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स्पेस के कबाड़ से बनेगा रॉकेट फ्यूल: चार चरण में चार कंपनियां करेंगी रिसाइकिल

स्पेस के खतरनाक कबाड़ को रॉकेट फ्यूल में रिसाइकिल करना संभव है और इसका प्रयास शुरू भी हो चुका है

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हमारा ग्रह जिस ऑर्बिट पर चक्कर काटता है वह पुराने अंतरिक्ष यान, सैटेलाइट, रॉकेट के मलबे (debris) से भराता जा रहा है. यह पूरे मनुष्य जाति के लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है. लेकिन अगर आपको बताएं कि स्पेस के इसी खतरनाक कबाड़ को रॉकेट फ्यूल में रिसाइकिल करना संभव है और इसका प्रयास शुरू भी हो चुका है तो?

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धरती की जगह स्पेस में इस कमाल के रिसाइकिल का कॉन्सेप्ट दक्षिण ऑस्ट्रेलियाई कंपनी न्यूमैन स्पेस लेकर आई है.

न्यूमैन स्पेस ने इससे पहले एक "in-space electric propulsion system" विकसित की है जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष यानों के मिशन का विस्तार करने, सैटेलाइट को स्थानांतरित करने या उन्हें ऑर्बिट से बाहर करने के लिए किया जा सकता है.

यही अब न्यूमैन स्पेस कंपनी अब तीन अन्य कंपनियों के साथ अंतरिक्ष के कबाड़ को रॉकेट फ्यूल में बदलने की योजना पर काम कर रही है.

चार चरण में ऐसे स्पेस को कबाड़ बदलेगा रॉकेट फ्यूल में

अलग-अलग कंपनियों की तकनीक के एक साथ आने से ही ऐसा संभव हो पायेगा. स्पेस को कबाड़ को रॉकेट फ्यूल में बदलने के इस प्रयास में सहयोगी और जापानी स्टार्ट-अप एस्ट्रोस्केल ने पहले ही प्रदर्शित कर दिया है कि वह अंतरिक्ष में मलबे के टुकड़ों को पकड़ने के लिए सैटेलाइट का उपयोग कैसे कर सकता है.

दूसरी तरफ अमेरिका का नैनोरॉक्स उस मलबे को ऑर्बिट में ही स्टोर करने और छोटे हिस्सों में काटने के लिए उन्नत रोबोटिक्स का उपयोग करने की योजना पर काम कर रहा है.

एक अन्य अमेरिकी कंपनी Cislunar इन छोटे स्पेस मलबों को धातु की छड़ों में ढालने के लिए एक स्पेस फाउंड्री (अंतरिक्ष भट्टी) विकसित कर रही है.

इन तीनों कंपनियों के तकनीक के इन तीन चरण के बाद और न्यूमैन स्पेस की "in-space electric propulsion system" उन धातु की छड़ों को फ्यूल के रूप में उपयोग कर सकती है.

स्पेस का मलबा इस कारण से है गंभीर समस्या

एक बार जब किसी वस्तु को पृथ्वी के ऑर्बिट में भेज दिया जाता है, तो वे हमेशा के लिए वहां रह सकते हैं. जब तक कि वे कक्षा से बाहर नहीं निकल जाते (डी-ऑर्बिट). डी-ऑर्बिट होने के बाद वे पृथ्वी के वायुमंडल में जल जाते हैं (या कभी-कभी पृथ्वी की सतह से टकराते हैं).

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लेकिन आम तौर पर खराब और टूटे हुए सैटेलाइट या प्रयोग में लाये जा चुके रॉकेट के पुर्जे पृथ्वी के ऑर्बिट में 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से घूम रहे हैं. इस हाई स्पीड पर ये आसानी से संचार उपग्रहों और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं.

पिछले हफ्ते रूस ने एक एंटीसैटेलाइट मिसाइल दागी और अपने स्वयं के सैटेलाइट में से एक को नष्ट कर दिया. इसके कारण टूटे सैटेलाइट का मलबा चारों ओर फैल गया. अमेरिका ने इसपर कहा कि मलबा अब "सभी देशों के हितों के लिए खतरा" है.

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