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डीजल बाबू! परेशान क्यों हो?

उच्चतम न्यायालय के ‘सुप्रीम बैन’ ने डीजल कार मालिकों का सुख-चैन छीन लिया है.

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भाई मैं छोटी गाड़ी के खर्च में बड़ी वाली चलाता हूं!

सस्ते डीजल के दम पर बड़ी और महंगी गाड़ियां चला रहे लोग, अब फुर्सत में बैठकर पैट्रोल कार मालिकों को ऐसा ज्ञान नहीं बांट सकेंगे. उच्चतम न्यायालय के ‘सुप्रीम बैन’ ने डीजल कार मालिकों के इस सुख को मानो छीन लिया है.

पहले एनजीटी ने और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली-एनसीआर में बड़ी डीजल गाड़ियों पर बैन का आदेश सुनाया, जो अब ज्यादातर डीजल कार मालिकों के माथे का शिकन बन गया है.

बहरहाल, इस बैन को लोग किस तरह से ले रहे हैं और कैसे रिएक्ट कर रहे हैं, इसे समझने की हमने कोशिश की.

पहला रिएक्शन - ‘डीजल कारें’ और ‘बैन’, दोनों एक ही वाक्य में. मैंने कहीं कुछ गलत तो नहीं सुना?

जी सुना तो आपने एकदम सही है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 2000सीसी से ज्यादा पावर की गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन पर बैन लगा दिया है. 1 जनवरी, 2016 से लेकर 31 मार्च, 2016 के बीच ये गाड़ियां दिल्ली में रजिस्टर नहीं हो पाएंगी. और हां, यह वाकई शॉकिंग है.

और मेरी न्यू ईयर पार्टी का क्या होगा, जो नई डीजल कार के साथ होनी थी?

...तो 2015 के 13 दिन बकाया हैं ना. झटपट अपने सपनों की कार डील को फाइनल करें और मौज लें.

अगर मेरी प्लानिंग जनवरी से मार्च के बीच कार लेने की हो, तो?

तो बैन हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लागू नहीं हुआ है. वहां तो डीजल कारों की बिक्री चालू रहेगी.

लेकिन डीजल के कमर्शियल वाहनों का क्या होगा?

वो सीधे तौर पर बैन का हिस्सा नहीं हैं. मसलन, 2005 से पुराने कमर्शियल वाहन, बैन. वाया दिल्ली सफर कर रहे कमर्शियल वाहन, बैन. दिल्ली में एंट्री ले रहे वाहन दोगुना ग्रीन टैक्स (2600 रुपए) भरकर शहर में दाखिल हो पाएंगे.

बाकी जो कमर्शियल वाहन व टैक्सियां सीएनजी पर हैं और दिल्ली से रजिस्टर्ड हैं, वो फ्री... फ्री... फ्री...!!!

पर क्या वाकई दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना भयावह है?

हां, हालत तो काफी खराब है. 2014 में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट की मानें, तो दिल्ली में प्रदूषण का स्तर तय लिमिट से काफी ऊपर है. पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा कार्बन छोड़ने वाली डीजल कारें इस स्थिति को और भी ज्यादा खराब कर रही हैं.

खैर, कोर्ट के इस फैसले ने सभी का ध्यान दिल्ली के प्रदूषण की ओर खींचा है और इस बीच एक नई बहस भी शुरु हुई है कि आखिर नए साल में 1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच सफर कैसे किया जाएगा?

तो इस सवाल के जवाब में हमारी ओर से एक सुझाव है. इसपर गौर करें...

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