ADVERTISEMENTREMOVE AD

खेल-खेल में शिक्षा: कैसे शिक्षा को प्रभावित कर रही है तकनीक?  

सीसेम इंडिया और क्वाॅलकाॅम ने शुरू की डिजिटल एजुकेशन मुहिम ‘प्ले एंड लर्न’, जानिए कैसे बदल रही एजुकेशन प्रणाली. 

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

आज दुनिया भर में 7 अरब से भी अधिक लोगों के पास मोबाइल कनेक्शन हैं. 2018 के अंत तक ये आंकड़ा बढ़कर 8.7 अरब तक हो सकता है. इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए ये कहा जा सकता है कि भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में मोबाइल तकनीक का बहुत महत्व होगा.

क्वालकॉम और सीसेम इंडिया ने मिलकर हाल में ‘प्ले एन लर्न’ नामक अभियान की पहल की है. इसके तहत स्कूली बच्चों को तकनीकी सीखने के लिए मदद करने का लक्ष्य निर्धारित है.

स्मार्टफोन चिप बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी क्वालकॉम इंडिया की साउथ एशिया मार्केटिंग डायरेक्टर, मोनालिसा साहू और बाल कल्याण क्षेत्र में अग्रणी संगठन, सीसेम वर्कशॉप इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर शाश्वती बनर्जी से बातचीत में हमने इस प्रोजेक्ट से जुड़ी खास बातें जानीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रश्न - मोबाइल किस तरह से बच्चों की शिक्षा के प्रति रुचि, शिक्षा की गुणवत्ता और सीखने की क्षमता को बढ़ाने में मददगार है?

मोनालिसा साहू - प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में रटने की पारंपरिक विधि से कहीं अधिक बच्चों की तार्किक क्षमता, रचनात्मकता, संचार और मिलकर काम करने की भावना को बढ़ावा देने की जरूरत है. शिक्षा के क्षेत्र में यह उपलब्धि डिजिटल तकनीक के जरिए संभव है.

सीसेम इंडिया और क्वाॅलकाॅम ने शुरू की डिजिटल एजुकेशन मुहिम ‘प्ले एंड लर्न’, जानिए कैसे बदल रही एजुकेशन प्रणाली. 
मोनालिसा साहू, सीनियर डायरेक्टर अॉफ मार्केटिंग,साउथ एशिया, कॉलकॉम इंडिया

‘प्ले एन लर्न’ एक उदाहरण है कि किस तरह प्रौद्योगिकी की मदद से बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, वहीं सीसेम वर्कशॉप इन इंडिया और क्वालकॉम वायरलेस मिलकर ऐसे मजेदार गेम्स मोबाइल फोन और टैबलेट के लिए तैयार कर रहे हैं जो छह से आठ साल के बच्चों को खेल-खेल में सिखाने में बेहद उपयोगी हो सकते हैं.

शाश्वती बनर्जी - बच्चे किस तरह तकनीक के प्रति सहज हैं इसे जानने के लिए उनसे जुड़ना जरूरी है. शोध में प्रमाणित हो चुका है कि तकनीकी पर आधारित खेल बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.


सीसेम इंडिया और क्वाॅलकाॅम ने शुरू की डिजिटल एजुकेशन मुहिम ‘प्ले एंड लर्न’, जानिए कैसे बदल रही एजुकेशन प्रणाली. 
शाश्वती बनर्जी, मैनेजिंग डायरेक्टर, सिसेम वर्कशॉप इंडिया

बच्चे भी टैबलेट को एक-दूसरे से शेयर करने में रुचि लेते हैं. इससे क्लास में टीचर और बच्चों का संबंध बेहतर होता है और बच्चे स्कूल आने में अधिक रुचि लेते हैं. इस प्रयास से हम तकनीक की मदद से बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारने का व्यापक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रश्न - मासिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (MOOCs) - इंटरनेट पर शिक्षा को लेकर आपके क्या विचार हैं?

शाश्वती बनर्जी - MOOCs लोगों द्वारा मोबाइल पर जानकारी प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है. छात्रों को प्रशिक्षित कर और पाठ्यक्रम को प्रभावी तरीके से उन तक पहुंचाने में यह तरीका काफी उपयोगी है.

सीसेम इंडिया और क्वाॅलकाॅम ने शुरू की डिजिटल एजुकेशन मुहिम ‘प्ले एंड लर्न’, जानिए कैसे बदल रही एजुकेशन प्रणाली. 
(फोटो: iStock)

हालांकि इनके इस्तेमाल से उच्च शिक्षा की चुनौतियों पर प्रश्न भी खड़े हो रहे हैं. मसलन, जहां इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी कोने से डिग्री व डिप्लोमा मिल सकता है, वहां शैक्षणिक संस्थान की गुणवत्ता को कैसे मापा जाएगा और सामान्य संस्थानों से इसकी तुलना कैसे हो सकेगी?

मोनालिसा साहू - पहले माना जा रहा था कि MOOCs पारंपरिक शिक्षा प्रणाली की पूरी तरह जगह ले लेंगे. लेकिन ऐसा भारत में नहीं हो सकता है. जिस तरह प्रौद्योगिकी की भूमिका अहम है, उस तरह पारंपरिक शिक्षा विधि भी महत्वपूर्ण है और शिक्षकों की अनदेखी नहीं की जा सकती है. पहले भी डिजि़टल माध्यम से शिक्षा की आलोचना हुई है औऱ अब भी इसे बेहतर निरीक्षण व संरचना की आवश्यकता है.

सीसेम इंडिया और क्वाॅलकाॅम ने शुरू की डिजिटल एजुकेशन मुहिम ‘प्ले एंड लर्न’, जानिए कैसे बदल रही एजुकेशन प्रणाली. 
(फोटो: iStock)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रश्न - असल जिंदगी के कुछ ऐसे उदाहरणों पर रोशनी डालें जिनमें इस डिजिटल एजुकेशनल सामग्री ने उन बच्चों का जीवन बदला हो जिनकी पहुंच उस तक हो ही नहीं?

मोनालिसा साहू - इस प्रयास से हमें प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ाने में ही मदद नहीं मिलेगी बल्कि शिक्षकों और छात्रों के संबंध को और अधिक सहज व मजबूत बनाया जा सकेगा.

बहुत हाई एंड तकनीक की जगह हम सस्ते और सुलभ विकल्पों पर बल दे रहे हैं.

शाश्वती बनर्जी - हमारा लक्ष्य प्रचलित शिक्षण को मोबाइल पर डालने के बजाय मोबाइल के लिहाज से बेहतर पढ़ने की सामग्री तैयार करना है.

सीसेम इंडिया और क्वाॅलकाॅम ने शुरू की डिजिटल एजुकेशन मुहिम ‘प्ले एंड लर्न’, जानिए कैसे बदल रही एजुकेशन प्रणाली. 
(फोटो: iStock)

केन्या में ‘ईलिमू’ ने मोबाइल-लर्निंग प्रोजेक्ट के तहत किताबों के पाठ्यक्रम को अधिक मजेदार बनाने की कोशिश की है जिसमें गाने, क्विज, पहेलियां औऱ एनिमेशन की मदद ली है. इस पाठ्यक्रम को बच्चों तक 3जी टैबलेट के जरिए पहुंचाने का प्रयास किया गया है. इससे केन्या के प्राथमिक शिक्षण पद्धति में सकारात्मक बदलाव भी दिखे हैं.

हमनें भी महसूस किया कि अगर एक बार छात्र में सीखने की इच्छा जाग जाए तो वे बहुत आगे जा सकते हैं. वे अधिक से अधिक सीखने की कोशिश करेंगे और साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×