआ था और अभी एक इसके 10 लाख से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं.  
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क्लबहाउस की टर्म्स ऑफ सर्विस का उल्लंघन

केंद्रीय एजेंसियां ऐप के चैट रूम्स से जानकारी निकालने की कोशिश कर रही हैं. मतलब कि क्लबहाउस अब इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का शिकार बन रहा है.

हालांकि, ये क्लबहाउस की टर्म्स ऑफ सर्विस का सीधा उल्लंघन है. ऐप की टर्म्स और कंडीशन ये कहती हैं:

  • "स्पीकर्स की सहमति के बिना कोई भी व्यक्ति बातचीत का कोई भी हिस्सा रिकॉर्ड नहीं कर सकता है." हालांकि, रिपोर्ट्स हैं कि एजेंसियां बिना सहमति के बातचीत रिकॉर्ड कर रही हैं.
  • "किसी व्यक्ति या संगठन की नकल या किसी व्यक्ति से अपने संबंध को गलत रूप से नहीं दिखा सकते." एक आधिकारिक सूत्र ने क्विंट से कहा कि केंद्रीय एजेंसियां बातचीत ट्रैक करते समय अपनी असली पहचान नहीं बताएंगी.
  • किसी भी तरीके से किसी भी जानकारी तक एक्सेस पाना या उसे हासिल करने की कोशिश करना भी उल्लंघन होगा.
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आईटी कानून क्या कहता है?

आईटी कानून 2000 के सब-सेक्शन (1) सेक्शन 69 और आईटी नियम 2009 के तहत इन सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों को पावर मिली हुई है. लेकिन ये बात ध्यान रखनी जरूरी है कि क्लबहाउस ने अभी आईटी नियमों को मंजूर नहीं किया है.

कंपनी ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि वो 'अभी देख रही है कि ये नियम उस पर कैसे लागू होंगे और वो इस दिशा में काम कर रही है.'

क्लबहाउस ने कहा है कि ‘अपने, आपके और दूसरों के अधिकार, निजता और संपत्ति की रक्षा, टर्म्स और कंडीशन लागू करने, और फ्रॉड, हानिकारक, अवैध, अनैतिक और गैरकानूनी गतिविधि की जांच और उसे रोकने के लिए’ वो निजी जानकारी कानूनी, सरकारी और निजी एजेंसियों को दे सकता है.  

लेकिन ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में कहीं भी साफ तौर से नहीं लिखा है कि लाइव चैट रूम्स को ये एजेंसियां मॉनिटर कर सकती हैं.

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क्लबहाउस का क्या कहना है?

क्लबहाउस रूम पर क्विंट और कुछ चुनिंदा मीडिया आउटलेट के साथ बातचीत में पॉल डेविसन ने कहा कि कंपनी रूम की ऑडियो का एक अस्थायी एन्क्रिप्टेड बफर रिकॉर्डिंग रखती है, जिसका इकलौता मकसद जांच के लिए इस्तेमाल होना है. हालांकि, ये रिकॉर्डिंग कुछ ही समय में डिलीट कर दी जाती है अगर कोई उस रूम को रिपोर्ट नहीं करता है.

डेविसन ने कहा कि कंपनी ने विश्वास और सुरक्षा के लिए तीन-टियर एप्रोच लागू की है, जो लोग, पॉलिसी और प्रोडक्ट का ध्यान रखती है.

डेविसन ने कहा, "हमने सुनिश्चित किया है कि ये एक रियल आइडेंटिटी सर्विस है. ऑथोराइजेशन के लिए फोन नंबर की जरूरत होती है, जिसे फेक करना मुश्किल है. ये एक वॉइस नेटवर्क है, जिसे फेक करना और मुश्किल है."

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