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भारत में ‘गूगल टैक्स’ क्यों? ये जानकारियां हैं जरूरी

भारत सरकार ने भारत में काम कर रही बड़ी IT कंपनियों से टैक्स लेने की योजना बनाई है. 

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अब तक भारत में काम करने वाली गूगल, फेसबुक और याहू जैसी बड़ी IT कंपनियों से इकट्ठा किए जाने वाले टैक्स को ठीक तरह आंकना एक मुश्किल काम था. पर बहुत जल्द ही ये कंपनियां एक नई तरह के टैक्स के कानूनी दायरे में आ जाएंगी. इस नए टैक्स का नाम है ‘गूगल टैक्स’.

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाली बड़ी IT कंपनियों से एक साथ बड़ा पैसा उठाने के लिए इस टैक्स की योजना बनाई जा रही है. पर आप पूछ सकते हैं कि गूगल टैक्स फेसबुक या याहू से कैसे लिया जा सकता है. हमारे पास आपके सारे सवालों के जवाब हैं, आगे पढ़िए..

गूगल टैक्स क्या है?

गूगल टैक्स गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों पर लगने वाला टैक्स है जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एड के जरिए कमाई करती हैं. ज्यादातर देशों में गूगल कर चुकाती है, पर यह उस कमाई की तुलना में बेहद मामूली होता है, जो ये कंपनी इन देशों में करती है.

2013 में गूगल की सिर्फ यूके में होने वाली कमाई $5600 करोड़ दर्ज की गई थी, जिसमें से सिर्फ $200 लाख कॉरपोरेट टैक्स के तौर पर चुकाया गया. द रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के मुताबिक भारत में गूगल को वित्तीय वर्ष 2013-14 में 3508 करोड़ रुपए का फायदा हुआ. वहीं फेसबुक ने इसी साल 123.5 करोड़ का मुनाफा कमाया.

अगर इस साल के बजट के हिसाब से चला जाए तो इन कंपनियों को अब एड से होने वाले मुनाफे का 6 फीसदी हिस्सा कर के रूप में देना होगा. अभी तक इस टैक्स के लागू होने की कोई तारीख नहीं घोषित की गई है. यहां कम से कम ये तो मानना होगा कि मौजूदा सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म को लेकर गंभीर हो रही है.

यह टैक्स पॉलिसी, ऑरगनाइजेशन फॉर इकॉनोमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD)के एक प्रॉजेक्ट का हिस्सा है. इस प्रॉजेक्ट का उद्देश्य है G20 देशों को एक मंच पर लाना, ताकि इन देशों में काम करने वाली बड़ी कंपनियां टैक्स देने से बच निकलने में कामयाब न हों.

इस साल की शुरुआत में गूगल ने यूके पार्लियामेंट को बताया कि वे गूगल टैक्स नहीं देंगे. काफी समय से कहा जा रहा है कि गूगल एंड को टैक्स से बचने के लिए अपने मुनाफे को बरमूडा और लक्जमबर्ग जैसे टैक्स हैवन में भेज रहा है.

भारत में इसकी जरूरत?

बाकी देशों की तरह भारत ने भी अपनी आखें डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और उससे कमाए जा सकने वाले टैक्स पर लगा दी हैं. भारतीय मंत्रालय की स्वाभाविक दिलचस्पी डिजिटल इंडिया और बढ़ते ई कॉमर्स से आ रहे टैक्स में है.

ASSOCHAM की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के अंत तक भारतीय ई-कॉमर्स बाजार $380 लाख के आंकड़े को पार कर लेगा. साथ ही इस सेक्टर में 2.5 लाख नौकरियां भी पैदा होंगी.

अगर इससे भी आपको जवाब नहीं मिला तो इसे आपके लिए और आसान कर देते हैं: भारत सरकार को बड़ा आर्थिक फायदा मिलेगा.

भारत के गूगल टैक्स लिए अच्छा होगा या बुरा?

ये हिस्सा अभी थोड़ा उलझा हुआ है. भारत का डिजिटल मार्केट अभी अपनी शुरुआती अवस्था में है, जहां ज्यादातर कंपनियां अभी जमीनी स्तर का ही काम कर रही हैं. भारत सरकार अगर बहुराष्ट्रीय कंपनियों से टैक्स लेती है तो यह गलत नहीं होगा.

पर हमें यह भी देखना होगा कि ये टैक्स कहीं भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर देख रही कंपनियों के लिए अड़चन न पैदा करे. कुछ ऐसा ही हमने पिछले कुछ सालों में मल्टी-ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी FDI लागू करने की भारत की अनिच्छा के रूप में देखा है.

जब भी गूगल टैक्स भारत में आए, यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे पहले से मौजूद बिजनेस को नुकसान न हो. और यह उन कंपनियों के लिए भी सुनिश्चित किया जाय जो निकट भविष्य में भारत को एक बाजार के तौर पर देख रही हैं.

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