251 रुपए में आप कई चीजें खरीद सकते हैं, पर अचानक से हवा में पैदा हुई नोएडा की एक कंपनी तो 251 रुपए में एक स्मार्टफोन ही लेकर आ गई है.
बहुत ही मजेदार ढंग से देश भर में इस फोन को लॉन्च किया गया, इसका विज्ञापन दिया गया. पर ये कुछ कारण हैं, जिनके चलते आपको इस फ्रीडम 251 से दूर ही रहना चाहिए.
1.रिंगिंग बेल है क्या?
रिंगिंग बेल एक कंपनी है, जो 2015 में बनी. इसके प्रमोटर के बारे में किसी के पास कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. यह गोयल परिवार पिछले दो दशकों से खेती से जुड़े व्यवसाय में है. इससे आप खुद ही ये सोचने पर मजबूर हो सकते हैं कि टेक्नोलॉजी में अचानक इनकी दिलचस्पी कैसे जाग गई. यहां तक कि उनके कृषि व्यवसाय का नाम बताना भी मुश्किल है.
2. एक जैसे फोन हैं एडकॉम 4 और फ्रीडम 251
फ्रीडम 251 पहले से एक बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर भारत में बिक्री के लिए मौजूद फोन एडकॉम 4 की नकल है. यह नई कंपनी इतनी बेशर्म है कि प्रमोशनल ईवेंट्स पर ये फोन कंपनी के कर्मचारियों के ही हाथों में रहे, मीडिया को बड़ी अनिच्छा से ही उन्होंने ये फोन दिखाए.
जिन लोगों के हाथ में ये फोन आया, उन्होंने बता दिया कि ये 4,081 की कीमत वाले एडकॉम 4 को ही दोबारा बाजार में पेश करने की साजिश है.
3. बिजनेस बढ़ाने का जबरदस्त तरीका
कंपनी के एक प्रतिनिधि का कहना है कि फोन की असली कीमत मात्र 2,500 रुपए है. कर में छूट मिलने पर यह 13.8 फीसदी यानी 500 रुपए तक और कम हो जाती है.
कंपनी इसे बेचने के लिए किसी थर्ड पार्टी पर निर्भर नहीं, तो ऐसे में कीमत से 480 रुपए और घट जाते हैं. इससे बिजनेस बढ़ाने के लिए कंपनी की जरूरतें पूरी हो जाती हैं. वे हर महीने 5 लाख ऐसे फोन बनाने की योजना बना रहे हैं. ऐसा इसलिए ताकि मार्केट में उनका फोन हर जगह नजर आए और वे 30 फीसदी मार्केट पर कब्जा कर लें.
इससे उनके फोन की कीमत 500 रुपए और कम हो जाएगी. पर ये सारा गणित लगाकर भी फोन बनाने की कीमत 1,020 बच जाती है. तो बाकी पैसा कौन देगा?
4. कैसे बेचेंगे फोन?
फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी बड़ी ई कॉमर्स साइट अभी तक सामान को बेचने से लेकर पहुंचाने के सिस्टम को मजबूत करने में लगी हुई हैं. रिंगिंग बेल के पास बस एक छोटी-सी वेबसाइट है, जो 40 रुपए के डिलीवरी चार्ज पर फोन पहुचाने के दावों के बावजूद अब तक कई बार क्रैश हो चुकी है.
इस समय आप सिर्फ अपना फोन बुक कर सकते हैं, जो 4 महीने बाद आपको मिलेगा. 4 महीने में कोई कंपनी बड़े आराम से आपका पैसा लेकर उसे मार्केट में लगाकर, फायदा उठाकर बाजार से गायब भी हो सकती है. चूंकि यह बस 251 रुपए की ही बात है, तो ज्यादा लोग कंपनी का पीछा भी नहीं करेंगे.
5. फ्रीडम 251 बनाम एप्पल आईफोन
हिंदुस्तान टाइम्स के एक आर्टिकल में लिखा गया कि फ्रीडम 251 की ज्यादातर बिल्ट-इन एप एपल आईफोन के आइकन्स की नकल थी. ग्राहकों को लुभाने का ये घटिया तरीका है. लेकिन अगर एपल ने कानूनी कार्रवाई की, तो रिंगिंग बेल को लेने के देने पड़ सकते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)